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Sunday 15 September 2024 01:59:33 PM
मुंबई। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने मुंबई के नेहरू विज्ञान केंद्र में 'बुद्धाज मिडिल पाथ-गाइड फॉर ग्लोबल लीडरशिप' विषय पर एक दिवसीय सम्मेलन में कहा हैकि बड़ी बौद्ध आबादी केसाथ महाराष्ट्र एक ऐसा महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जहां तथागत भगवान गौतम बुद्ध के सिद्धांतों के प्रसार केलिए कोईभी आंदोलन राष्ट्रव्यापी स्तरपर असर डाल सकता है। किरेन रिजिजू ने कहाकि महाराष्ट्र में बौद्ध धर्म को मजबूती पूरे देशमें सकारात्मक रूपसे प्रतिबिंबित हो सकता है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालकी पहलों का उल्लेख किया, जिसमें बुद्ध पूर्णिमा का व्यापक उत्सव शामिल है, जो बौद्ध मूल्यों को बढ़ावा देने की सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। उन्होंने कहाकि संयुक्तराष्ट्र और यूरोपीय संघ में प्रधानमंत्री के भाषण भगवान बुद्ध के मूल्यों विशेष रूपसे करुणा और सेवा को लगातार रेखांकित करते हैं और उनकी वैश्विक प्रासंगिकता को दर्शाते हैं। यह केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय और अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध संघ का संयुक्त आयोजन था।
अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने प्रधानमंत्री को उद्धृत करते हुए कहाकि जब बुद्ध के मूल्यों-परोपकार और करुणा को जोड़ा जाता है, तभी कोई देश वैश्विक नेता बन सकता है और इन मूल्यों की अनुपस्थिति में केवल वैश्विक मुद्दे उभरेंगे, शांति नहीं। उन्होंने महाराष्ट्र में बौद्ध समुदाय की सराहना की और बुद्ध के मूल्यों को अपनाने केलिए और अधिक लोगों को जोड़ने केलिए उनसे ठोस प्रयास करने का आग्रह किया। किरेन रिजिजू ने बाबासाहेब डॉ भीमराव रामजी आम्बेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिन्होंने भारतीय संविधान का मसौदा तैयार किया था, जो देश के ढांचे और लोगों केप्रति उनके समर्पण का प्रमाण है। उन्होंने बौद्ध समुदाय की मदद करने के उद्देश्य से कई सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का भी उल्लेख किया। अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ के महासचिव शरत्से खेनसुर जंगचुप चोएडे भी सम्मेलन में उपस्थित थे। उन्होंने बुद्ध की शिक्षाओं केप्रति गहरा सम्मान व्यक्त किया। अहिंसा की परिवर्तनकारी शक्ति पर जोर देते हुए उन्होंने प्रकाश डालाकि इस सिद्धांत में गहराई से जाने पर दया और करुणा का भाव पैदा होता है। उन्होंने इस विश्वास कोभी उजागर कियाकि केवल बुद्ध की शिक्षाएं ही दुनिया के सामने आनेवाली गंभीर समस्याओं का एक व्यवहार्य समाधान प्रदानकर सकती हैं।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा ने कहाकि भारत कई धर्मों और आस्थाओं की जन्मस्थली है और यह हमेशा प्रेम और करुणा का उपदेश देने केलिए खड़ा रहा है, जबकि बाकी दुनिया सत्ता हासिल करने में लगी रही। दलित इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के संस्थापक अध्यक्ष डॉ मिलिंद कांबले ने बुद्ध की शिक्षाओं का पालन करने का आग्रह किया और अपना स्वयं का मार्गदर्शक होने के सिद्धांत पर जोर दिया। उन्होंने कहाकि डॉ भीमराव रामजी आम्बेडकर ने कई चुनौतियों का सामना करने के बावजूद अपने पूरे जीवनकाल में कभी हिंसा का समर्थन नहीं किया। उन्होंने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातीय उद्यमिता केलिए एक व्यापक परितंत्र के विकास पर जोर दिया। डॉ मिलिंद कांबले ने बतायाकि देशके 18 प्रतिशत उद्यमी आज इन समुदायों से आते हैं। उन्होंने कहाकि बौद्ध धर्म के स्थापित मूल्य बुद्ध की शिक्षाओं से प्रभावित देशों में संघर्ष के स्तर को कम से कम बनाए रखने में योगदान करते हैं। सम्मेलन में आधुनिक बौद्धधर्म में बाबासाहेब डॉ भीमराव अंबेडकर के अमूल्य योगदान को मान्यता देते हुए उनकी विरासत को श्रद्धांजलि दी गई। सम्मेलन बौद्ध मूल्यों और सिद्धांतों को बढ़ावा देने के प्रयासों को वैश्विक नेतृत्व और नैतिक शासन पर चल रहे परिचर्चा के अभिन्न अंग के रूपमें मनाया गया। इसमें आधुनिक समय में बुद्ध धम्म की भूमिका और प्रासंगिकता, बेहतरीन तकनीक तथा नए युग के नेतृत्व और बुद्ध धम्म के कार्यांवयन का महत्व विषयक पैनल चर्चा सत्र भी हुए।