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Sunday 6 October 2024 12:37:09 PM
पोखरण (राजस्थान)। भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने 3 और 4 अक्टूबर को राजस्थान की पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में चौथी पीढ़ी की तकनीक से उन्नत और छोटे आकार की अति लघु दूरी की वायु रक्षा प्रणाली (वीएसएचओआरएडीएस) के तीन उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे किए। ये परीक्षण ऊंची गति वाले लक्ष्यों पर किए गए, जिनमें अधिकतम सीमा और अधिकतम ऊंचाई अवरोधन के बहुत महत्वपूर्ण मापदंडों का प्रदर्शन किया गया। इन विकास परीक्षणों ने विभिन्न लक्ष्यों से संबंधित परिदृश्यों में हथियार प्रणाली की हिट-टू-किल क्षमता को दोहराने की योग्यता को प्रदर्शित किया, जिनमें निकट आना, पीछे हटना और क्रॉसिंग मोड शामिल हैं।
वीएसएचओआरएडीएस मिसाइलों के विकास का काम पूरा हो चुका है और दो उत्पादन एजेंसियों को विकास सह उत्पादन भागीदार मोड में लगाया गया है। इन परीक्षणों में डीसीपीपी के माध्यम से प्राप्त मिसाइलों का सफलतापूर्वक उपयोग किया गया है, जिससे नरेंद्र मोदी सरकार के 'आत्मनिर्भर भारत' के दृष्टिकोण के अनुरूप कम समय में प्रारंभिक उपयोगकर्ता परीक्षणों और उत्पादन का मार्ग प्रशस्त हुआ है। वीएसएचओआरएडीएस एक मानव पोर्टेबल वायु रक्षा प्रणाली है, जिसे अनुसंधान केंद्र इमारत में दूसरी डीआरडीओ प्रयोगशालाओं और डीसीपीपी के सहयोग से स्वदेशी रूपसे डिजाइन और विकसित किया गया है। तीनों सेनाएं शुरू सेही इस परियोजना से जुड़ी हुई हैं और उन्होंने वायु रक्षा प्रणाली के विकास संबंधी परीक्षणों में भाग लिया है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने वायु रक्षा प्रणाली के सफल विकास परीक्षणों में शामिल डीआरडीओ, सशस्त्र बलों और उद्योगों को बधाई दी है। उन्होंने कहाकि आधुनिक प्रौद्योगिकियों से युक्त यह नई मिसाइल हवाई खतरों के खिलाफ सशस्त्र बलों को और अधिक तकनीकी प्रोत्साहन देगी। रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के चेयरमैन डॉ समीर वी कामत ने भी वायु रक्षा प्रणाली के सफल उड़ान परीक्षणों केलिए डीआरडीओ के दल, उद्योग भागीदारों और उपयोगकर्ताओं को बधाई दी।