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Wednesday 9 October 2024 04:39:27 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विभिन्न श्रेणियों में 70वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्रदान किए। राष्ट्रपति ने पुरस्कार विजेताओं को बधाई देते हुए कहाकि उन्हें बताया गया हैकि बहुतसी फिल्मों पर विचार करने केबाद ये पुरस्कृत फिल्में चुनी गई हैं और सिनेमा पर सर्वश्रेष्ठ लेखन एवं समीक्षा केलिए अनेक पुस्तकों और समीक्षकों का भी आकलन किया गया है। उन्होंने अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती को वर्ष 2022 केलिए दादा साहब फाल्के लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया। राष्ट्रपति ने एक मार्मिक चित्रण साझा करते हुए कहाकि स्वाधीनता सेनानी तथा ओड़िया भाषा के प्रसिद्ध लेखक भगबती चरण पाणिग्रही की एक कहानी ‘शिकार’ हमारे स्कूल के पाठ्यक्रम में पढ़ाई जाती थी, उसमें न्याय और अन्याय को अपनी सरल और सहज दृष्टि से देखने वाले भोले-भाले आदिवासी युवक घिनुआ का मार्मिक चित्रण उनके मन में आजभी अंकित है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि मिथुन चक्रवर्ती ने अपनी पहली ही फिल्म ‘मृगया’ में उस अनोखे चरित्र को जीवंत बनाया और सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित हुए। उन्होंने कहाकि अबतक लगभग पांच दशक की अपनी कला यात्रा में मिथुन चक्रवर्ती ने गंभीर चरित्रों को पर्दे पर उतारने केसाथ सामान्य कहानियों कोभी अपनी विशेष ऊर्जा से सफलता प्रदान की है, उनकी लोकप्रियता का दायरा अन्य देशों तक फैला हुआ है। राष्ट्रपति को यह जानकर प्रसन्नता हुई हैकि मिथुन चक्रवर्ती समाज कल्याण के अनेक कार्यों में भी संलग्न हैं। द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि फिल्में समाज की कलात्मक भावना को दर्शाती हैं और जीवन बदल रहा है, कला के प्रतिमान भी बदल रहे हैं, नई आकांक्षाएं, नई समस्याएं उभर रही हैं, नई जागरुकता बढ़ रही है, इन सभी बदलावों केबीच प्रेम करुणा और सेवा के अपरिवर्तनीय मूल्य अभीभी हमारे व्यक्तिगत और सामूहिक जीवन को सार्थक बना रहे हैं। उन्होंने कहाकि हम इन सभी मूल्यों को पुरस्कृत फिल्मों में देख सकते हैं, जिन्हें विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कार दिए गए हैं, अनेक भाषाओं और देश के सभी क्षेत्रोंमें बनाई जारही फिल्मों के आधार पर भारतीय सिनेमा विश्व का सबसे बड़ा फिल्म उद्योग है, साथही यह सबसे अधिक विविधतापूर्ण कला क्षेत्र भी है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देशमें फिल्म उद्योग के सभी आयामों से जुड़े लोगों की सराहना की। उन्होंने कहाकि पुरस्कृत फिल्मों की भाषाएं और पृष्ठभूमि भलेही अलग-अलग हों, लेकिन वे सभी भारत का प्रतिबिंब हैं, ये फिल्में भारतीय समाज के अनुभवों का खजाना हैं, इन फिल्मों में भारतीय परंपराएं और उनकी विविधता जीवंत रूपमें उभरती है। राष्ट्रपति ने कहाकि फिल्में और सोशल मीडिया समाज में परिवर्तन का सबसे सशक्त माध्यम हैं, लोगों में जागरुकता पैदा करने में इन माध्यमों का किसीभी अन्य माध्यम से ज्यादा प्रभाव है। उन्होंने कहाकि प्रदान किए गए 85 से अधिक राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में से केवल 15 पुरस्कार महिलाओं को मिले हैं। उन्होंने कहाकि महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास की दिशा में फिल्म उद्योग और अधिक प्रयास कर सकता है। राष्ट्रपति ने कहाकि सार्थक फिल्मों को अक्सर दर्शक नहीं मिलते, दर्शकों तक सार्थक सिनेमा की पहुंच बढ़ाने केलिए जागरुक नागरिकों, सामाजिक संगठनों और सरकारों से मिलकर काम करने का आग्रह किया।