स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Monday 8 July 2013 09:15:41 AM
नई दिल्ली। भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बिहार स्थित दुनिया भर के बौद्धों के परम पूजनीय महा बोधि मंदिर में सिलसिलेवार विस्फोटों पर दुःख और गहरी चिंता व्यक्त की है। प्रधानमंत्री ने मनमोहन सिंह ने भी पवित्र महाबोधि मंदिर और उसके आसपास हुए विस्फोटों की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि हमारी मिली-जुली संस्कृति और परंपराएं हमें सभी धर्मों का सम्मान करना सिखाती हैं। उन्होंने कहा कि धार्मिक स्थलों पर ऐसे हमले बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि वह बोध गया की हिंसा में घायल होने वालों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं। राष्ट्रपति ने इन विस्फोटों को शांति के महान दूत गौतम बुद्ध को समर्पित मंदिर में पूजा अर्चना के लिए एकत्र हुए श्रद्धालुओं और भिक्षुओं को निशाना बनाकर किया गया नृशंस कृत्य करार देते हुए इनकी निंदा की। राष्ट्रपति ने विस्फोटों में घायल होने वालों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। उन्होंने जनता से शांति बनाए रखने और संयम बरतने तथा दोषियों को दंड दिलाने में प्रशासन के साथ सहयोग करने का भी आह्वान किया।
केंद्रीय संस्कृति मंत्री, चंद्रेश कुमारी कटोच ने पवित्र स्थल पर हुए हमले की कड़े शब्दों में निंदा की है और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की है। उन्होंने कहा कि भले ही बोध गया मंदिर केंद्रीय संरक्षित स्मारक नहीं है, यह एक विश्व धरोहर स्थल है। उन्होंने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को फौरन इस बात का आकलन करने को कहा है कि कहीं स्थल को किसी तरह का नुकसान तो नहीं पहुंचा है। उन्होंने एएसआई को जरूरत पड़ने पर सुधार के कदम उठाने का निर्देश दिया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक प्रवीण श्रीवास्तव ने सूचित किया है कि एएसआई के पटना कार्यालय के अधिकारियों के एक दल को जल्द से जल्द बोध गया मंदिर का दौरा करने तथा यह पता लगाने को कहा गया है कि कहीं बम धमाकों की वजह से कोई नुकसान तो नहीं पहुंचा। पवित्र मंदिर और उसके आसपास के ढांचों को किसी भी तरह के नुकसान पहुंचने की स्थिति में उन्हें सुधार के कदमों का भी त्वरित आकलन करने को कहा गया है।
केंद्रीय पर्यटन मंत्री के चिरंजीवी ने बिहार के बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर परिसर पर हमले की कड़े शब्दों में निंदा की है। यह मंदिर शांति, एकता और मानव उत्थान का अंतर्राष्ट्रीय प्रतीक है। आज यहा जारी एक वक्तव्य में उन्होंने इस हमले में तीर्थयात्रियों के घायल होने और संपत्ति के नुकसान पर गहरा खेद व्यक्त किया है। अनुमान है कि इस मंदिर का निर्माण पांचवीं और छठी शताब्दी ईसा पूर्व में किया गया था। यह विश्व के बौद्ध धर्मानुयायियों का सबसे पवित्र तीर्थस्थल है। पर्यटन मंत्री ने समाज के सभी वर्गों से आग्रह किया है कि वे धार्मिक विश्वास के मामले में एक-दूसरे के प्रति सहिष्णु रहें और भगवान बुद्ध के बताए गए मार्ग पर मानवतावादी समाज के निर्माण के लिए कार्य करें। इस बीच, पर्यटन मंत्रालय ने विश्व के इस धरोहर स्थल को पहुंचे नुकसान के बारे में बिहार सरकार के पर्यटन विभाग से तत्काल रिपोर्ट देने को कहा है।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने भी एक प्रस्ताव पारित कर बोध गया के पवित्र मंदिर पर हुए हमले पर गहरा दुख व्यक्त किया है। आयोग के अध्यक्ष वजाहत हबीबुल्ला तथा चार अन्य सदस्य-विनोद शर्मा, केएन दारूवाला, डॉक्टर अजैब सिंह तथा टीएन शानू ने आज नई दिल्ली में प्रस्ताव पारित करके कहा कि बोध गया केवल भारत के बौद्ध मतावलंबियों द्वारा ही नहीं पूजा जाता, बल्कि पूरी दुनियां में इसके प्रति श्रद्धाभाव है। प्रस्ताव में कहा गया है कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग सभी भारतीयों के पवित्र स्थलों के प्रति आदरभाव रखता है। बोध गया से ही भगवान बुद्ध ने करुणा का संदेश दिया था, जो भारतीय सभ्यता का स्तंभ है। करुणा का यह संदेश भगवान महाबीर, हजरत निजामुद्दीन औलिया, संत थॉमस एपोस्टल और गुरूनानक देवजी ने भी पूरी दुनिया में फैलाया था। हमारे समय में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अहिंसा का संदेश दिया।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने बौद्ध समुदाय तथा बिहार के लोगों के प्रति गहरी सहानुभूति रखते हुए अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने की अपील की है कि कम से कम समय में इस निंदनीय घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए।