Wednesday 27 November 2024 01:02:32 PM
दिनेश शर्मा
नई दिल्ली/ मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति की प्रचंडतम जीत ने न केवल कांग्रेसनीत इंडी अलायंस के महाविकास अघाड़ी की कमर तोड़ दी है, बल्कि यह भी सिद्ध हो गया हैकि एनडीएनीत भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव में पराजय के बाद और भी ज्यादा शक्तिशाली हो गई है। महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री की दावेदारी की बात करें तो दावा तो भाजपा का ही बनता है, मगर समय की सुईं का तकाजा शिवसेना प्रमुख और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को ही मुख्यमंत्री बनाए रखना है, जिन्होंने सिद्ध किया हैकि एकतो वह ही शिवसेना के वास्तविक लीडर हैं और दूसरी बात यह हैकि वह जिस प्रकार महाराष्ट्र की जनता में लोकप्रिय मुख्यमंत्री हुए हैं, माना जा रहा हैकि भावी राजनीति और रणनीति को देखते हुए एकनाथ शिंदे को ही फिरसे मुख्यमंत्री बनाना बेहतर होगा, भले ही भारतीय जनता पार्टी ने महाराष्ट्र में ऐतिहासिक जीत हासिल की है। महाराष्ट्र में शिंदे का सीएम होना क्यों जरूरी? इसके कई तर्क हैं, जिनमें केंद्र में भाजपा का पूर्ण बहुमत नहीं है, वहां एनडीए की सरकार है, शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाना ही इंडी अलायंस के भाजपा विरोधी गुप्त अभियानों का करारा जवाब है।
महाराष्ट्र में शिवसेना के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में ही विधानसभा चुनाव लड़ा गया, जिसके फलस्वरूप वोटों का विभाजन रुका और भाजपा शिवसेना एवं एनसीपी यानी ‘महायुति’ को भारी सफलता मिली है। भारतीय जनता पार्टी को केवल अपने बूते पर 133 सीटें नहीं मिलने वाली थीं, बल्कि एकनाथ शिंदे को महाराष्ट्र में सारी जातियों को एक मंच पर लाने का श्रेय जाता है, जिसमें अजीत पवार की एनसीपी भी शामिल है। माना जाता हैकि एकनाथ शिंदे यदि उद्धव ठाकरे की शिवसेना तोड़कर नई शिवसेना नहीं बनाते, दूसरी तरफ अजीत पवार भी एनसीपी तोड़कर नहीं आते और महाविकास अघाड़ी की उद्धव ठाकरे सरकार का पतन नहीं होता और महायुति की सरकार बनाने का प्रयोग विफल हो गया होता तो भाजपा को महाराष्ट्र में खड़े होने को जगह नहीं मिल पाती। यह एकनाथ शिंदे ही थे, जिन्होंने बड़ी दूरदर्शी समझदारी से महायुति की सरकार चलाई, लोगों को जोड़ा और भाजपा शिवसेना एवं एनसीपी ने एक होकर विधानसभा चुनाव में इंडी अलायंस के महाविकास अघाड़ी पर ऐतिहासिक जीत दर्ज की। स्पष्ट हैकि महायुति के समझौते के वोट नहीं बंटने का भाजपा को इतना बड़ा लाभ मिला।
भाजपा में जिस प्रकार भावी राजनीतिक स्थिति होनी-अनहोनी की अनदेखी करके मुख्यमंत्री पद को लेकर लॉबिंग हो रही है, उसका नुकसान भाजपा को ही है। राजनीतिक विश्लेषणकर्ताओं का कहना हैकि भाजपा को समझना चाहिए कि फिलहाल उसके लिए एकनाथ शिंदे का बड़ा महत्व है, यद्यपि बीजेपी का मुख्यमंत्री का दावा मजबूत है, बीजेपी बहुमत से कुछ ही सीटें दूर है, चाहे तो वह किसी भी जोड़-तोड़ से अपनी सरकार बना सकती है, लेकिन यह भाजपा की राजनीति केलिए आत्मघाती कदम होगा, लिहाजा भाजपा को दूरतक भी ऐसा नहीं सोचना चाहिए, क्योंकि केंद्र में उसकी सरकार भी कमजोर बैसाखियों पर है, उसका केंद्र में बहुमत नहीं है, झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा बुरी तरह हार ही चुकी है, मुंबई नगर निगम और जिलों में स्थानीय निकायों के चुनाव होने हैं, जहां अभीतक शिवसेना (उद्धव) का ही वर्चस्व है, जिसको तोड़े बिना महायुति का कोई भी राजनीतिक उद्देश्य पूरा नहीं हो सकता है, इस समय एकनाथ शिंदे की शिवसेना की लहर और लय बनी हुई है, जोकि शिवसेना (उद्धव) की पार्टी को मुंबई निगम और महाराष्ट्र से उखाड़ फेक सकती है, इसलिए उसे एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में ही सरकार बनने देनी चाहिए। गौरतलब हैकि महाराष्ट्र में नारा चल पड़ा है कि ‘एकनाथ हैं तो सेफ है’ जिसपर एकनाथ शिंदे के पक्ष में डिबेट हो रही है।
भारतीय जनता पार्टी महाराष्ट्र में ऐतिहासिक जीत केसाथ अपना मुख्यमंत्री पद का दावा करती है तो यह ग़लत नहीं है, लेकिन महाराष्ट्र की राजनीति में भाजपा ताकतवर है, मगर उसके नेता देवेंद्र फड़नवीस, एकनाथ शिंदे के सामने बहुत कमजोर चेहरा हैं। एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाए रखने से भाजपा के अनेक राजनीतिक उद्देश्य पूरे होते हैं। झारखंड में भाजपा की पराजय उसे यह चेतावनी देती हैकि वह महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन का कोई भी जोखिम न ले, क्योंकि उसे बिहार विधानसभा के चुनाव में भी जाना है। महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री बदलने का फैसला न केवल बिहार में नीतीश कुमार में संशय पैदा कर सकता है। कहने वाले कहते हैंकि महाराष्ट्र में इंडी अलायंस का समूचा विपक्ष एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री का सपना दिखाने या उकसाने की कोशिश कर रहा है और यदि वह ऐसा करने में सफल हो गया तो न केवल महाराष्ट्र में अपितु केंद्र में भी एनडीए की सरकार का जाना निश्चित हो जाएगा। विश्लेषक इसीलिए कह रहे हैं कि भाजपा अपने मजबूत राजनीतिक भविष्य केलिए बिहार जैसा बड़ा दिल दिखाए और महाराष्ट्र में अपने मुख्यमंत्री की लॉबिंग छोड़कर एकनाथ शिंदे को फिरसे महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाकर अपने खिलाफ संपूर्ण विपक्ष के अभियान को कुंद कर दे।
कहा जा रहा हैकि देवेंद्र फड़नवीस केवल मुख्यमंत्री बनने की अपनी महत्वाकांक्षा को परवान चढ़ा रहे हैं और इसके लिए लॉबिंग कर रहे हैं, जबकि एकनाथ शिंदे का कार्ड भाजपा को महाराष्ट्र से लेकर केंद्र तक में भाजपा और एनडीए का सुरक्षित कारिडोर बनाता है। भाजपा को इसमें से क्या चुनना है, इसकी प्रतीक्षा की जा रही है और यह प्रतीक्षा तरह-तरह के संदेश और संकेत केसाथ भाजपा केलिए मुश्किलें बढ़ाती जा रही है। इस समय सबसे बड़ी प्राथमिकता भाजपा के देवेंद्र फड़नवीस को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाना नहीं होनी चाहिए, बल्कि केंद्र में एनडीए की सरकार को मजबूत रखना है। एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ऐसी चिंताओं से मुक्त हो सकती है। महाराष्ट्र में भाजपा और महायुति को जो मौका मिला है, वह भाजपा के 2029 के लोकसभा चुनाव में ऐतिहासिक प्रदर्शन दिखा सकता है, अन्यथा भाजपा केलिए एक पछतावाभर रहेगा। झारखंड में चेहरा न देकर भाजपा ने देख लिया कि उसने कितनी बड़ी भूल की है, इसलिए महाराष्ट्र में देवेंद्र फड़नवीस या किसी और की नहीं, बल्कि एकनाथ शिंदे की आवश्यकता है। कहने वाले यह भी कहते हैंकि भाजपा इस दोस्त को खोने की या उसमें संशय पैदा करने की किसी भी कोशिश को नाकाम करे, एकनाथ शिंदे को उकसाने वालों की कोई कमी नहीं है और एकनाथ शिंदे के पास अब खोने केलिए कुछ नहीं है, जबकि भाजपा को खोने केलिए बहुत कुछ है।