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Saturday 28 December 2024 04:55:33 PM
नई दिल्ली। कांग्रेस नीत यूपीए गठबंधन में दस साल रहे देश के प्रधानमंत्री सरदार मनमोहन सिंह का आज निगमबोध घाट पर राजकीय सम्मान केसाथ अंतिम संस्कार कर दिया गया। दिल्ली के एम्स अस्पताल में उम्रजनित बीमारियों के चलते उनका निधन हुआ था। वे 92 वर्ष के थे। सरदार मनमोहन सिंह के पार्थिव शरीर को सेना की तोपगाड़ी पर दिल्ली के निगमबोध घाट लाया गया, जहां उन्हें सेनाओं द्वारा सलामी के बाद राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार किया गया। एम्स के बुलेटिन के अनुसार इस गुरुवार की रात 9:51 बजे उन्होंने आखिरी सांस ली। उनकी बेटी ने उन्हें मुखाग्नि दी। सरदार मनमोहन सिंह के परिवार में पत्नी गुरशरण कौर, बड़ी बेटी उपिंदर सिंह, दूसरी बेटी दमन सिंह और तीसरी बेटी अमृत सिंह हैं। निगमबोध घाट पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका वाड्रा, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, देश के राज्यों के मुख्यमंत्रियों, राजनेताओं, भूटान नरेश सहित अनेक नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। डॉ मनमोहन सिंह का पार्थिव शरीर आज सुबह उनके आवास से कांग्रेस मुख्यालय भी लाया गया था। श्रद्धांजलियों केबाद यहां से उनकी अंतिम यात्रा शुरू हुई।
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री सरदार मनमोहन सिंह एक अर्थशास्त्री विभिन्न पदों पर पदासीन होते हुए प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे। अर्थशास्त्री के रूपमें उन्होंने अलग-अलग स्तर पर भारत सरकार में अपनी सेवाएं दीं। वे भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर हुए। पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में वित्तमंत्री हुए। उन्होंने वित्तीय संकट से घिरे देश को एक नई अर्थव्यवस्था का मार्ग दिखाया, लेकिन देश को तबभी आर्थिक संकट से मुक्ति नहीं मिल पाई। अपने दस साल के शासन में उनपर कांग्रेस के सोनिया गांधी परिवार का असर था, जिस कारण उन्हें सही और कड़े फैसले लेने की छूट नहीं थी। उनके शासन में देश में कई बड़े घोटाले हुए, जिनपर वे कार्रवाई नहीं कर पाए। एक समय तो ऐसा आयाकि जब कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री सरदार मनमोहन सिंह से अध्यादेश लेकर और उनपर नाराज होते हुए उसे फाड़ दिया। वह हमेशा कांग्रेस नेता सोनिया गांधी परिवार के प्रति वफादार और अनुकूल ही रहे। कुछ बुनियादी फैसलों को छोड़कर देश केप्रति कुछ खास नहीं कर पाए। देश में 84 के दंगों में कांग्रेस की संलिप्तता के कारण उन्होंने कांग्रेस और कांग्रेस सरकार की ओर से सिख समाज से माफी भी मांगी। कहा जाए तो देश में दस साल सरदार मनमोहन सिंह के रूपमें खालसा का राज रहा, लेकिन देश को उसका कोई लाभ नहीं रहा। उन्होंने यह कहकर देश को नाराज कियाकि देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है। प्रधानमंत्री के पद पर रहते उनके कई फैसले हैं, जो उनका पीछा करते हैं और उन्हें आलोचनाओं से घेरते हैं। उन्हें कांग्रेस परिवार सोनिया गांधी का कठपुतली प्रधानमंत्री माना गया।
बहरहाल! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक वीडियो संदेश में डॉ मनमोहन सिंह के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया और कहाकि डॉ मनमोहन सिंह का निधन राष्ट्र केलिए एक बड़ी क्षति है। प्रधानमंत्री ने कहाकि जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करना कोई साधारण उपलब्धि नहीं है, भारत विभाजन के दौरान भारत आने केबाद बहुत कुछ खोने के बावजूद डॉ मनमोहन सिंह एक सफल व्यक्ति थे। उन्होंने कहाकि डॉ मनमोहन सिंह का जीवन सिखाता हैकि कैसे विपरीत परिस्थितियों से ऊपर उठकर ऊंचाइयों को कैसे प्राप्त किया जाए। नरेंद्र मोदी ने कहाकि डॉ मनमोहन सिंह को हमेशा एक दयालु व्यक्ति, एक विद्वान अर्थशास्त्री और सुधारों केलिए समर्पित नेता के रूपमें याद किया जाएगा। उन्होंने एक अर्थशास्त्री और चुनौतीपूर्ण समय में भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर के रूपमें उनकी भूमिका की सराहना की है। डॉ मनमोहन सिंह को देश के प्रति उनकी सेवाओं केलिए देशभर और देश के बाहर से श्रद्धांजलियां दी जा रही हैं। बहुत से राजनेताओं ने दावा किया हैकि देश को आर्थिक संकट से मुक्त करने का उन्होंने ही मार्ग प्रशस्त किया, जिसका अनुसरण मोदी सरकार कर रही है।