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महाकुंभ में प्रवासी पक्षी बने आकर्षण का केंद्र

तीन दिवसीय इंटरनेशनल बर्ड फेस्टिवल के आयोजन की तैयारी

दुर्लभ पक्षी प्रजातियों को देखने और संरक्षित करने का अवसर

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Sunday 9 February 2025 03:48:09 PM

migratory birds are the center of attraction in mahakumbh (file photo)

प्रयागराज। भारतीय सनातन परंपरा, आस्था, भक्ति, प्रकृति और सांस्कृतिक विरासत के महाकुंभ में इन दिनों साइबेरिया, मंगोलिया, अफगानिस्तान सहित 10 से अधिक देशों से हजारों प्रवासी पक्षी प्रयागराज के गंगा-यमुना तटों पर अपनी मनमोहक अनोखी उड़ानों और समूहबद्ध प्रवास से श्रद्धालुओं व पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं। इसे देखते हुए पर्यावरण संरक्षण और जैव विविधता को बढ़ावा देने केलिए 16 से 18 फरवरी केबीच तीन दिवसीय इंटरनेशनल बर्ड फेस्टिवल आयोजित किया जाएगा, जिसमें 200 से अधिक प्रजातियों के प्रवासी और स्थानीय पक्षियों का संगम देखने को मिलेगा। यह फेस्टिवल पर्यावरण प्रेमियों, पक्षी विज्ञानियों और श्रद्धालुओं केलिए एक अनूठा अवसर होगा, जहां वे पक्षियों की दुर्लभ प्रजातियों का अवलोकन कर सकेंगे और उनके संरक्षण के महत्व को समझ सकेंगे एवं यह न केवल पक्षियों को देखने का अवसर प्रदान करेगा, बल्कि इस दौरान विभिन्न प्रतियोगिताओं और शैक्षिक गतिविधियों के माध्यम से पक्षी संरक्षण केप्रति जागरुकता भी बढ़ावा दिया जाएगा।
इंटरनेशनल बर्ड फेस्टिवल में फोटोग्राफी, पेंटिंग, नारा लेखन, वाद-विवाद और प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी। तकनीकी सत्र और पैनल चर्चाओं में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पक्षी वैज्ञानिक, पर्यावरणविद् और संरक्षण विशेषज्ञ अपने विचार साझा करेंगे। वन विभाग के आईटी हेड आलोक कुमार पांडेय ने बतायाकि इसमें शामिल होने और अधिक जानकारी प्राप्त करने केलिए व्हाट्सएप नंबर 9319277004 पर संपर्क किया जा सकता है। इंटरनेशनल बर्ड फेस्टिवल का मुख्य उद्देश्य युवाओं, पर्यावरण प्रेमियों और श्रद्धालुओं को पक्षियों के संरक्षण और उनके प्राकृतिक आवास की सुरक्षा केप्रति प्रेरित करना है। सरकार इस आयोजन को औरभी आकर्षक बनाने केलिए प्रतिभागी विजेताओं को 10000 रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तकके कुल 21 लाख रुपये के पुरस्कार प्रदान करेगी। इंटरनेशनल बर्ड फेस्टिवल में श्रद्धालु लुप्तप्राय इंडियन स्कीमर, फ्लेमिंगो और साइबेरियन क्रेन जैसे दुर्लभ पक्षियों को नजदीक से देख सकेंगे। यह आयोजन महाकुंभ में आनेवाले पर्यटकों को प्राकृतिक सुंदरता और जैव विविधता की महत्ता को समझाने का अवसर भी प्रदान करेगा।
डीएफओ प्रयागराज अरविंद कुमार यादव ने बतायाकि यह महोत्सव केवल मनोरंजन तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पर्यावरण संतुलन और जैव विविधता को बचाने के महत्वपूर्ण अभियान का हिस्सा बनेगा। उन्होंने कहाकि पक्षियों के संरक्षण से ही प्राकृतिक आपदा प्रबंधन और पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बना रह सकता है और इस प्रकार के आयोजन लोगों को प्रकृति केप्रति संवेदनशील बनाने में मदद करेंगे। प्रयागराज मेला प्रशासन के निर्देश पर श्रद्धालुओं केलिए विशेष इकोटूरिज्म प्लान तैयार किया गया है, जिससे वे पक्षियों को देखने और उनके प्राकृतिक आवास के महत्व को समझने का अनुभव प्राप्तकर सकेंगे। बर्ड वॉक और नेचर वॉक के जरिए विशेषज्ञों केसाथ श्रद्धालु पक्षियों के व्यवहार, उनकी प्रवास यात्राओं और पारिस्थितिकी में उनकी भूमिका को करीब से समझ सकेंगे। सांस्कृतिक कार्यक्रमों, नुक्कड़ नाटकों, चित्रकला प्रदर्शनियों जैसी और भी गतिविधियों के माध्यम से लोगों को पक्षी संरक्षण और पर्यावरणीय संतुलन केप्रति जागरुक किया जाएगा। इंटरनेशनल बर्ड फेस्टिवल में शामिल पक्षीप्रेमी, शोधकर्ता, वैज्ञानिक, छात्र पक्षी विज्ञान और संरक्षण से जुड़ी नई जानकारियां प्राप्त करेंगे। विभिन्न सत्रों में पक्षियों की प्रवास यात्राओं, उनके आवासों की सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और उनके अस्तित्व से जुड़े वैज्ञानिक तथ्यों पर चर्चा की जाएगी।
इंटरनेशनल बर्ड फेस्टिवल न केवल भारत, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तरपर भी जैव विविधता और पर्यावरणीय स्थिरता को लेकर एक मजबूत संदेश देगा। पक्षियों के संरक्षण से जुड़ी गतिविधियों में छात्रों की भागीदारी उन्हें प्रकृति से जोड़ने और उनकी जिम्मेदारी को समझने का अवसर प्रदान करेगी। बर्ड फेस्टिवल भारतीय संस्कृति, प्रकृति प्रेम और वैज्ञानिक दृष्टिकोण का एक अनूठा मिश्रण होगा। यह श्रद्धालुओं और पर्यटकों को प्राकृतिक संपदा के महत्व को समझाने, जैव विविधता को बचाने और सतत विकास केप्रति प्रेरित करने का कार्य करेगा। गौरतलब हैकि सरकारी सुविधाएं और योजनाएं न केवल महाकुंभ को एक ऐतिहासिक आयोजन बना रही हैं, बल्कि भविष्य केलिए पर्यावरणीय संरक्षण की दिशामें महत्वपूर्ण पहले भी कर रही हैं। महाकुंभ-2025 केवल श्रद्धालुओं केलिए नहीं, बल्कि वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, पर्यावरणविदों और भविष्य की पीढ़ियों केलिए सीख और प्रेरणा बनेगा, यह आयोजन संस्कृति आस्था और प्रकृति के अनोखे संगम का साक्षी बनेगा, जहां श्रद्धालु केवल आध्यात्मिक रूपसे नहीं, बल्कि प्रकृति और पर्यावरण के महत्व को भी गहराई से महसूस करेंगे।

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