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Friday 14 February 2025 03:41:30 PM
महाकुंभ नगर (प्रयागराज)। भारतीय डाक विभाग ने महाकुंभ-2025 पर तीन स्मारक डाक टिकटों केसाथ एक स्मारक स्मारिका पत्रक भी जारी किया है। केंद्रीय संचार और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य माधवराव सिंधिया ने प्रयागराज के अरैल घाट डाकघर में इनका अनावरण किया और कहाकि भारतीय डाक विभाग को महाकुंभ-2025 पर तीन टिकटों केसाथ स्मारक स्मारिका पत्रक जारी करने पर गर्व है। महाकुंभ-2025 की समृद्ध परंपराओं का सम्मान करते हुए जो अन्य डाक टिकट संग्रह सामग्री जारी की गई है, उसमें पवित्र स्नान दिवसों पर विशेष कवर और निरस्तीकरण, ‘दिव्य भव्य और डिजिटल महाकुंभ’ और ‘प्रख्यात प्रयागराज’ का उत्सव मनाते हुए एक चित्र पोस्टकार्ड भी शामिल हैं। ये डाक टिकट महाकुंभ के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व पर प्रकाश डालते हैं।
गौरतलब हैकि महाकुंभ मेले की उत्पत्ति हिंदू पौराणिक कथाओं में निहित है। प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथों में समुद्र मंथन की कहानी के अनुसार देवताओं और राक्षसों केबीच अमरता प्राप्त करने केलिए अमृत केलिए युद्ध हुआ था। इस दिव्य युद्ध के दौरान अमृत की बूंदें चार स्थानों पर गिरी थीं- प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक, जहां अब कुंभ आयोजित किया जाता है। प्रयागराज में हर 144 साल में एक बार महाकुंभ का आयोजन होता है। यहां इसका धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व बहुत अधिक और सर्वत्र वर्णनीय एवं वंदनीय है। स्मारिका पत्रक में जारी तीन टिकटें इस कविता से प्रेरित हैं-त्रिवेणीं माधवं सोमं भारद्वाजं च वासुकिम्। वन्दे अक्षयवटं शेष प्रयागं तीर्थनायकम्। शंख सामंत ने इन्हें डिजाइन किया है। स्मारक डाक टिकटों में त्रिवेणी तीर्थ के तीन प्रमुख पहलुओं- महर्षि भारद्वाज आश्रम, स्नान और अक्षयवट को खूबसूरती से दर्शाया गया है।
महर्षि भारद्वाज आश्रम, ऋषि भारद्वाज के समय में यहां एक प्रसिद्ध शैक्षणिक केंद्र था। इसका उल्लेख रामायण में भी मिलता है, जब श्रीराम, वनवास के दौरान अपनी भार्या वैदेही सीता और भाई लक्ष्मण के साथ महर्षि भारद्वाज के यहां आए थे। दूसरे टिकट स्नान में त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान करने के महत्व को दर्शाया गया है। लाखों करोड़ों श्रद्धालु इस विश्वास केसाथ त्रिवेणी में डुबकी लगाते हैंकि उनके पाप धुल जाएंगे और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होगी। तीसरा टिकट अक्षयवट पर है जो अमर बरगद का पेड़ है, जिसके नीचे श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण ने वनवास के दौरान विश्राम किया था। शास्त्रों के अनुसार प्रलय के दौरान भी अक्षयवट स्थिर रहा है। संचार और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य माधवराव सिंधिया ने कहाकि संग्रहणीय वस्तुएं सुरक्षित करें, महाकुंभ-2025 की महिमा का जश्न मनाएं और इस ऐतिहासिक घटना की याद में सीमित संस्करण में टिकटों, प्रथम दिवस कवर और ब्रोशरों की संग्रहणीय स्मारिका खरीदें! ये टिकट https://www.epostoffice.gov.in/ पर उपलब्ध हैं।