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Wednesday 26 February 2025 03:54:09 PM
नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भारत मंडपम नई दिल्ली में भारतीय तटरक्षक बल के 18वें अलंकरण समारोह में देश की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा में मुस्तैदी से तैनात तटरक्षक बल के अधिकारियों और कर्मियों को वीरता, विशिष्ट सेवा और सराहनीय सेवा पदक देकर सम्मानित किया। रक्षामंत्री ने सम्मानित तटरक्षक जवानों को बधाई देते हुए कहाकि ये पदक सिर्फ एक स्मृतिचिन्ह नहीं हैं, बल्कि ये उनको तिरंगे के सम्मान, चुनौतीपूर्ण और चरम स्थितियों में बहादुरी एवं अटूट संकल्प केसाथ अनुकरणीय, वीरता कार्यों और कर्तव्य केप्रति नि:स्वार्थ समर्पण केलिए प्रदान किए गए हैं। उन्होंने तटीय सुरक्षा, संगठनात्मक दक्षता, मादक पदार्थों की जब्ती, बचाव अभियान और अंतर्राष्ट्रीय अभ्यास सुनिश्चित करने में तटरक्षक जवानों के प्रयासों की सराहना की। वर्ष 2022-23 और 2024 के 32 पदकों में छह राष्ट्रपति तटरक्षक पदक (विशिष्ट सेवा), 11 तटरक्षक पदक (वीरता) और 15 तटरक्षक पदक (सराहनीय सेवा) शामिल हैं।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आईसीजी के एक मजबूत, भरोसेमंद और दुनिया की सबसे कुशल समुद्री सेनाओं मेंसे एक बनने पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहाकि भौगोलिक दृष्टि से भारत तीन तरफ से समुद्र से घिरा हुआ है और इसकी तटरेखा बहुत बड़ी है। उन्होंने उल्लेख कियाकि देश की सामरिक सुरक्षा दो तरह के खतरों का सामना करती है, पहला युद्ध जिसका सामना सशस्त्र बलों को करना पड़ता है, दूसरा समुद्री डकैती, आतंकवाद, घुसपैठ, तस्करी और अवैध मछली पकड़ने की चुनौतियां हैं, जिनके लिए समुद्री सेनाएं खास तौरपर आईसीजी हमेशा सतर्क रहता है। रक्षामंत्री ने कहाकि इन चुनौतियों से निपटने केलिए आईसीजी सक्रिय है और सामरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहाकि बीते एक साल में आईसीजी ने समुद्री सुरक्षा, संरक्षा और मानवीय कार्यों में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। आईसीजी ने 14 नावों और 115 समुद्री लुटेरों को पकड़ा, साथही लगभग 37000 करोड़ रुपये कीमत के मादक पदार्थ जब्त किए, इसके अलावा विभिन्न राहत-बचाव कार्यों के जरिए 169 लोगों की जान बचाई और 29 गंभीर रूपसे घायल लोगों को चिकित्सा सहायता प्रदान की।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इन उपलब्धियों को केवल आंकड़े नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा केप्रति आईसीजी के साहस और समर्पण की कहानी बताया। उन्होंने कहाकि समुद्री सीमाओं पर सतर्क रहकर आईसीजी न केवल अवैध घुसपैठ को रोकता है, बल्कि भारत की संप्रभुता और आंतरिक सुरक्षा को सकारात्मक रूपसे प्रभावित करने में भी मदद करता है। नवीनतम तकनीकी प्रगति के कारण अपरंपरागत ख़तरों के उभरने पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने समुद्री बलों विशेष रूपसे आईसीजी से पारंपरिक खतरों के अलावा साइबर हमलों, डेटा उल्लंघन, सिग्नल जामिंग, रडार व्यवधान और जीपीएस स्पूफिंग जैसी चुनौतियों केप्रति सतर्क रहने का आह्वान किया। राजनाथ सिंह ने कहाकि सुरक्षित और समृद्ध भारत का सपना तभी साकार हो सकता है, जब इसकी सुरक्षा व्यवस्था मजबूत हो और सेनाएं सशक्त हों। उन्होंने आईसीजी की दक्षता बढ़ाने केलिए नरेंद्र मोदी सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहाकि वित्तीय वर्ष 2025-26 केलिए भारतीय तटरक्षक बल को 9,676.70 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो पिछले बजट से 26.50 प्रतिशत अधिक है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि यह आईसीजी के आधुनिकीकरण की दिशामें एक महत्वपूर्ण कदम है एवं आईसीजी को और सशक्त बनाने केलिए 14 फास्ट पेट्रोल वेसल, छह एयर कुशन वाहन, 22 इंटरसेप्टर बोट्स, छह नेक्स्ट जेनरेशन ऑफशोर पेट्रोल वेसल और 18 नेक्स्ट जेनरेशन फास्ट पेट्रोल वेसल की खरीद को मंजूरी दी गई है। रक्षामंत्री ने डिजिटल कोस्ट गार्ड परियोजना की आधारशिला रखने की सराहना करते हुए आईसीजी के तकनीकी प्रगति पर ध्यान केंद्रित करने की बात कही। उन्होंने कहाकि ये सभी प्रयास आईसीजी को पारंपरिक और अपारंपरिक खतरों से प्रभावी ढंग से निपटने केलिए निरंतर मजबूत करेंगे। उन्होंने इस उद्देश्य को प्राप्त करने में सरकार के पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया। समारोह से पहले रक्षामंत्री ने औपचारिक सलामी गारद का निरीक्षण किया, जो इस अवसर की गंभीरता और महत्व को दर्शाता है। राजनाथ सिंह ने पुरस्कृत तटरक्षकों के परिजनों से भी मुलाकात की। कार्यक्रम में रक्षा राज्यमंत्री संजय सेठ, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह, आईसीजी के महानिदेशक परमेश शिवमणि, आईसीजी और रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।