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Friday 12 July 2013 01:17:02 PM
नई दिल्ली। पोषण खूबसूरती के लिए पहली जरूरत है। हमारे देश में एलोपैथी के साथ आयुर्वेद, योग, सिद्ध और सोवा-ऋग्पा का भी शांतिपूर्ण अस्तित्व है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आज़ाद ने आज नई दिल्ली में यह बात कही। वीएलसीसी खूबसूरती एवं पोषण संस्थान के 12वें दीक्षांत समारोह में आज़ाद ने कहा कि हमारे यहां अनेक प्रकार की स्वास्थ पद्धतियां हैं, जहां सरकार एकीकृत एवं समग्र स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए मान्यता प्राप्त प्रत्येक स्वास्थ्य पद्धति को विकसित होने और उसे अमल में लाने के सभी अवसर उपलब्ध कराती है। उन्होंने कहा कि हम जनता के हित के लिए प्रयोग में लाई जा रही और सिद्ध चिकित्सा पद्धतियों का खुले दिल से स्वागत करते हैं, इसीलिए प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति भी भारत में मान्यता प्राप्त स्वास्थ्य पद्धति है।
गुजरात, राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश जैसी राज्य सरकारों ने प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति को मान्यता दे रखी है। मंत्री ने कहा कि आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे पांच राज्यों ने प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति के डॉक्टरों के पंजीकरण के लिए प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति विकास बोर्ड स्थापित किए हैं। इस समय देश में प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति के छह सरकारी अस्पताल हैं। इनमें से दो केरल, दो कर्नाटक, एक आंध्र प्रदेश और एक तमिलनाडु में है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन योजना के तहत विभिन्न राज्यों में प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति के 100 से अधिक डॉक्टर हैं। इसके अलावा निजी क्षेत्र में प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति के 100 से अधिक बिस्तर वाले 20 अस्पताल तथा 50-100 बिस्तर वाले 100 से अधिक अस्पताल हैं।
आज़ाद ने कहा कि 1960 के दशक से सरकारी स्वास्थ्य प्रणाली में पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को भी जगह दी गई जब केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना के तहत आयुष अस्पताल बनाए गए। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत इस पर अधिक बल दिया गया जहां पारंपरिक एवं आधुनिक सभी चिकित्सा पद्धतियों को एकसाथ फलने-फूलने का अवसर दिया गया। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत आयुष को मुख्यधारा में लाने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 550 करोड़ रुपये से अधिक का सहायता अनुदान जारी किया गया है। यह धन 803 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, 113 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, 24 जिला अस्पतालों में नई आयुष सुविधाएं उपलब्ध कराने तथा 379 मौजूदा आयुष अस्पतालों और 415 औषधालयों के उन्नयन के लिए दिया गया।
इस समय देश में 504 आयुष शिक्षा संस्थान हैं, जिनमें 11 स्नातकोत्तर महाविद्यालय शामिल हैं। इनमें 27,000 विद्यार्थी हर साल दाखिला लेते हैं। इनमें प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति एवं योग में डिग्री स्तर की शिक्षा उपलब्ध कराने वाले 16 महाविद्यालय शामिल हैं। दुनिया में पारंपरिक एवं वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति के सबसे अधिक शिक्षण संस्थान भारत में हैं।