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Tuesday 16 July 2013 06:39:54 AM
नई दिल्ली। केंद्रीय विद्यालयों की 25 वीं राष्ट्रीय युवा संसद प्रतिस्पर्धा के लिए पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन सोमवार को संसद के पुस्तकालय भवन के जीएमसी बालयोगी सभागार में किया गया। मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री डॉ शशि थरूर ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की एवं वर्ष 2012-13 के शैक्षणिक सत्र में आयोजित हुई प्रतिस्पर्धा के विजेता छात्रों/विद्यालयों को उनके शानदार प्रदर्शन के लिए पुरस्कार वितरित किये। इस अवसर पर प्रतिस्पर्धा में प्रथम स्थान पाने वाले केंद्रीय विद्यालय पंगोडे, त्रिवेंद्रम ने ’युवा संसद’ की एक छोटी प्रस्तुति भी दी। सन् 1966 में एक साधारण सी शुरूआत, जिसका पहला आयोजन संसदीय मामलों के मंत्रालय ने दिल्ली प्रशासन के 16 विद्यालयों में किया था से, शुरू हुई युवा संसद योजना के अंतर्गत अब राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के 1200, केंद्रीय विद्यालय के 1200, जवाहर नवोदय विद्यालय के 600 और देश भर से विभिन्न 300 विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों से प्रतिभागी आते हैं।
युवा संसद योजना का उद्देश्य छात्रों को लोकतंत्र की पहचान के रूप में संसद की प्रक्रियाओं, बहस और चर्चा की तकनीक और नेतृत्व क्षमता विकास, स्वशासन की भावना और विविध विचारों को सहन करने से अवगत कराना है। जिन केंद्रीय विद्यालयों के छात्रों, अध्यापकों ने मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री से ट्रॉफियां और पुरस्कार ग्रहण किये हैं वे इस प्रकार हैं- केंद्रीय विद्यालय, पंगोडा त्रिवेंद्रम केरल, केंद्रीय विद्यालय ओएनजीसी देहरादून, केंद्रीय विद्यालय नंबर 4 कोरबा (बीसीपीपी), केंद्रीय विद्यालय एएफएस जोधपुर, केंद्रीय विद्यालय आइजोल, केंद्रीय विद्यालय नम्बर 4 अंबाला कैंट, केंद्रीय विद्यालय नंबर 1 भोपाल, केंद्रीय विद्यालय पुरी, केंद्रीय विद्यालय पुरानी छावनी इलाहाबाद, केंद्रीय विद्यालय वीएफ जबलपुर, केंद्रीय विद्यालय एससी पुणे, केंद्रीय विद्यालय खानपारा, केंद्रीय विद्यालय हिनू रांची, केंद्रीय विद्यालय नंबर 1 वास्को गोवा, केंद्रीय विद्यालय डिब्रूगढ़, केंद्रीय विद्यालय कंकरबाग पटना, केंद्रीय विद्यालय, नंबर 1 ग्वालियर, केंद्रीय विद्यालय तिरूपति, केंद्रीय विद्यालय जिपमेर पुडुचेरी, केंद्रीय विद्यालय नंबर 2 चकेरी कानपुर, केंद्रीय विद्यालय इएमइ बड़ौदा, केंद्रीय विद्यालय नंबर 2 जालंधर, केंद्रीय विद्यालय बैरकपोर, केंद्रीय विद्यालय एएफएस गुड़गांव और केंद्रीय विद्यालय पठानकोट।