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Tuesday 16 July 2013 07:41:28 AM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केंद्र परिसर पूसा, नई दिल्ली में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के 85वें स्थापना दिवस पर व्याख्यान दिया। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि हमें बारहवीं पंचवर्षीय योजना अवधि में कृषि वृद्धि दर का लक्ष्य हासिल करने के लिए उच्च पैदावार हासिल करनी होगी, फसल विविधीकरण, पुराने बीजों के स्थान पर नए बीज लाने की दर में सुधार, अधिक उपज देने वाली किस्मों को अपनाने तथा जल प्रबंधन की परिपाटियों में सुधार जैसे पैदावार केंद्रित उपायों पर ज्यादा ध्यान देना होगा।
राष्ट्रपति ने भारतीय कृषि अनुसंधान प्रणाली से आह्वान किया कि वह भारतीय कृषि अनुसंधान के समक्ष आ रही चुनौतियों का तकनीकी समाधान तलाश करें। राष्ट्रपति ने कहा कि अनुसंधान संस्थान को लाखों छोटे और आर्थिक रूप से कमजोर किसानों तक अपनी पहुंच बनानी चाहिए। कृषि वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं के सामने मुखर्जी ने खासतौर पर गुणवत्ता युक्त बीज उत्पादन, कृषि-प्रसंस्करण, कृषि उत्पाद की कटाई के बाद देखभाल और अनुवांशिक रूप से उन्नत बनाई गई फसलों को उगाना एवं जलवायु परिवर्तन के लिए कृषि तैयारी जैसे मुद्दों पर विशेष ध्यान दिए जाने पर जोर दिया।
राष्ट्रपति ने कहा कि कृषि शिक्षा और विस्तार कार्यक्रमों के जरिए किसान समुदाय में उर्वरकों और कीटनाशकों के संतुलित इस्तेमाल की आवश्यकता का प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-आइसीएआर और अन्य कृषि संस्थान उर्वरक इस्तेमाल की दक्षता को बढ़ावा देने के काम मे लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि आधुनिक प्रौद्योगिकी इस तरह से इस्तेमाल में लाया जाना चाहिए कि उससे फसल की किस्म, सही कृषि पद्धतियों और अपनी उपज बेचने के लिए सही मंडियों के चयन के संबंध में किसानों को निर्णय लेने में मदद मदद मिल सके।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में करीब 85 प्रतिशत किसानों के पास 2 हेक्टेयर से भी छोटी जोत है, जो उत्पादन की पूरी क्षमता हासिल करने में बाधा बनती है। ऐसी भूमिजोतों में उपज बढ़ाने के लिए किफायती, हल्के, बहु-उद्देश्यीय कृषि उपकरण विकसित करने आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि छोटी जोतों का मशीनीकरण समय की जरूरत है, क्योंकि इससे व्यस्त सीजन के दौरान श्रम की कमी भी दूर हो सकती है। प्रभावशाली ऊर्जा प्रबंधन से कृषि में मशीनीकरण को सुगम बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पारंपरिक ईंधनों पर निर्भरता कम करने और टिकाऊपन सुनिश्चित करने के लिए हमारे शोध संस्थानों को सौर ऊर्जा एवं जैव ईंधनों जैसे नवीकरणीय ऊर्जा मॉडलों पर ध्यान देना चाहिए। राष्ट्रपति ने किसान एसएमएस पोर्टल का शुभारंभ किया तथा आसीएआर राष्ट्रीय पुरस्कार भी प्रदान किए।
कृषि और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री शरद पवार ने भी गरीबों के लिए कृषि अनुसंधान और विकास और अगली पीढ़ी की तकनीकों को विकसित करने के लिए निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के अनुसंधान और विकास संगठनों के एक संसाधन युक्त समूह का आह्वान किया। पवार ने उम्मीद जताई कि उत्पादकता में वृद्धि और कटाई के बाद फसल के उन्नत रख-रखाव एवं प्रसंस्करण से भारत विश्व में अग्रणी खाद्य आपूतिकर्ताओं में से एक होगा साथ ही एक अरब से ज्यादा लोगों के बढ़ते हुए व्यापक घरेलू बाजार की आवश्यकताओं को भी पूरा करेगा। स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित बैठक में कृषि और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री डॉ चरण दास महंत और तारिक अनवर भी शामिल हुए। राष्ट्रपति और कृषि मंत्री ने आईसीएआर के कई महत्वपूर्ण प्रकाशनों का भी विमोचन किया और कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा के क्षेत्र में शानदार काम कर रहे संस्थानों, वैज्ञानिकों और पत्रकारों को पुरस्कार भी प्रदान किए।