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Wednesday 24 July 2013 11:28:22 AM
नई दिल्ली। कृषि और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री शरद पवार ने आज दावा किया कि दूध और दूध से बने उत्पादों की बढ़ती मांग को पूरा करने में 2200 करोड़ रुपये के निवेश वाली महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय डेयरी योजना से मदद मिलेगी। वर्ष 2016-17 तक देश में दूध की जरूरत बढ़कर 15 करोड़ टन हो जाने का अनुमान है। भारत डेयरी शिखर सम्मेलन 2013 को संबोधित करते हुए शरद पवार ने कहा कि वर्तमान में 12 करोड़ 80 लाख टन दूध उत्पादन की क्षमता के साथ भारत दुग्ध उत्पादक देशों के बीच अग्रिम स्थान रखता है। इस योजना के तहत इसमें 2 करोड़ 20 लाख टन की वृद्धि करने के लिए उत्पादकता बढ़ाने, दूध को खरीद कर बाजार तक पहुंचाने के लिए ग्रामीण स्तरीय ढांचे का विस्तार किया जाएगा और उसे सशक्त बनाया जाएगा।
योजना के बारे में विस्तार से बताते हुए पवार ने कहा कि इसके तहत अनुवांशिक संभावनाओं वाले दुधारू मवेशियों की संख्या बढ़ाना, जरूरत के मुताबिक अच्छे बैल जुटाना, उच्च गुणवत्ता वाला फ्रोजन सीमन बनाना, प्रबंधन की वैज्ञानिक पद्धतियों को बढ़ावा देना, रोगों पर कारगर ढंग से काबू पाने के लिए उपयुक्त जैव सुरक्षा उपाय अपनाना शामिल है। यह योजना एनडीडीबी और कार्यान्वयन एजेंसियों के माध्यम से लागू की गई है। एनडीपी-1 में देश के कुल दुग्ध उत्पादन की 90 प्रतिशत से ज्यादा मात्रा का उत्पादन करने वाले 14 प्रमुख दुग्ध उत्पादक राज्यों पर ध्यान दिया गया है, इनमें उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, ओडि़शा और केरल शामिल हैं। एनडीपी का कार्यान्वयन हालांकि गुणवत्ता वाले बैलों की उपलब्धता और वीर्य तथा बेहतर प्रबंधन पद्धतियों के संदर्भ में सभी राज्यों के लिए फायदेमंद होगा।
शरद पवार ने इस बात पर जोर दिया कि और ज्यादा किसानों को संगठित क्षेत्र के दायरे में लाए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत के डेयरी क्षेत्र के त्वरित विस्तार का श्रेय सहकारी आंदोलन को जाता है। आज करीब डेढ़ करोड़ किसान डेढ़ लाख ग्राम स्तरीय डेयरी सहकारी समितियों के तत्वावधान में संगठित क्षेत्र के दायरे में हैं। भारत ने सहकारी और निजी क्षेत्र दोनों में दूध और दूध से बने उत्पादों की खरीद, प्रसंस्करण और विपणन की पर्याप्त क्षमता हासिल की है। इस समय करीब 30 प्रतिशत बिक्री योग्य अतिरिक्त दूध का विपणन संगठित क्षेत्र के माध्यम से किया जाता है। इस पंचवर्षीय योजना की समाप्ति तक कम से कम 50 प्रतिशत दूध का प्रबंधन संगठित क्षेत्र को करना होगा। देश में दूध और दूध से बने उत्पादों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए किसानों से खरीदे गए दूध को ठंडा रखने के लिए कोल्ड चेन सुविधा तैयार करने की दिशा में निवेश के लिए सहकारी और निजी क्षेत्र दोनों को आगे आना होगा।