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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि महानगरों की योजना, सड़कों, एक्सप्रेस मार्गों और राजमार्गों के बेहतर और बड़े नेटवर्क का जाल बिछा कर कनेक्टीविटी बढ़ाने तथा समाज के कमजोर वर्गों के लिए उचित दाम के आवासों के साथ-साथ सार्वजनिक परिवहन के विस्तार पर तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता है, नगर आयोजकों को नगर योजना के परंपरागत सिद्धांतों पर भी फिर से विचार करना चाहिए, पुराने समय में मास्टर प्लान बनाते समय गरीब लोगों के आवास और उनके कामकाज के लिए बहुत बड़ी आवश्यकताओं की जरूरत महसूस नहीं की गई, इसे बदलना चाहिए और जल्द बदलना चाहिए, सतत शहरी विकास की किसी भी नीति में गरीबों के लिए आवास की व्यवस्था करना महत्वपूर्ण है।
जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन की छठीं वर्षगांठ पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन मेंउन्होंने कहा है कि जब हमारी सरकार ने 2005 में जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन की शुरूआत की थी, तो हमने यह माना था कि शहरीकरण, विकास प्रक्रिया का स्वाभाविक हिस्सा है, जो हमारे शहरों और कस्बों को आर्थिक विकास में भूमिका निभाने के लिए तैयार करने की नीति के अंतर्गत स्वयं होता जाएगा, हम अब विकास की ऐसी स्थिति में पहुंच गए हैं, जहां समग्र और सतत् विकास में तेजी लाने में शहरी भारत एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, यह बात उस समय बिल्कुल सही साबित होती है, जब शहरी और ग्रामीण विकास प्रक्रियाओं में तालमेल रखने के प्रयास किए जाते हैं।
उन्होंने कहा कि आज शहरी भारत, देश के सकल घरेलू उत्पाद में दो तिहाई का योगदान देता है, इसलिए भारतीय शहरों की स्थिति में सुधार से विकास और उन्नति का महत्वपूर्ण अवसर मिलेगा, देश में काम करने की उम्र वाले युवाओं की बढ़ती संख्या भी है, जो नौकरियों और रोजगार की तलाश में अकसर शहरों की और रूख करती है, इसलिए हमें उद्योगों और सेवा क्षेत्रों में रोजगार के अधिक अवसर पैदा करने पर और कृषि क्षेत्र में उत्पादकता बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए, ताकि गरीबी के बोझ को कम किया जा सके, तथा खुले और लोकतांत्रिक समाज का विकास आसानी से हो।
प्रधानमंत्री ने कहा कि शहरी नवीनीकरण मिशन के पहले छह वर्षों में जो अनुभव प्राप्त हुए हैं, वे मिलेजुले हैं, लेकिन जो अच्छा काम हुआ है और हमें जो सीखने को मिला है, उससे हम उत्साहित हैं। इस मिशन की शायद सबसे बड़ी उपलब्धि है, इस बात के प्रति जागरूकता कि आधुनिक भारत की आकांक्षाओं के अनुरूप शहरी आवासों के लिए योजना बनाई जाए।उन्होंने कहा कि हमारे सामने जो चुनौतियां है, वास्तव में वह बहुत ज्यादा हैं, तेज विकास से शहरीकरण में भी तेजी आएगी, जो स्वाभाविक है, इसके परिणाम स्वरूप हमारी शहरी जनसंख्या के मौजूदा 37 करोड़ 70 लाख से बढ़कर वर्ष 2031 तक 60 करोड़ से अधिक हो जाने का अनुमान है, कई शहरों का विकास बाहरी हिस्सों में होगा, जिनमें छोटी नगरपालिकाएं होंगी और बड़े शहरों के ईर्दगिर्द के गांव महानगर क्षेत्र का हिस्सा होंगे।
मनमोहनसिंह ने कहा कि राजीव आवास योजना का उद्देश्य सलम बस्तियों का फिर से विकास करना है और उचित दाम वाले आवास तैयार करना है, इसके लिए उन राज्यों कोकेंद्र सरकार आर्थिक सहायता भी देने को तैयार है, जो सलम आवासियों को मालिकाना अधिकार देने को तैयार हों, इस सुधार से शहरी गरीब भी शहरों के आर्थिक और विकास में हिस्सेदार बन सकेंगे। इस योजना के सफल कार्यांवयन के लिए बैंक से ऋण का मिलना भी बहुत महत्वपूर्ण है, और मालिकाना अधिकार देने से ऋण मिलने में सहायता होगी। आर्थिक दृष्टि से कमजोर वर्गों और बहुत कम आमदनी वाले समूहों को बैंक अधिक मात्रा में ऋण दें, इसके लिए चालू वर्ष में ही एक हजार करोड़ रूपये की निधि से एक ऋण जोखिम गारंटी कोष बनाने पर विचार कियाजा रहा है। यह बात ध्यान देने लायक है कि शहरी बदलाव में जो मुख्य बातें सहायक हैं, प्रशासन उनमें सबसे कमजोर कड़ी है और जबतक हमारी संस्थाओं में सुधार नहीं होता और उनका संचालन ठीक ढंग से नहीं होता, वे न तो शहरी बुनियादी ढांचे के निर्माण और रखरखाव के लिए आवश्यक विशाल निवेश राशि आकर्षित कर सकेंगी और न ही सतत रूप से कुशल सेवाएं प्रदान कर सकेंगी।
उन्होंने कहा कि शहरी स्थानीय निकायों की क्षमताओं में कुछ सुधार हुआ है, लेकिन अभी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। सभी राज्यों में नगरपालिका की कार्यशैलियों में सुधार की आवश्यकता है, शहरी आयोजना, प्रबंधन और वित्त संबंधी प्रशिक्षण कार्यक्रमों से क्षमताओं के निर्माण में बहुत सहायता मिलेगी। इंजीनियरों, लेखाकारों, जल और सफाई विशेषज्ञों आदि के पेशेवराना सहयोग को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, शहरी आयोजना के मौजूदा स्कूलों के उन्नयन और विस्तार तथा शहरी प्रबंधन में नए उत्कृष्टताकेंद्र स्थापित करने की तुरंत आवश्यकता है। ई-प्रशासन इन सभी समस्याओं के हल में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। जीआईएस, जीपीएस, जीपीआरएस जैसी उन्नत प्रौद्योगिकियां, बेहतर तरीके से जनसेवाएं प्रदान करने के लिए बहुत शक्तिशाली साधन हैं। इस कार्य में सूचना प्रौद्योगिकी की तकनीकें और साफ्टवेयर पैकेज भी ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल किए जा रहे हैं। हमारे देश में या अन्य देशों में जो तकनीकें उपलब्ध हैं, उन्हें स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार ढाल कर इस्तेमाल किया जा सकता है।
प्रधानमंत्रीने कहा कि डॉ ईशर अहलुवालिया की अध्यक्षता में बनी उच्चस्तरीय विशेषज्ञ समिति ने स्थानीय निकायों की वित्त व्यवस्था में सुधार के लिए कई नई सिफारिशें की हैं। इन सिफारिशों में संविधान में स्थानीय निकाय वित्त सूची शामिल करना, निकायों को विशेष प्रकार के कर लगाने का अधिकार देना, गरीबों की आवश्यकताओं का ध्यान रखते हुए सार्वजनिक भूमि के मूल्य निर्धारण के लिए पारदर्शी और जवाबदेही व्यवस्था बनाना आदि जैसे सुझाव शामिल हैं, हालांकि इन सुझावों पर पूरी चर्चा किए जाने की आवश्यकता है, लेकिन यह स्पष्ट है कि जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन के अगले चरण की बड़ी चुनौतियों में स्थानीय निकायों के आंतरिक राजस्व को बढ़ाना और बुनियादी कार्यक्रम और सेवाओं के लिए उऩकी क्षमता को मजबूत करना जरूरी है। हमारी नीतियां बड़े और छोटे शहरों के लिए एक जैसी नहीं हो सकतीं जिस तरह से बड़े शहरों और महानगरों की नीतियां हैं, छोटे शहरों के लिए उनसे अलग नीतियां बनानी होंगी, चाहे वह वित्त का मामला हो या सुधार प्रक्रिया में तेजी लाना हो। बड़े शहरों और महानगरों में सरकारी-निजी क्षेत्र भागीदारी को बड़ी भूमिका के लिए प्रोत्साहित करना होगा।
मनमोहन सिंह ने कहा कि शहरी विकास में भागीदारी की सोच पर और अधिक ध्यान देना होगा, सेवाएं प्रदान करने के संबंध में सिटीजन चार्टर (नागरिक घोषणा पत्र) बनाया जा सकता है, ताकि सरकारी और निजी क्षेत्र के सेवा प्रदाता नागरिकों के प्रति जवाबदेह हो सकें। हमें सरकारी-निजी-जन भागीदारियों को बढ़ावा देना होगा, देश के कई भागों में आवासीय कल्याण समितियां काफी मजबूत हैं और दूसरों के लिए प्रेरणादायक हैं, इन्हें और प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है, शहरी आयोजना और परियोजना तैयारी प्रक्रियाओं में भी सतत सेवाओं की धारणा को शामिल करना जरूरी है, इसके लिए शहरी प्रशासनों और राज्य सरकारों को राष्ट्रीय दिशा निर्देशों और मानकों के अनुरूप समुचित उप-कानून और नियम बनाने होंगे तथा सतत विकास की प्रक्रियाओं और प्रौद्योगिकियों को प्रोत्साहित करना होगा।
प्रधानमंत्रीने कहा कि राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन के अगले चरण में क्षेत्रीय विकास के प्रति एकीकृत और समग्र दृष्टिकोण अपनाना होगा, शहरी भारत में निवेश के लिए अनुकूल परिस्थितियां बनानी होंगी तथा विनिर्माण क्षेत्र और मूल्य संवर्धित सेवा क्षेत्रों में रोजगार बढ़ाने होंगे, ऊर्जा-कुशल सार्वजनिक परिवहन पर भी विशेष ध्यान देना होगा, इसमें से ज्यादातर कार्य राज्य सरकार के स्तर पर होने हैं, इन सभी क्षेत्रों में हमें राजनीतिक इच्छा शक्ति और दृढ़ संकल्प को दर्शाना होगा। उन्होंने मंत्रिमंडल के सहयोगी कमलनाथ और कुमारी सैलजा को को बधाई दी, जिनके नेतृत्व में अनेक बाधाओं और चुनौतियों के बावजूद शहरी मिशन आगे बढ़ा है।