स्वतंत्र आवाज़
word map

उद्योग जगत कृषि-रसायन के अनुसंधान में करे निवेश

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 30 July 2013 11:12:26 AM

नई दिल्‍ली। सरकार ने एग्रोकेमिकल उद्योग से कृषि-रसायन क्षेत्र में अनुसंधान और विकास तथा नवाचार के लिए निवेश करने का आह्वान किया है। दो दिन तक चलने वाले तीसरे राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन को संबोधित करते हुए रसायन और उर्वरक मंत्रालय के रसायन और पेट्रोकेमिकल विभाग में सचिव इंद्रजीत पाल ने कहा कि वैश्विक स्‍तर पर प्रतिस्‍पर्धी बने रहने के लिए उद्योग को उत्‍पादों में नावचार लाने की ज़रूरत है, जिसके लिए आधुनिक अनुसंधान और विकास प्रयोगशालाओं तथा वित्‍तीय संसाधनों की जरूरत होगी। इंद्रजीत पाल ने कहा कि भारतीय रसायन क्षेत्र अनुसंधान और विकास पर विकसित देशों के रसायन उद्योग के करीब 5-10 प्रतिशत के मुकाबले अपने कुल सकल कारोबार का 1-2 प्रतिशत खर्च करता है।
कृषि रसायनों की गुणवत्‍ता सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने देशभर में 71 कीटनाशक परीक्षण प्रयोगशालाएं स्‍थापित की हैं, जिसमें 68 राज्‍य प्रयोगशालाएं, 2 क्षेत्रीय प्रयोगशालाएं और 1 केंद्रीय प्रयोगशाला शामिल है। विनिर्माण इकाइयों को जीएमपी (अच्‍छी विनिर्माण पद्धतियां) अपनानी चाहिए और किसानों को उत्‍तम उत्‍पाद उपलब्‍ध कराने के लिए सभी आवश्‍यक उपाय करने चाहिएं। उन्‍होंने कहा कि इंस्‍टीट्यूट ऑफ एग्रोकेमिकल फॉर्मयूलेशन टेक्‍नॉलोजी (आईपीएफटी) एग्रोकेमिकल उद्योग के लिए आधुनिक और पर्यावरण-अनुकूल फॉर्मयूलेशंज़ विकसित कर रहा है। पिछले 5-6 वर्ष के दौरान आईपीएफटी ने अनेक फॉर्मयूलेशंज़ विकसित किए हैं तथा इसे उद्योगों को उपलब्‍ध कराया है।
लगभग 1.2 बिलियन जनसंख्‍या के साथ भारत को सभी के लिए खाद्य सुरक्षा सनिश्चित करने हेतु सुदृढ़ और आधुनिक कृषि क्षेत्र की ज़रूरत है। कृषि उत्‍पादकता को बढ़ाने तथा कटाई से पहले और बाद में फसलों को होने वाले नुकसान के लिए कीटनाशक या कृषि-रसायन बहुत ज़रूरी है। भारतीय कृषि क्षेत्र और अर्थव्‍यवस्‍था के टिकाऊ विकास के लिए इनका उचित इस्‍तेमाल महत्‍वपूर्ण है। यह सम्‍मेलन भारतीय वाणिज्‍य और उद्योग महासंघ (फिक्‍की) तथा भारत सरकार के रसायन और पेट्रोकेमिकल विभाग, उर्वरक विभाग तथा कृषि और सहयोग विभाग ने संयुक्‍त रूप से आयोजित किया है।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]