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Tuesday 6 August 2013 11:01:14 AM
नई दिल्ली। भारतीय वन सेवा 2012 के 79 परिवीक्षाधीन अधिकारियों के समूह ने आज राष्ट्रपति भवन में भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने परिवीक्षाधीन अधिकारियों को इस काफी मुश्किल परीक्षा में सफल होने पर बधाई दी। उन्होंने ज़ोर दिया कि पर्यावरण को हो रहे नुकसान, ग्लोबल वार्मिंग आदि जैसे मुद्दों पर तत्काल ध्यान देने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इन मुद्दों पर अपनी राय रखते वक्त हम अपने बचाव के प्रयासों की ज़रूरतों को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड त्रासदी से हम इस संबंध में सीख ले सकते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि धरती इंसान की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराती है, लेकिन उसके लालच को पूरा नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि परिवीक्षाधीन अधिकारी जो अपने कार्य के दौरान ज्ञान और विशेषज्ञता हासिल करेंगे, उससे पूरे देश को फायदा होगा तथा हम विश्व को वैसा बना सकेंगे जैसा हम चाहते हैं। यह परिवीक्षाधीन अधिकारी फिलहाल इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी देहरादून में वन, वन्यजीव और पर्यावरण में टिकाऊ प्रबंधन तथा प्रशासन के विभिन्न पहलुओं में प्रशिक्षण ले रहे हैं। इन 79 परिवीक्षार्थियों में भूटान से 2 विदेशी प्रशिक्षु तथा 22 महिला अधिकारी हैं।
इस अवसर पर पर्यावरण और वन मंत्रालय में सचिव डॉ वी राजागोपालन, पर्यावरण और वन मंत्रालय में महानिदेशक तथा विशेष सचिवके जूद सेकर तथा इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी के निदेशक आरके गोयल उपस्थित थे।