खुर्शीद आलम
नई दिल्ली। भारत में प्रधानमंत्री निवास के पास बम विस्फोट को लेकर जहां विभिन्न मुस्लिम संगठनों ने इसे इजराइल का कारनामा बताया है वहीं उर्दू अख़बारों ने इस पर संपादकीय भी लिखे हैं। मुस्लिम संगठनों के पदाधिकारियों के बयानों को दैनिक ‘इंकलाब’ ने प्रमुखता से प्रकाशित किया है। जामा मस्जिद यूनाइटेड फोरम के अध्यक्ष यह्या बुखारी ने कहा है कि इसमें संदेह नहीं कि ईरान पर हमले का माहौल बनाया जा रहा है, ईरान इस तरह का धमाका करके छिछोरी हरकत नहीं करता। सारी दुनिया इजराइल के बारे में अच्छी तरह जानती है, इस हमले में इजराइल का ही हाथ है। इजराइल, ईरान को बदनाम करके इस पर हमले का माहौल बना रहा है। ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल के महासचिव डॉ मोहम्मद मंजूर आलम ने इस मानवता विरोधी घटना की निंदाकरते हुए कहा है कि यह मैग्नेटिक बम विस्फोट है, इससे पूर्व यह विस्फोट ईरान में किया गया था, जिसमें ईरान का एक वैज्ञानिक मारा गया था।
भारत मेंहुआ विस्फोटयह चिन्हित करता है कि इस तरह के विस्फोट के विशेषज्ञ सीआईए और मोसाद हैं। मुस्लिमपॉलिटिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ तसलीम रहमानीने कहा कि इस धमाके की जांच कराई जाए तो इसमें इजराइल का ही हाथ निकलेगा। ईरान और इजराइलकी लड़ाई में भारत का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। मजलिस उलेमा हिंद के अध्यक्ष मौलानासैयद कल्बे जव्वाद ने कहा कि ईरान पर इस तरह का आरोप लगाना बिल्कुल गलत है, क्योंकि ईरान कभी आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त नहींरहा है, इजराइलदूतावास की कार में जो धमाका किया गया है, वह इजराइल ने खुद ही कराया है। वैलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के महासचिव डॉ सैयद कासिम रसूल इलियास ने कहा कि इजराइल बुनियादी तौरपर आतंकी देश है, इसने विभिन्नदेशों में आतंक फैला रखा है, दूसरे देशोंमें आतंक फैलाना इसका मिजाज है, विस्फोटकी घटना इजराइल के किए की प्रतिक्रिया हो सकती है, यह भी संभव है कि यह विस्फोट भी इसी ने कराया हो, इसके लिए हर चीज संभव है, वह इस तरहके षड्यंत्र में लिप्त रहता है।
जमाअत उलेमा हिंद के महासचिव मौलाना महमूदमदनी ने विस्फोट की भर्त्सना करते हुए कहा कि भारत में धमाके और अरब देशों एवं ईरानमें वहां के वैज्ञानिकों को मारे जाने वाले धमाकों में समानता पाई जाती है, इजराइल आजकी तारीख में आतंकवाद का द्योतक बन चुका है, इस संदर्भ में इस तरहके विस्फोट से बहुत से अर्थ निकाले जा सकते हैं। ‘बेशक धमाका दिल्ली में हुआ पर निशाने पर इजराइल’ के शीर्षक से दैनिक ‘प्रताप’ के संपादक अनिल नरेंद्रने अपने संपादकीय में चर्चा करते हुए लिखा है कि प्रधानमंत्री निवास से महज 400 मीटर की दूरी पर सोमवारदोपहर इजराइली दूतावास की कार में जोरदार विस्फोट हो गया। धमाके के बाद कार में आगलग गई, जिससे उसमेंसवार एक इजराइली महिला अधिकारी सहित चार लोग घायल हो गए। मोटरसाइकिल सवार आतंकी नेमैग्नेटिक डिवाइस (स्टिकी बम) से चलती इनोवा गाड़ी मेंधमाका किया। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक जिस तरह के बम का इस्तेमाल इस हमले में हुआहै, वह पहली बारदेखा गया है, इसे स्टिकीबम कहा जाता है, जिसके चलतेइसे किसी वाहन पर चिपका दिया जाता है, इसमें चिपकन का काम बम के साथ लगी मैग्नेट यानि चुंबक करती है, जो कार कीलोहे की बॉडी पर हल्के से छूते ही सख्ती से चिपक जाती है।
दिल्ली पुलिस के वरिष्ठअधिकारियों के मुताबिक इसमें प्लास्टिक विस्फोटक का इस्तेमाल हल्केपन के लिए किया गयाहै, साथ ही बमफटने की टाइम सेटिंग मैकेनिज्म भी अपने में नया है। इस प्रकार के बम का इस्तेमाल होना सुरक्षा केलिए गंभीर चुनौती है। अब तक इस तरह के बमों का उपयोग ईरान और कुछ अरब देशों में होतापाया गया है। माना जा रहा है कि दिल्ली में हुए इस हमले में नाइट्रेग्लिसरीन, सल्फर व पोटेशियम क्लोरेट का इस्तेमाल किया गयाहै। अरब देशों और इजराइल के बीच की लड़ाई में अब भारत भी आ गई है। इसाई बनाम इस्लामकी लड़ाई आजकी नहीं, हजारों वर्षपुरानी है, ईरान पर किसीभी समय अब इजराइल-अमेरिका हमलाकर सकते हैं, कहीं दिल्लीमें इस विस्फोट से मामले और ज्यादा न बढ़ जाए?
‘झूठ के सुपर पॉवर’ के शीर्षक से दैनिक ‘इंकलाब’ ने संपादकीय में लिखा है कि नई दिल्ली में इजराइली उच्चायोगकी कार धमाके का शिकार हुई ही थी कि तेल अबीब ने तेहरान को जिम्मेदार करार दिया, जैसे उसके पास धमाके की जांच, धमाका होने के पहले से ही मौजूद हो या फिर उसे मालूम हो कि ऐसी कोई घटना होने वालीहै, इसीलिएइधर घटना हुई और उधर उसने तेजी से ईरान को दोषी ठहरा दिया। अतीत की घटनाओं पर विचारकिया जाए तो मालूम होता है कि तुरंत आरोप लगाना आतंकी ताकतों का काम है। मकसद यह होताहै कि झूठ इतनी बार बोला जाए कि हर कोई इसे सच मान ले। अमेरिकी राष्ट्रपति जब मुस्लिमजगत को संबोधित करते हैं तो यह साबित करने में लगे रहते हैं कि उनके हृदय में मुस्लिमजगत का दर्द कूट-कूट करभरा है, लेकिन उनकाआतंक? मुस्लिमदेशों के खिलाफ उनका आतंक कभी नहीं रुकता। नई दिल्ली में होने वाले बम धमाके के पीछेईरान विशेषकर हिजबुल्ला का हाथ देख लिया गया (क्योंकि अमरीका वही हाथदेखना चाहता था) और अब देखिएकिस तरह वाशिंगटन भी पैंतरा बदलता है। इन ताकतों की आंख में ईरान एक लंबे समय से खटकरहा है, इसलिए किसीन किसी बहाने से उसे निशाना बनाने और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अकेला करने की कोशिश कीजा रही है। इसके लिए भी झूठ का सहारा लिया जा रहा है और इसी का प्रचार किया जा रहाहै, यह भूलकरकि तेहरान यदि चाहे तो मिनटों में तेल अबीब को तिगनी का नाच नचा दे।
दैनिक ‘राष्ट्रीय सहारा’ ने ‘इजराइलीसरकार की आपराधिक अंतरआत्मा’ शीर्षकसे अपने संपादकीय में लिखा है कि इजराइली प्रधानमंत्री बैनजामिन नेतन्याहू ने पहलेयह बयान दिया कि इन घटनाओं में ईरान का हाथ है, लेकिन चंद मिनटों में अपना बयान बदल दिया और कहा कि इन घटनाओं को लेबनान के हिजबुल्लाने अंजाम दिया है। बयान की यह अचानक तब्दीली इजराइली सरकार की अजीब और ग़रीब लगती है, जिसका दावा है कि मोसाद विश्व की सबसे अच्छी गोपनीय एजेंसीहै। क्या दुनिया की बेहतरीन एजेंसी यह भी पता नहीं लगा सकी कि इन वारदातों में किसकाहाथ है? लेकिन बयानकी यह तब्दीली रसमी नहीं है, सोची-समझी रणनीति का नतीजा है। इजराइल बड़े जोर-शोर से यह प्रचार कर रहा है कि हिजबुल्ला 9/11 जैसे बड़े आतंकवादी हमले की तैयारियां कर रहा है। नई दिल्लीऔर तेल बेसी में हमले किसने किए यह तो अभी तक ठीक से नहीं मालूम, लेकिन इनघटनाओं की रोशनी में इजराइल विशेषकर मोसाद को यह जरूर अहसास हो जाना चाहिए कि कभी-कभी जैसे को तैसा जवाब भी मिल सकता है।