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Thursday 22 August 2013 10:55:11 AM
नई दिल्ली। श्रीलंका की नौसेना के भारतीय मछुआरों पर लगातार हमलों के बारे में आए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जवाब में विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने राज्य सभा में एक वक्तव्य दिया है। उनके वक्तव्य में कहा गया है कि भारत सरकार मछुआरों की सुरक्षा, संरक्षा और कल्याण को सर्वाधिक महत्व देती है। भारतीय मछुआरों पर होने वाले हमलों की घटनाओं संबंधी रिपोर्टों के बारे में उन्होंने बताया कि सरकार ने राजनयिक माध्यमों से श्रीलंका की सरकार के साथ मछुआरों पर की जाने वाली फायरिंग और उन्हें गिरफ्तार किये जाने वाले मुद्दों को उठाया था, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि श्रीलंका की नौसेना संयम से काम करे और भारतीय मछुआरों के साथ मानवीय व्यवहार करे।
उन्होंने कहा कि सदन के सदस्यों को याद होगा कि भारतीय मछुआरों के साथ इस तरह की घटनाओं की बारंबारता को रोकने और मछुआरों की आजीविका तथा उसके मानवीय पक्षों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने 26 अक्तूबर 2008 को एक संयुक्त वक्तव्य के जरिये श्रीलंका की सरकार के साथ सहमति बनाई थी, ताकि इसके तहत अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा को पार कर जाने वाले भारत और श्रीलंका के वास्तविक मछुआरों के मुद्दों पर व्यवहारिक व्यवस्था की जा सके। इन व्यवहारिक व्यवस्थाओं के अंग के रूप में यह तय किया गया था कि भारतीय मछुआरों की नौकाओं पर फायरिंग नहीं की जाएगी और भारतीय मछुआरों की नौकाएं श्रीलंका के समुद्री किनारों पर स्थित वहां की सरकार के घोषित संवेदनशील क्षेत्रों में नहीं जाएंगी।
अक्तूबर 2008 की सहमति के बाद श्रीलंका के अधिकारियों की भारतीय मछुआरों की गिरफ्तारी और उनपर होने वाले हमलों की घटनाओं में कमी आई है। बहरहाल, श्रीलंका इस बात से इंकार करता है कि भारतीय मछुआरों पर होने वाले हमलों और उनको प्रताडि़त करने की गतिविधियों में उसकी नौसेना का हाथ है। श्रीलंका का कहना है कि इस तरह का कोई भी कथित हमला भारतीय समुद्री सीमा में नहीं किया गया है। मछली पकड़ने संबंधी भारत और श्रीलंका के संयुक्त कार्य समूह की चौथी बैठक कोलंबो में 13-14 जनवरी 2012 को हुई थी। इस बैठक में दोनों पक्षों की सरकारों ने दोनों देशों के मछुआरों की सुरक्षा और कल्याण को उच्च प्राथमिकता दिये जाने की प्रतिबद्धता दोहराई थी।
दोनों देश इस बात पर सहमत हैं कि किसी भी परिस्थिति में बल प्रयोग जायज नहीं हो सकता। इस संबंध में दोनों पक्षों ने सभी मछुआरों के साथ मानवीय व्यवहार के महत्व को रेखांकित किया था। दोनों पक्षों ने इस बात को स्वीकार किया था कि भारत और श्रीलंका के तटीय किनारों पर रहने वाले मछुआरों की आजीविका और उनकी सामाजिक-आर्थिक गतिविधियां इस मामले से जुड़ी हैं। दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि दोनों देशों के मछुआरों को सुरक्षित और दीर्घकालिक रूप से अपनी गतिविधि चलाने के लिए सहयोग किया जाएगा। दोनों पक्षों ने एक दूसरे देशों के वास्तविक मछुआरों को जल्द रिहा किये जाने वाले उपायों पर भी चर्चा की। इस बात पर भी सहमति व्यक्त की गई कि दोनों देशों के मछुआरा समुदायों की बैठक जल्द की जाएगी।
सलमान खुर्शीद ने कहा कि श्रीलंका के विदेशमंत्री के साथ 19 अगस्त 2013 को हुई मुलाकात के दौरान मछुआरों को जल्द रिहा करने के मुद्दे को मजबूती के साथ उठाया गया था। हिंद महासागर के किनारे स्थित देशों के क्षेत्रीय सहयोग संबंधी संघ (आईओआर-एआरसी) के मंत्रियों की 12वीं बैठक 2 नवंबर 2012 को हुई थी, जिसके अवसर पर उनकी मुलाकात श्रीलंका के विदेश मंत्री से हुई थी। उस दौरान दोनों देश इस बात पर सहमत थे कि किसी भी परिस्थिति में बल प्रयोग जायज नहीं हो सकता। इस संबंध में दोनों पक्षों ने सभी मछुआरों के साथ मानवीय व्यवहार के महत्व को रेखांकित किया था। भारत-श्रीलंका संयुक्त आयोग की 8वीं बैठक के दौरान दोनों देश इस बात पर प्रतिबद्ध थे कि अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा पर मछली पकड़ने से संबंधित इस तरह की घटनाओं में कमी लाई जाएगी। गतिविधियों संबंधी घटनाएं कम की जाएंगी। यह मामला श्रीलंका की सरकार के साथ उस समय भी उठाया गया था, जब 8-9 जुलाई 2013 को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने श्रीलंका की यात्रा की थी।
सात अगस्त 2013 को विदेश मंत्रालय ने भारतीय मछुआरों को जल्द रिहा किये जाने के लिए श्रीलंका के उच्चायुक्त को मांग-पत्र सौंपा था। इस बात की आवश्कता महसूस की जा रही है कि हम अपने मछुआरों में यह जागरूकता पैदा करें कि वे श्रीलंका की समुद्री सीमा को पार करने से बचें। इस संबंध में सरकार संबंधित राज्य सरकारों के साथ मिलकर यह प्रयास कर रही है कि भारतीय मछुआरों को अंतर्राष्ट्रीय समुदी सीमा का सम्मान करना सिखाया जाए। सरकार ने तमिलनाडु सरकार से भी आग्रह किया है कि भारत और श्रीलंका के मछुआरों के संघों के प्रतिनिधियों की प्रस्तावित बैठक को जल्द से जल्द आयोजित किया जाए। भारत सरकार, श्रीलंका की सरकार के साथ लगातार चर्चा कर रही है, ताकि दोनों देशों के मछुआरे सुरक्षित और दीर्घकालिक रूप से अपनी आजीविका कमा सकें।