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Friday 23 August 2013 09:34:57 AM
नई दिल्ली। कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने आज राज्यसभा में कोयला खदान आवंटन की जांच और उससे जुड़े मामलों पर अपना बयान दिया, जिसमें उन्होंने सीबीआई की रिपोर्ट के हवाले से बताया कि सीबीआई ने 1993 से कोयला खदान आवंटन में कथित अनियमितताओं के संबंध में मई 2012 से अब तक 3 प्राथमिक जांच मामले और 13 एफआईआर दर्ज कराई हैं। उन्होंने बताया कि प्राथमिक जांच दर्ज कराने के बाद सीबीआई ने फाइलें, दस्तावेज़, आवेदन, फीडबैक फॉर्म, एजेंडा फॉर्म की मूल कॉपी के लिए कोयला मंत्रालय से आग्रह किया। इन सभी चीजों को 'फाइल' कहना गलत होगा।
उन्होंने बताया कि सीबीआई को अब तक लगभग 769 फाइलें, दस्तावेज़ अन्य कागजात इत्यादि की मूल कॉपी 40 एजेंडा पेपर, 10 फीडबैक फॉर्म पुस्तिका और 33 अन्य दस्तावेज दिए गए हैं, जो 1,50,000 पन्नों से अधिक हैं। सीबीआई को 26 सीडी भी दी गई हैं। उन्होंने कहा कि जांच के दौरान यदि सीबीआई ने इनके अतिरिक्त भी कोई दस्तावेज मांगा तो मंत्रालय उन्हें उपलब्ध कराएगा और यदि कोई दस्तावेज तैयार नहीं होगा तो मंत्रालय उसका पता लगाने और सीबीआई को उपलब्ध कराने की पूरी कोशिश करेगा। जायसवाल ने कहा कि अभी जब अंतरमंत्रालयीय समिति दस्तावेजों का पता लगाने में सक्रियता से लगी है, फाइलों को गुम होना कहना गलत होगा। यह कहना भी गलत होगा कि बड़ी संख्या में फाइलें गुम हो गई हैं, जबकि सीबीआई को कुछ ही फाइलें सौंपी जानी हैं। यदि काफी मेहनत के बाद भी यह फाइलें नहीं मिल पाईं तो सरकार उचित जांच और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करेगी।
जायसवाल ने बताया कि कोयला मंत्रालय ने दिनांक 11.7.2013 को सीबीआई को एक पत्र लिखा था, जिसमें सीबीआई से उन खास दस्तावेजों की सूची भेजने का आग्रह किया गया था, जिनकी सीबीआई को जरूरत है और सीबीआई को यह सूचना भी दी गई कि ब्यौरों, दस्तावेजों का पता लगाने के लिए एक अंतर-मंत्रालयीय समिति गठित कर दी गई है। इस पत्र के जवाब में सीबीआई ने 14 अगस्त 2013 को लिखे जवाबी पत्र में आवश्यक दस्तावेजों की एक सूची भेजी है। इन दस्तावेजों का वर्गीकरण इस तरह किया जा सकता है-43 फाइलें, कोयला खदान आवंटी, आवदेकों के 19 आवेदन पत्र, निजी आवेदक कंपनियों के 157 आवेदन पत्र जिन्होंने कोयला खदान आवंटन के लिए 28.06.2004 से पहले आवेदन किया था लेकिन उन्हें खदान आवंटन नहीं हुआ, 17 अन्य दस्तावेज और बिंदुओं पर स्पष्टीकरण।
वर्णित 43 फाइलों में से 21 फाइलें सीबीआई को पहले ही सौंप दी गई हैं, 15 फाइलें सौंपे जाने के लिए उपलब्ध हैं जिन्हें लेने के लिए सीबीआई से अनुरोध किया गया है। बाकी 7 फाइलों को ढूंढने के प्रयास जारी हैं। उन्नीस आवेदनों में से 3 आवेदन सीबीआई को पहले ही उपलब्ध करा दिए गए हैं, बाकी 16 आवेदनों सहित 157 निजी कंपनियों के आवेदन ढूंढे जा रहे हैं। सत्रह अन्य दस्तावेजों में से 6 दस्तावेज दिए जा चुके हैं और 2 दिए जाने के लिए उपलब्ध हैं, बाकी 9 दस्तावेज ढूंढे जा रहे हैं। नौ मामलों में सीबीआई को शीघ्र ही स्पष्टीकरण दे दिया जाएगा। चौदह अगस्त 2013 को भेजे सीबीआई के पत्र के जवाब में मौजूदा स्थिति का विवरण करते हुए एक विस्तृत पत्र सीबीआई को आज भेज दिया गया है। बड़ी संख्या में फाइलों के कथित रूप से गुम होने के संदर्भ में श्रीप्रकाश जायसवाल ने कहा कि सच्चाई यह है कि सीबीआई को 497 फाइलें पहले ही दी जा चुकी हैं। जैसा कि संकेत दिया गया है, आज की तारीख में सिर्फ 7 फाइलें सीबीआई को उपलब्ध करानी हैं, बाकी आवेदन पत्रों की और अन्य संबंधित दस्तावेजो की कापियां हैं।
श्रीप्रकाश जायसवाल ने बताया कि इन आंकड़ों का पता लगाने के उद्देश्य से ही उन्होंने 11 जुलाई 2013 को ही अपर सचिव (कोयला) की अध्यक्षता में एक अंतरमंत्रालीय समिति गठित कर दी थी, जिसमें ऊर्जा, स्टील, औद्योगिक नीति एंव संर्वधन मंत्रालयों, विभागों के साथ ही कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) और केंद्रीय खनन योजना एवं विकास संस्थान के प्रतिनिधि भी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि ऐसा संभव है कि कोयला-खदान आवंटन की प्रक्रिया से जुड़े ऊर्जा मंत्रालय, इस्पात मंत्रालय, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण और केंद्रीय खनन योजना एवं डिजाइन संस्थान जैसे विभिन्न मंत्रालयों, विभागों के पास सीबीआई के मांगे गए दस्तावेज मौजूद हों। समिति की अब तक तीन बैठकें हो चुकी हैं। समिति ने सदस्यों से अपने अपने संगठनों में संभवत: मौजूद दस्तावेजों का पता लगाने का आग्रह किया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले कुछ दिनों में सीबीआई को इनमें से कुछ फाइलें सौंप दी जाएंगी।