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Monday 26 August 2013 09:09:22 AM
देहरादून। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि ब्रिटेन, जर्मनी, जापान और अमेरिका जैसे देशों की तुलना में भारत जीडीपी की एक ईकाई का उत्पादन करने में अधिक ऊर्जा का इस्तेमाल करता है, इस स्थिति में सुधार की जरूरत है। राष्ट्रपति आज देहरादून में पैट्रोलियम एवं ऊर्जा अध्ययन विश्वविद्यालय (यूपीईएस) के वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि अमेरिका,चीन और रूस के बाद भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता देश है, लेकिन ऊर्जा खपत के उच्च स्तर को बनाए रखने के लिए हमारे ऊर्जा संसाधन पर्याप्त नहीं हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि देशवासियों की ऊर्जा जरूरतों को पूरी करने के साथ ही उच्च विकास दर हासिल करना हमारे लिए एक चुनौती है, इसके लिए ऊर्जा उत्पादन बढ़ाना होगा और ऊर्जा क्षमता बढ़ाने के कुछ उपाय भी खोजने होंगे।
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता कम करने के लिए हमें वैकल्पिक ऊर्जा मॉडलों का भी पता लगाना होगा। ऊर्जा क्षेत्र में आज विज्ञान और प्रौद्योगिकी की काफी जरूरत है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि ऊर्जा क्षेत्र की जरूरतें पूरी करने के उद्देश्य से पैट्रोलियम एवं ऊर्जा अध्ययन विश्वविद्यालय (यूपीईएस) आधुनिक जानकारी जुटाने में अहम भूमिका निभाएगा। राष्ट्रपति ने विश्वविद्यालय से अनुसंधान एवं नवाचार पर तेजी से आगे बढ़ते रहने का आग्रह भी किया।