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Friday 14 June 2013 12:32:43 AM
लखनऊ। अमरीकी सरकार का सुरक्षा प्रशासन अपने देश में प्रवेश करने वाले भारतीयों, विशिष्ट व्यक्तियों, पूर्व राष्ट्रपति या मंत्रियों तक की हवाई अड्डों पर ही जबरदस्त तलाशी क्यों लेता है, इसका एक कारण आप यहां भी समझिए! दुनिया जानती है कि अमरीका अपने यहां सुरक्षा के प्रति कितना सजग है और भारत में इस पक्ष की किस तरह धज्जियां उड़ाई जाती हैं, इसका अकाट्य प्रमाण आपके सामने है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सुरक्षा में विश्वासपात्र के नाम पर एक बड़ी चूक हुई है? जी हां, और यही नहीं, इसे हर स्तर पर अनदेखा भी किया गया है। राज्य में रोज कानून व्यवस्था की डींगे हांक रही समाजवादी सरकार के अधिकारी और मुख्यमंत्री की चाक-चौबंद सुरक्षा का दावा करने वाले अधिकारी क्या यह नहीं जानते कि भारत में ही विशिष्ट व्यक्तियों की थोड़ी सी ही सुरक्षा चूक से कितना बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है? यहां तो वे विशिष्ट परिवार के विश्वासपात्र के नाम पर या भयवश इस गंभीर सुरक्षा चूक की अनदेखी करते आ रहे हैं। जिस तरह से यह अनदेखी की जा रही है, उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि राज्य में आम जनता की जान-माल की सुरक्षा कैसे हो रही होगी? राज्य के गृहमंत्री, जोकि मुख्यमंत्री ख़ुद हैं, इसकी जिम्मेदारी लेंगे?
शिव कुमार नाम के पुलिस उपाधीक्षक (सुरक्षा) बिना किसी आदेश के उत्तर प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की सुरक्षा को छोड़कर बिना लिखत-पढ़त के और शपथ ग्रहण के पहले दिन से ही नए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सर्वोच्च सुरक्षा में देखे जा रहे हैं। विशिष्ट या अतिविशिष्ट लोगों की सुरक्षा से जुड़े इस संवेदनशील मामले का एक पक्ष यह है कि ऐसे सुरक्षा संबंधी मामलों को सार्वजनिक करने से बचा जाता है, लेकिन एक दिन, दो दिन, दस दिन नहीं, वरन ढाई महीने से यह तैनाती किस आत्मविश्वास और किस आदेश से चलती रही है? क्या राज्य के एडीजी (सुरक्षा) को यह यकीन है कि विशिष्ट व्यक्तियों की सुरक्षा में किसी की तैनाती के नियमों की अनदेखी से कोई फर्क नहीं पड़ता है? और बिना लिखित आदेश के किसी सरकारी अतिविशिष्ट व्यक्ति की सुरक्षा में मौखिक आदेश पर भी तैनाती होती है? यदि विशिष्ट व्यक्ति किसी सुरक्षा खामी का शिकार हो जाए, तो ऐसी स्थिति में इस सुरक्षा चूक की जिम्मेदारी किसकी तय होगी?
यह सुरक्षा चूक छिपी नहीं रह सकी, चाहे देर से ही सही, लेकिन सामने आई है। क्या इसका कोई दुराग्रही अनुचित लाभ नहीं उठा सकता? यदि यह सब संबंधित अतिविशिष्ट व्यक्ति के संज्ञान में या उनकी मर्जी से ही हो रहा है, तो सुरक्षा अधिकारियों ने ‘श्रीमान’ को इससे जागरूक क्यों नहीं किया और उसे क्यों संरक्षण मिलने दिया? क्या विशिष्ट व्यक्तियों के यहां अन्य सुरक्षाकर्मियों को भी ऐसे ही तैनाती की छूट है और क्या वे किसी सुरक्षा चूक में इसे अपने बचाव का आधार या दृष्टांत नहीं बनाएंगे? इतने बड़े व्यक्ति की सुरक्षा क्या ऐसे ही शिथिल मानकों से होती है? तब तो राज्य में इस प्रकार के और भी दृष्टांत हो सकते हैं? जो छिपाए जाते रहे होंगे और अभी तक प्रकट नहीं हुए। राज्य के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से सीधे और एक गंभीर प्रश्न है कि जब वे स्वयं ऐसी लापरवाही के साथ चलते हैं तो फिर वे अपने अधिकारियों से बाकी सुरक्षा संबंधी नियमों का पालन कैसे कराएंगे?
शिव कुमार पुलिस उपाधीक्षक (सुरक्षा) लंबे समय से तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की सुरक्षा में हैं और उन्हें मुलायम सिंह यादव का एक विश्वासपात्र भी माना जाता है। उनके बारे में यह बात भी आम है कि वे मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक और प्रशासनिक मामलों में भी अपरोक्ष रूप से और वह भी हद से ज्यादा हस्तक्षेप करते हैं, शायद इसीलिए कि मुलायम सिंह यादव के वह विश्वासपात्र माने जाते हैं। मुलायम सिंह यादव को यह बात भी मालूम है कि नहीं, कि इनके कारण उनके कई राजनेता, कार्यकर्ता और अनेक शुभचिंतक, सुरक्षा के नाम पर शिव कुमार के व्यवहार से या उनसे अपमानित होकर, मुलायम सिंह यादव से मिले बिना ही वापस लौटते देखे गए हैं, यह अलग बात है कि वे अपने नेता के प्रति निष्ठावान भावना रखने के कारण किसी के सामने मुंह नहीं खोलते हैं। अकसर देखा जा सकता है कि मुलायम सिंह यादव या मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मिलने या बात करने के प्रयास में न जाने कितनों ने नाहक ही सुरक्षा के नाम पर शिव कुमार के इशारे पर पेट में घूंसे खाए हैं और खाते हैं या मिलने से दूर ही रोक दिए गए हैं या रोक दिए जाते हैं। इसका नुकसान किन्हें उठाना है, यह बताने की आवश्यकता नहीं है। इसी का एक प्रमुख प्रमाण यह है कि शिव कुमार की इतनी हिम्मत है कि वह बगैर किसी लिखित आदेश के मुख्यमंत्री की सुरक्षा में आ और जा सकते हैं।
अखिलेश यादव या मुलायम सिंह यादव को व्यक्तिगत सुरक्षा प्रदान करने का यह मामला होता, तो इस अवस्था में यह सुरक्षा चूक विश्वासपात्र की दृष्टि से नज़रअंदाज की जा सकती थी, लेकिन यहां विश्वासपात्र होने की पात्रता के साथ-साथ यह भी उतना ही आवश्यक माना जाता है कि कोई भी व्यक्ति बिना किसी उचित आदेश के एक मिनट भी सरकारी अति विशिष्ट व्यक्ति की सुरक्षा में मौजूद नहीं रहना चाहिए, सुरक्षा ड्यूटी हस्तांतरण के लिए यह एक प्रमुख मानक है। अखिलेश यादव आज राज्य के मुख्यमंत्री हैं, इनका व्यक्तिगत कुछ भी नहीं है। मुलायम सिंह यादव या अखिलेश यादव अब अपने परिवार के केवल निजी सदस्य ही नहीं, बल्कि ये राज्य की अमूल्य निधि हैं, जिनकी सुरक्षा के बारे में राज्य की जनता का निश्चिंत रहना और हर प्रकार से उनके सुरक्षा प्रबंध को संतुष्टि के साथ जानने का पूरा अधिकार है, इसलिए यह विषय बहुत गंभीर है कि कोई व्यक्ति विश्वासपात्र के नाम पर बिना किसी उचित आदेश के एक पूर्व मुख्यमंत्री की सुरक्षा को बिना किसी उचित आदेश के छोड़कर मुख्यमंत्री की उच्च सुरक्षा में और वह भी एक मिनट भी बिना उचित आदेश के क्यों और कैसे मौजूद है? यह तथ्य मौजूद हैं कि शिव कुमार, मुलायम सिंह यादव की सुरक्षा को छोड़कर कबसे बिना उचित आदेश के नए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सुरक्षा में आए हैं। इसे साधारण समझकर नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता। यह गंभीर जांच का विषय है।
अति विशिष्ट व्यक्तियों की सुरक्षा से जुड़े सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी सुरक्षा चूक आगे चलकर बड़ी मुसीबत का रूप लेती हैं। विशिष्ट व्यक्ति एक प्रकार से अपनी सुरक्षा की उपेक्षा करते हैं। मुलायम परिवार के लिए भी यह गंभीर विचार का विषय है कि उनकी सुरक्षा में तैनात व्यक्ति या व्यक्तियों की कहां तक और क्या भूमिका होनी चाहिए। उन्हें यह मालूम होना चाहिए कि अनेक राजनेताओं और राज परिवारों ने ऐसी ही सुरक्षा चूक से भारी नुकसान उठाए हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव या मुलायम सिंह यादव की सुरक्षा में कौन हों, यह उनकी पसंद या नापसंद को कोई सलाह या चुनौती नहीं है। उनकी सुरक्षा में जो भी हों, बगैर उचित आदेश के मुख्यमंत्री की सुरक्षा में मौजूदगी अवैध मानी जाती है, जोकि सरकारी कार्य व्यवस्था, जिम्मेदारी एवं कर्तव्य का एक गंभीर उल्लंघन है। यह जवाबदेही व्यवस्था का प्रश्न है। इस मामले में मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव को सीधे तौर पर इसलिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि उन्होंने अपने सुरक्षा अधिकारी शिव कुमार के मामले में सुरक्षा मानकों की अनदेखी करने का कोई लिखित आदेश नहीं दिया है, यानि सुरक्षा अधिकारी ने स्वयं ही अपनी ड्यूटी दूसरी जगह स्थानांतरित कर ली?
क्या मुलायम सिंह यादव या अखिलेश यादव इस मामले की सीधी जिम्मेदारी स्वीकार करने को तैयार हैं? यदि हां, तो वे अपनी सुरक्षा खामी की इस अनदेखी से राज्य की जनता की सुरक्षा का भार किस प्रकार उठा पाएंगे? इस प्रकार से वे अपने अधिकारियों से नियम कानूनों का सख़्ती के साथ पालन करने को कैसे कह सकते हैं? सवाल है कि जिस अतिविशिष्ट व्यक्ति की हर प्रकार से उच्च सुरक्षा करने की जिम्मेदारी संबंधित सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है, तो क्या कोई भी व्यक्ति अपने मन से या मौखिक आदेश से, किसी अतिविशिष्ट व्यक्ति की सुरक्षा में आ-जा सकता है? या वह किसी सरकारी अतिविशिष्ट व्यक्ति की सुरक्षा को अपनी मर्जी से दूसरे या दूसरों के भरोसे छोड़कर किसी अन्य के साथ चलने लगे? मुख्यमंत्री की सुरक्षा में यह गंभीर मज़ाक ढाई महीने से चला आ रहा है? सभी को यह जानकारी है कि वे मुलायम सिंह यादव के सुरक्षाधिकारी हैं, पहले दिन से ही वे उनका साथ छोड़कर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ दिखाई दे रहे हैं, इस मामले में अद्यतन स्थिति क्या है, इसका पता नहीं चल रहा है, यदि बाद में शिव कुमार उपाधीक्षक (मुख्यमंत्री सुरक्षा) की नई तैनाती के आदेश जारी भी हुए हों, तो इतने दिन तक ये बिना लिखित आदेश के नए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सुरक्षा में कैसे रहे? यह एक सुरक्षा चूक मानी जाती है, जो चाहे जिस स्तर पर हुई हो।