स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Tuesday 27 August 2013 10:14:22 AM
देहरादून। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देश को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्म-निर्भर बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया है। देहरादून में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद के अंतर्गत चलाए जा रहे भारतीय पैट्रोलियम संस्थान के नये उन्नत खनिज तेल अनुसंधान केंद्र का उद्घाटन करते हुए मुखर्जी ने कहा कि आज के समय में ऊर्जा और ऊर्जा सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण है, ऊर्जा सुरक्षा आज राष्ट्रीय सुरक्षा का पर्याय बन गई है, देश को पेट्रोलियम के आयात पर बहुत विदेशी मुद्रा खर्च करनी पड़ रही है। ऐसा अनुमान है कि वर्ष 2030 तक हमें अपनी आवश्यकता का 90 प्रतिशत कच्चा तेल, 60 प्रतिशत प्राकृतिक गैस और 57 प्रतिशत कोयले की आवश्यकता आयात से पूरी करनी होगी।
उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों को इस बारे में विचार करना चाहिए कि देश ऊर्जा के मामले में कैसे आत्म-निर्भर बन सकता है। अमरीका का उदाहरण देते हुए मुखर्जी ने कहा के कुछ वर्ष पहले तक अमरीका बड़ी मात्रा में ऊर्जा आयात करता था, लेकिन शेल गैस की खोज के बाद आज अमरीका ऊर्जा के मामले में आत्म-निर्भर हो गया है। इसके पीछे कुशल प्रौद्योगिकी का हाथ है। मुखर्जी ने कहा कि हमारे देश का भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि हम किस तरह से विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवीकरण की तकनीकों को विकसित करते हैं। सरकार ने इस वर्ष एक नई विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवीकरण की नीति शुरू की है, जिसका उद्देश्य सभी साधनों का इस्तेमाल करते हुए देश को एक ज्ञान-शक्ति बनाना है। हमारी नवीकरण की गतिविधियों से ऐसी प्रौद्योगिकियों का विकास होना चाहिए, जिससे आम आदमी को लाभ पहुंचे।
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भारतीय पेट्रोलियम संस्थान देश की एक अग्रणी अनुसंधान संस्था है। इसे कच्चे तेल का मूल्यांकन करने में विशेष महारत हासिल है, अब तक संस्थान की प्रयोगशाला पाँच सौ से अधिक किस्म के खनिज तेलों का मूल्यांकन कर चुकी है। जैसे-जैसे तेल क्षेत्र का विकास होता जा रहा है और अधिक जटिल किस्म के खनिज तेल के नमूने सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि विश्वास है कि नया उन्नत खनिज तेल अनुसंधान केंद्र तेल उद्योग को आवश्यक सहायता उपलब्ध कराएगा। मुखर्जी ने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र की हमारी अनुसंधान संस्थाओं की यह जिम्मेदारी है कि वे ऐसी आधुनिक प्रौद्योगिकियां विकसित करें, जो वैश्विक स्तर पर स्पर्धा कर सकें।