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Tuesday 27 August 2013 10:21:58 AM
नई दिल्ली। लोकसभा में खाद्य सुरक्षा विधेयक पारित हो गया है। विधेयक में राज्यों के अनाज अधिकार को वैधानिक सुरक्षा, पैकेट बंद भोजन से इतर भोजन की परिभाषा में बदलाव, विधेयक के कार्यान्वयन में राज्यों को साल भर का समय और विधेयक के प्रावधानों के नियम बनाते समय राज्यों से सलाह को महत्व दिया गया है। जनता को भोजन और पोषण प्रदान करने वाले राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक को लोकसभा में पारित कर दिया गया। सदन के स्वीकृत संशोधनों के अनुसार राज्य सरकारों का मौजूदा अनाज अधिकार वैधानिक रूप से सुरक्षित बना दिया गया है, इसके पहले एक विधायी आदेश के जरिये इसे सुरक्षित किया गया था।
मध्याह्न भोजन और आईसीडीएस कार्यक्रमों में उल्लिखित ‘भोजन’ की परिभाषा को भी संशोधित किया गया है। अब ‘भोजन’ का अर्थ गर्म पका हुआ या पहले से पका हुआ और गर्म भोजन। इसमें पैकेट बंद भोजन शामिल नहीं है। यह संशोधन इसलिए किया गया, ताकि बड़ी मात्रा में पैकेट बंद भोजन की सप्लाई से संबंधित प्रावधान के गलत इस्तेमाल की आशंकाओं को दूर किया जा सके। अन्य संशोधन के अंतर्गत राज्य सरकारों को खाद्य सुरक्षा विधेयक को लागू करने के लिए अब 6 महीने की जगह एक साल का समय मिलेगा।
राज्यों की इस आशंका को दूर करने के लिए कि इस महत्वाकांक्षी विधेयक को लागू करने में उनकी बात का महत्व नहीं होगा, केंद्र सरकार ने संशोधन से यह स्पष्ट कर दिया है कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम के प्रावधानों के नियम बनाते वक्त राज्य सरकारों से सलाह की जाएगी। लोकसभा ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक में कुल दस संशोधनों को मंजूरी दी है। इसे 7 अगस्त 2013 को उपभोक्ता मामलों, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री केवी थॉमस ने 5 जुलाई 2013 को लागू राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अध्यादेश के स्थान पर पेश किया था।
विधेयक के अंतर्गत लगभग 81 करोड़ लोगों को 2 रुपये प्रति किलो की दर से गेहूं और 3 रुपये प्रति किलो की दर से चावल मुहैया कराया जाएगा, जबकि अन्त्योदय अन्न योजना के अंतर्गत मौजूदा लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली में केवल 2.5 करोड़ परिवारों या लगभग 32.5 करोड़ लोगों को ही उपरोक्त कीमत पर अनाज मिलता है। अब इन उच्च राज्य सहायता प्राप्त कीमतों पर अनाज पाने वाली आबादी 27 प्रतिशत से बढ़कर 67 प्रतिशत हो जाएगी।
खाद्य सुरक्षा विधेयक के अंतर्गत सभी योग्य व्यक्तियों को हर महीने 5 किलोग्राम अनाज दिया जाएगा। निर्धनतम व्यक्तियों को 35 किलोग्राम अनाज दिया जा रहा था, उन्हें अन्त्योदय अन्न योजना के अंतर्गत हर महीने प्रति परिवार के हिसाब से 35 किलोग्राम अनाज मिलता रहेगा। विधेयक में यह सुनिश्चित किया गया है कि राशन कार्ड जारी करने के लिए घरों में 18 वर्ष से ऊपर की अधिकतम आयु वाली महिला को घर का मुखिया माना जाएगा। गर्भवती महिलाओं और दूध पिलाने वाली माताओं को 6000 रुपये का मातृत्व लाभ प्रदान किया जाएगा। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं और 14 वर्ष से कम आयु वाले बच्चों को पोषक भोजन दिया जाएगा। कुपोषित बच्चों को भी अधिक पोषण वाला भोजन प्रदान किया जाएगा।
इतने बड़े पैमाने पर चलने वाले सामाजिक न्याय कार्यक्रम के कार्यान्वयन में शिकायतें पैदा होती हैं, जिन्हें दूर करने के लिए पंचायती राज संस्थानों और महिलाओं के स्व-सहायता समूहो की भूमिका बढ़ाई जाएगी, ताकि इसकी ठीक से निगरानी की जा सके। शिकायतें दूर करने के लिए कॉल सेन्टर, हेल्पलाइन, शिकायत दूर करने वाले अधिकारियों और राज्य खाद्य आयोग का भी प्रावधान किया जाएगा।