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दहेज कानून पर समीक्षा समिति का विचार-विमर्श

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Friday 6 September 2013 09:42:48 AM

chandresh kumari katoch

नई दिल्‍ली। दहेज प्रति‍षेध अधि‍नि‍यम 1961 में संशोधन करने के लि‍ए राष्‍ट्रीय महि‍ला आयोग की सि‍फारि‍शों पर वि‍चार वि‍मर्श हेतु एक अंतर्मंत्रालयीय समूह और एक समीक्षा समि‍ति‍ का गठन का वि‍चार कि‍या गया। अंतर्मंत्रालयीय समूह और समीक्षा समि‍ति‍ के वि‍चार वि‍मर्श के आधार पर दहेज प्रति‍षेध अधि‍नि‍यम 1961 में संशोधनों पर स्‍पष्‍ट, समसामयि‍क, प्रवर्तनीय और समुचि‍त कठोर प्रावधान बनाने के लि‍ए प्रारूप मंत्रि‍मंडल नोट संबंधि‍त मंत्रालयों को उनकी टि‍प्‍पणि‍यों हेतु परि‍चालि‍त कि‍या जा चुका है। महि‍ला एवं बाल वि‍कास राज्‍यमंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) कृष्‍णा तीरथ ने यह जानकारी लोकसभा में एक प्रश्न के लि‍खि‍त उत्‍तर में दी। उन्‍होंने अपने मंत्रालय से संबंधित और भी जानकारियां लोकसभा में दीं।
शिशु आहार और पोषण बोतल
महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री ने लोकसभा में कहा कि खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य पदार्थ मानक तथा खाद्य संयोजी) विनियम 2011 के विनियम 2.1.9 में शिशु दुग्ध कल्प सहित शिशु पोषण खाद्य के लिए मानक निर्धारित हैं। विनिर्माताओं से ऊपर उल्लिखित विनियमों अनुपालन करना अपेक्षित होता है। दूध पिलाने की बोतलें भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम 1986 (वर्ष 1986 का 63) की धारा 14 के आईएस 14625 प्ला्स्टिक फीडिंग बोतल के अंतर्गत आती हैं। शिशु दुग्ध कल्प, फीडिंग बोतल तथा शिशु आहार (उत्पादन, आपूर्ति और वितरण का विनियमन) अधिनियम, 1992 संशोधन अधिनियम 2003 इस मंत्रालय के विचाराधीन है, अभी तक इस अधिनियम के उल्लंघन के संबंध में 2 शिकायतें प्राप्त हुई हैं और इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई आरंभ कर दी गई है।
बाल कल्‍याण योजनाएं
ग्‍यारहवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान, महि‍ला एवं बाल वि‍कास मंत्रालय ने बाल कल्‍याण से संबंधि‍त दो योजनाओं अर्थात समेकि‍त बाल संरक्षण योजना (वर्ष 2009-10 में) और राजीव गांधी कि‍शोरी सशक्‍तीकरण योजना ‘सबला’ (वर्ष 2010-11) में शुरू की थीं। मंत्रालय के एक प्रमुख कार्यक्रम समेकि‍त बाल वि‍कास सेवा(आईसीडीएस) योजना के अंतर्गत पूरक पोषण उपलब्‍ध कराए गए बाल लाभार्थि‍यों ( 6 माह से 6 वर्ष तक) की संख्‍या 10वीं पंचवर्षीय योजना के अंत में 581.85 लाख से बढ़कर 11वीं पंचवर्षीय योजना में 790.05 लाख हो गई है (यह वृद्धि‍ 35.78 प्रति‍शत है) सबला योजना के अंतर्गत पोषण के लिए शामि‍ल कि‍ए गए लाभार्थी (कि‍शोरि‍यों) वर्ष 2010-11 में 40.38 और वर्ष 2011-12 में 98.74 लाख थे।
बाल सुधार गृह
कि‍शोर न्‍याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधि‍नि‍यम 2000 (जेजे अधि‍नि‍यम) की धार 12 (1) के अनुसार यदि कि‍सी जमानती अथवा गैर जमानती अपराध का अभि‍युक्‍त कोई व्‍यक्‍ति‍ वि‍शेष रूप से कोई कि‍शोर, गि‍रफ्तार कि‍या जाता है, हवालात में रखा जाता है अथवा अपने आपको प्रस्‍तुत करता है अथवा कि‍शोर न्‍याय बोर्ड (जेजे बोर्ड) के समक्ष पेश कि‍या जाता है, ऐसे व्‍यक्‍ति‍ को, दंड प्रक्रि‍या संहि‍ता 1973 अथवा तत्‍समय प्रवृत्‍त कि‍सी अन्‍य वि‍धि‍ में नि‍हि‍त प्रावधानों के बावजूद, जमानत पर अथवा बि‍ना जमानती के रि‍हा कर दि‍या जाएगा, लेकि‍न ऐसा वि‍श्‍वास होने पर कि‍ उसे इस प्रकार रि‍हा, करने पर वह कि‍सी ज्ञात आपराधि‍क अथवा नैति‍क, शारीरि‍क अथवा मनोवैज्ञानि‍क खतरे में आलि‍प्‍त हो सकता है अथवा उसकी रि‍हाई से न्‍याय की उद्देश्‍य की पूर्ति‍ में व्‍यवधान उत्‍पन्‍न होता है तो उसे इस तरह रि‍हा नहीं कि‍या जाएगा, इसके अलावा जेजे अधि‍नि‍यम की धारा 12(3) में यह भी प्रावधान है कि‍ जब ऐसे कि‍सी व्‍यक्‍ति‍ को जेजे बोर्ड की उपधारा (1) के तहत जमानत पर रि‍हा नहीं कि‍या जाता है, तो जेजे बोर्ड उसे कारागार में भेजने के बजाय, उसके संबंध में जांच के लंबि‍त रहने की अवधि‍ के दौरान, जि‍सका आदेश में स्‍पष्‍ट उल्‍लेख कि‍या जाए, कि‍सी अवलोकन गृह अथवा सुरक्षि‍त स्‍थान पर भेजने का आदेश जारी करेगा।
बच्चों के लिए आश्रय स्थल
महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री ने लोकसभा में बताया कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय बालाश्रयों के संचालन हेतु कोई वित्तीय सहायता नहीं देता है, तथापि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय समेकित बाल संरक्षण स्कीम (आईसीपीएस) नामक एक केंद्रीय प्रायोजित स्कीम चला रहा है, जिसके तहत बल गृहों सहित कठिन परिस्थितियों में रह रहे बच्चों हेतु विभिन्न प्रकार के गृहों की स्थापना एवं रखरखाव के लिए महाराष्ट्र राज्य सहित राज्य सरकारों, संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों को वित्तीय सहायता दी जाती है। संस्वीकृत एवं जारी की गई निधियों का आमतौर पर उपयोग उसी वर्ष में कर लिया जाता है, तथापि अव्ययित शेष यदि कोई हो, को आगामी वर्ष के लिए देय अनुदान में समायोजित किया जाता है।
उन्‍होंने बताया कि गृहों में सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार करने तथा किशोर न्याय (बालको की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2000 के तहत केंद्रीय मॉडल नियमावली में विनिर्दिष्ट देखरेख के मानकों को बनाए रखने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय समेकित बाल संरक्षण स्कीम (आईसीपीएस) के तहत बाल गृहों सहित विभिन्न प्रकार के गृहों की स्थापना तथा रखरखाव के लिए राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कर रहा है। इन नियमों में अन्य बातों के साथ-साथ, भौतिक अवसंरचना, कपड़े, बिस्तर, पोषण एवं आहार के साथ-साथ शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण, परामर्श आदि जैसे पुनर्वास उपायों के लिए मानक निर्धारित हैं। राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों से नियमित जांच और निगरानी के माध्यम से इस अधिनियम और इसके अंतर्गत बनाए गए नियमों के प्रावधानों के अनुसार संस्थाओं का चलाया जाना सुनिश्चित करना अपेक्षित है।

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