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Sunday 8 September 2013 09:13:56 AM
नई दिल्ली। उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने दक्षिण एशियाई देशों के बीच शिक्षा और साक्षरता के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की अपील की है। आज यहां शिक्षा और विकास से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता सहयोग सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए उप राष्ट्रपति ने कहा कि आपसी सहयोग और अनुभवों के आदान-प्रदान से विभिन्न देश निरक्षरता मिटाने और आधुनिक, शिक्षित और प्रबुद्ध समाज बनाने की दिशा में सहयोग कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अज्ञान, अशिक्षा, असहनशीलता, सामाजिक भेदभाव और राजनीतिक शोषण के कारण पैदा होने वाले संघर्ष को जड़ से खत्म करने के लिए साक्षरता आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया में 40 करोड़ वयस्क हैं और विश्व में निरक्षरों की करीब आधी आबादी इसी क्षेत्र में है। वयस्क आबादी में करीब दो तिहाई हिस्सा महिलाओं और लड़कियों का है। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि युवा महिलाओं में शिक्षा का प्रसार तेजी से हो रहा है। उन्होंने कहा कि साक्षरता के मामले में लिंग संबंधी भेदभाव भविष्य में समाप्त हो जाएंगे। उप राष्ट्रपति ने कहा की कि देश के साक्षर भारत कार्यक्रम की विशेषज्ञों ने सराहना की है और इसे इस वर्ष यूनेस्को के किंग सेजोंग लिटरेसी पुरस्कार के लिए चुना गया है। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने मार्च 2013 में वयस्क साक्षरता मूल्यांकन परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले व्यक्तियों को प्रमाणपत्र भी प्रदान किए। इनमें सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों के व्यक्ति शामिल थे।
राष्ट्रीय साक्षरता मिशन ने पहली बार साक्षरता के परीक्षण के लिए अगस्त 2010 में प्रायोगिक आधार पर सीखने वालों की मूल्यांकन परीक्षा की शुरुआत नेशनल इंस्टीट्यूट आफ ओपन स्कूलिंग (एनआईओएस) के माध्यम से की थी। अगस्त 2013 तक करीब 2 करोड़ 13 लाख व्यक्तियों को सफल घोषित किया जा चुका है और साक्षरता प्रमाणपत्र प्रदान किए जा चुके हैं। इनमें ज्यादातर युवा स्त्री पुरुष हैं, जो कार्मिकों में शामिल होने और अपने परिवारों का दायित्व संभालने के लिए साक्षरता का पर्याप्त स्तर हासिल कर चुके हैं।
इस अवसर पर मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ एमएम पल्लम राजू ने शांति और विकास में साक्षरता की भूमिका को उजागर किया। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने साक्षरता के क्षेत्र में सूचना प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया था। उन्होंने कहा कि सरकार ने 2009 में राष्ट्रीय साक्षरता मिशन को साक्षर भारत के रूप में पुनर्गठित किया। इसका उद्देश्य 2017 तक सात करोड़ वयस्कों को व्यावहारिक दृष्टि से साक्षर बनाना है। साक्षर भारत कार्यक्रम की सराहना करते हुए मंत्री ने कहा कि विश्व का यह सबसे बड़ा साक्षरता कार्यक्रम है जो विकेंद्रीकृत होने के कारण सर्वाधिक सफल रहा है।
इस अवसर पर दक्षिण एशियाई देशों से विदेशी प्रतिनिधियों ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इनमें अफगानिस्तान के शिक्षा मंत्री गुलाम फारूक वार्डेक, श्रीलंका के संसद सदस्य मोहन लाल गरेरो, भूटान के शिष्टमंडल के नेता मेजर जनरल वी नाम्गेल और पाकिस्तानी शिष्टमंडल के नेता सलमान बशीर शामिल थे।