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आत्मा की आवाज़ पर वोट चाहते हैं पीए संगमा

मेरा दावा पूर्वोत्तर की गरिमा का सवाल है-संगमा

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संगमा-pa sangma

नई दिल्ली। ‘आत्मा की आवाज़ पर वोट’ और आदिवासी पहचान के आधार पर वोटिंग की उम्मीद से राष्ट्रपति चुनाव में उतरे पीए संगमा ने यूपीए के प्रत्याशी प्रणब मुखर्जी को राष्ट्रपति चुनाव से पहले परिचर्चा के लिए सामने आने को कहा है, मगर कांग्रेस ने इसे खारिज कर दिया है। पीए संगमा कहते हैं कि लोकतंत्र में परिचर्चा की जरूरत है, ऐसे वक्त में इस परिचर्चा की जरूरत है,देश में जब अर्थव्यवस्था डूब रही है और अविश्वसनीय घोटाले हो रहे हैं। संगमा ने सवाल उछाला कि इन भ्रष्टाचारों के लिए कौन जिम्मेदार है, यह परिचर्चा उम्मीदवारों के बीच होनी चाहिए। यह पूछने पर कि क्या वे प्रणब मुखर्जी के सामने चुनौती पेश कर रहे हैं तो संगमा ने कहा कि ऐसा होना चाहिए और मैं परिचर्चा के लिए कह रहा हूं।
राष्ट्रपति चुनाव से पहले परिचर्चा की चुनौती पर कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी का कहना है कि संविधान इस बात की इजाजत नहीं देता कि भारत का राष्ट्रपति देश की अर्थव्यवस्था का प्रबंध करे, इसलिए बहस की बात अतार्किक है। पीए संगमा राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार हैं और लोकसभा अध्यक्ष भी रह चुके हैं। उन्होंने प्रणब मुखर्जी से कहा था कि लोकतंत्र में परिचर्चा की जरूरत है। कांग्रेस प्रवक्ता ने भाजपा के उस आरोप को भी खारिज किया कि यूपीए ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार का नाम तय करने से पहले विपक्ष से बातचीत नहीं की जिससे आम सहमति नहीं बन पाई। कांग्रेस मीडिया प्रकोष्ठ के प्रभारी जनार्दन द्विवेदी ने भी भाजपा के आरोपों को गलत बताया और कहा कि अगर किसी ने तय कर ही लिया है कि उसे लड़ने के लिए चुनाव लड़ना है, तो वह इस तरह के बहाने ढूंढ लेगा, भाजपा निश्चित रूप से यही कर रही है। कांग्रेस प्रवक्ता ने पुनः अपील की है कि जो लोग अभी विरोध कर रहे हैं वे भी अपने रुख पर पुनर्विचार करेंगे।
उधर राष्ट्रपति पद पर जीत का दावा करते हुए संगमा ने कहा है कि उन्होंने तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी और शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे से मिलने का समय मांगा है, वे हर किसी से संपर्क करेंगे, चुनाव गुप्त मतपत्र से होगा, इसका मतलब है आत्मा की आवाज़ पर वोट, मैं आत्मा की आवाज़ वाले वोट पर निर्भर हूं और इस पर विश्वास करता हूं। उन्होंने कहा कि यह सच है कि लगभग सभी राजनीतिक पार्टियों के बीच विभाजन है, जो दिखाता है कि राष्ट्रपति का यह चुनाव गंभीर प्रकृति का है, उतना सहज नहीं है, जितना कांग्रेस दावा कर रही है। संगमा ने कहा कि यूपीए उम्मीदवार को भी सत्तारूढ़ गठबंधन का पूरा समर्थन नहीं मिल रहा है, क्योंकि यूपीए की सहयोगी ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने अभी तक मुखर्जी का समर्थन नहीं किया है।
संगमा ने आदिवासी कार्ड खेलते हुए कहा है कि देश ने जो ऐतिहासिक गलतियां की हैं, उन्हें वह ठीक करना चाहते हैं, क्योंकि आदिवासियों को उनका वाजिब हक नहीं मिला है, मैं देश की आत्मा की आवाज़ का आह्वान करता हूं, हमने अपनी जमीन, अपने जंगल, प्राकृतिक संसाधनों को दिया है, कृपया हमें मान्यता दें। संगमा ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव में उनकी जीत दस करोड़ से ज्यादा आदिवासियों के लिए बड़ा संदेश होगी, इससे नक्सलवाद और उग्रवाद जैसी आदिवासियों से संबंधित समस्याओं से निपटने में भी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि आदिवासी परिषद उनका प्रायोजन कर रही है, उसका प्रतिनिधित्व सभी पार्टियों में है और राष्ट्रपति चुनाव के निर्वाचक मंडल में करीब पांच फीसद वोट हैं। संगमा ने कहा कि वे पूर्वोत्तर में कांग्रेस के सभी मुख्यमंत्रियों, सांसदों और विधायकों से संपर्क साधेंगे, क्योंकि यह पूर्वोत्तर की गरिमा का सवाल है न कि पार्टी से जुड़ाव का। उन्होंने कहा कि वे देश भर के आदिवासी सांसदों और विधायकों से भी संपर्क करेंगे।

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