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Wednesday 11 September 2013 08:56:32 AM
नई दिल्ली। राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों के ऊर्जा मंत्रियों का सातवां सम्मेलन आज दिल्ली में हुआ, जिसमें विद्युत क्षेत्र से संबंधित अनेक मद्दों पर विचार-विमर्श हुआ और यह तय किया गया कि सभी नागरिकों, विशेषकर उन्हें जो ग्रिड से जुड़े हुए नहीं हैं तक बिजली पहुंचाकर उपभोक्ताओं को सस्ती और पर्याप्त बिजली मुहैय्या कराई जाए। केंद्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ज्योर्तिदित्य सिंधिया ने सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि विद्युत के क्षेत्र में अभूतपूर्व उपलब्धियां हासिल हुई हैं, किंतु अदृश्य रूकावटें अभी भी विद्यमान हैं और यदि इस क्षेत्र को आगे बढ़ना है और देश के आर्थिक विकास में भागीदार बनकर आम आदमी को फायदा पहुंचाना है, तो ये अवरोध हटाने होंगे। उन्होंने कहा कि राज्यों के स्वामित्व वाली पारेषण उपयोगिताओं की वित्तीय हालत को पुर्नबहाल करना होगा और राज्य सरकारों को इसे सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी। यदि वित्तीय हालात के चलते डिसकाम्स बिजली की खरीद कर पाने में असमर्थ हैं तो स्थापित तथा निमार्णाधीन विद्युत उत्पादन क्षमता का लाभ उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंचेगा। सिंधिया ने उल्लेख किया कि कुछेक राज्यों को बिजली उपलब्ध होने के बावजूद बिजली की कटौती का सहारा लेना पड़ रहा है, जिससे क्षमता का पूरा उपयोग नहीं हो पाता।
भारत सरकार के एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण (आरजीजीवीवाई) की सफलता पर बोलते हुए सिंधिया ने कहा कि केंद्र सरकार से प्रायोजित यह योजना 27 राज्यों में कार्यान्वित की जा रही है, जिसमें से आंध्र प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, सिक्किम, तमिलनाडु और उत्तराखंड के कार्य को काफी अच्छा कहा जाएगा, जबकि असम, हरियाणा, मध्य प्रदेश, नागालैंड, उड़ीसा, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल राज्यों का कार्य निष्पादन संतोषजनक रहा है। तथापि, अरूणाचल प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, केरल, मणिपुर, मेघालय और मिजोरम के कार्य निष्पादन में सुधार की जरूरत है। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित आरजीजीवीवाई कार्यक्रम के अंतर्गत 12वीं योजना में सभी वंचित परिवारों तक बिजली पहुंचाने का प्रस्ताव है।
ऊर्जा राज्य मंत्री ने बताया कि लेह तक ट्रांसमीशन लाईन को मंजूरी दे दी गई है, जिससे लद्दाख क्षेत्र को जरूरी बिजली मिल सकेगी। ऊर्जा राज्य मंत्री ने कहा कि अरूणाचल प्रदेश को अपनी सब-ट्रांसमीशन परियोजना के लिए पर्याप्त धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी। भारत के उत्तर-पूर्व और पूर्व क्षेत्र से 1728 किलोमीटर की दूरी में आगरा शहर के स्वच्छ ऊर्जा के पूर्वोत्तर आगरा लिंक का पहले ही उद्घाटन हो चुका है। ईजीओएम स्तर पर हाल में किए गए निर्णय के अंतर्गत गैस आधारित विद्युत परियोजनाओं में तेजी लाने के लिए उपाय किए जा रहे हैं, ताकि उर्वरक क्षेत्र को 31.5 एमएमएससीएमडी के वर्तमान स्तर पर कुल घरेलू गैस आपूर्ति पर रोक लगाई जा सके तथा वर्ष 2013-14, 2014-15 और 2015-16 से सभी अतिरिक्त घरेलू गैस का आवंटन ऊर्जा क्षेत्र को किया जा सके। उन्होंने बताया कि ऊर्जा मंत्रालय एक गैस पुलिंग प्रस्ताव भी तैयार कर रहा है।
केंद्र सरकार के प्रोत्साहन के एक अंग के रूप में अतिरिक्त ऊर्जा के मूल्य के बराबर अनुदान देने तथा ए जी एंड सी क्षति कटौती के अंतर्गत वास्तविक और प्रदर्शन योग्य कार्य निष्पादन पर जोर दिया गया है, केंद्र क्षेत्र के इस योगदान को 51,577 करोड़ रूपये के कुल परिव्यय से ए जी एंड आर सी को पुर्न संरचित किया गया है। इस आरएपीडीआरपी योजना को 12वीं योजना के भीतर ही सभी दृष्टि से परिपूर्ण कर लिया जाएगा। उन्होंने राज्यों से अनुरोध किया है कि वे इस संबंध में एक समयबद्ध कार्यक्रम तैयार करें। केंद्र सरकार ए टी एंड सी क्षति में कटौती से अतिरिक्त बची बिजली के बराबर अनुदान प्रदान करेगी जो आर ए पी डी आर पी क्षति ट्रैजेक्टरों तथा राज्य सरकार की 25 प्रतिशत पूंजी प्रतिपूर्ति सपोर्ट से अलग होगी। इसके अलावा, अपनी एफ आर बी एम सीमाओं का पालन करते हुए विशेष प्रतिभूतियां जारी करके अगले 2 से 5 वर्षों में चरणबद्ध ढंग से राज्य सरकार द्वारा बाण्ड भी लिए जाएंगे। एफ आर पी की कतिपय शर्तों का पालन कर पाने में व्यावहारिक कठिनाइयों के फलस्वरूप झारखंड, बिहार, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक वित्तीय पुनर्संरचना योजना में भाग ले पाने में असमर्थ हैं। अब ऊर्जा मंत्रालय ए आर पी का लाभ प्रदान करने के लिए झारखंड, बिहार, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक को विशेष राहत देने पर विचार कर रहा है।
वित्तीय पुनर्संरचना योजना की शर्तों के एक अंग के रूप में, मॉडल स्टेट इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन रेसपांसिबिलिटी विधयेक को ऊर्जा मंत्रालय में अंतिम रूप दिया जा रहा है। इस विधेयक का उद्देश्य राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करने का दायित्व प्रदत्त करना है कि सरकार के स्वामित्व में वितरण लाइसेंस धारक वित्तीय एवं संचालनगत दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करें, ताकि वित्तीय पुनर्संरचना के माध्यम से उपभोक्ताओं को पर्याप्त एवं सस्ती बिजली आपूर्ति हो सके। ऊर्जा मंत्री ने राज्य सरकारों से अनुरोध किया है कि वे इस माडल स्टेट इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन रेसपांसिबिलिटी विधेयक की अधिसूचना की तिथि से 6 माह के भीतर इसके आधार पर एक उपयुक्त कानून बनायें। सिंधिया ने कहा कि राज्य विनियामक आयोगों के सक्षम संचालन के लिए परमावश्यक है कि राज्य सरकारें इसके चेयरपर्सन तथा सदस्यों के पदों को भरने के लिए अति सक्रिय रूप से कदम उठाएं तथा जैसे ही चेयरपर्सन अथवा सदस्यों की सेवाएं समाप्त हों इन पदों को भी भर दिया जाए। वर्तमान में राज्य विद्युत विनियामक आयोगों के 9 पद रिक्त पड़े हुए हैं।
सम्मेलन में केंद्र की राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना (आरजीजीवीवाई) तथा रिस्ट्रेक्टिड एसलरेटिड पावर डेवलपमेंट एंड रिचार्ज प्रोग्राम (आर-एपीडीआरपी) की प्रगति पर राज्यों के ऊर्जा मंत्री एवं अधिकारियों ने विचार-विमर्श किया। राज्यों के ऊर्जा मंत्रियों ने 13वीं योजना के अन्त तक हाइड्रो परियोजनाओं के टैरिफ आधार से प्रतिस्पर्धी संविदा से छूट देने के केंद्र के निर्णय को सराहा, तथापि उन्होंने गैस की बढ़ती कीमतों पर चिंता व्यक्त की, जिसमें सक्षम मूल्यों पर गैस आधारित बिजली परियोजनाओं के विद्युत उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उत्तराखंड के मुख्य मंत्री विजय बहुगुणा ने हाल में बाढ़ से प्रभावित 104 गांवों के लिए आरजीजीवीवाई के अंतर्गत सहायता का अनुरोध किया। उन्होंने 900 मेगावाट की गैस-आधारित बिजली परियोजनाओं को, जो उत्पादन के लिए पूरी तरह से तैयार हैं, तत्काल गैस आपूर्ति का अनुरोध किया। सिंधिया ने आश्वासन दिया कि संबंद्ध राज्य जैसे ही डीपीआर भेजते हैं, वे सीमावर्ती क्षेत्रों में आरजीजीवीवाई परियोजनाओं को मंजूरी प्रदान कर देंगे। ऊर्जा राज्य मंत्री ने सम्मेलन में स्मार्ट ग्रिड विजन एंड इंडिया के लिए रोड मैप विषयक पुस्तिका का भी लोकार्पण किया।