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Thursday 12 September 2013 10:51:17 AM
नई दिल्ली। भारत और जापान ने दोनों देशों के बीच निवेश में तेजी लाने के लिए एक खाका तैयार किया है। केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री आनंद शर्मा तथा जापान के आर्थिक, व्यापार तथा उद्योग मंत्री और दोनों देशों के उद्यमियों की बैठक में यह राय व्यक्त की गई कि भारत की बढ़ रही अर्थव्यवस्था तथा स्थाई निवेश के वातावरण से जापानी कंपनियों के लिए बड़े अवसर हैं। उन्होंने कहा कि हमारी योजना का मुख्य जोर निर्यातमुखी मेन्यूफैक्चरिंग पर है। जापान ने भारत में दिलचस्पी दिखाई है और इसका परिणाम न केवल विदेशी निवेश के प्रवाह में तेजी होगा, बल्कि भारतीय उद्योग में गुणवत्ता की संस्कृति और उच्चस्तरीय प्रबंधन व्यवहारों की संस्कृति विकसित होगी और साथ-साथ सप्लाई चेंज में भी मजबूती आएगी।
जापानी पक्ष ने इस साल से चेन्नई और पुणे से ऑटोमोबाइल पार्ट तथा कच्चे माल की उगाही के लिए कारोबारी मिलान संबंधी गतिविधियां करने पर सहमति व्यक्त की। इसका आयोजन दोनों देशों के बीच सप्लाई चेंज नेटवर्क को और अधिक मजबूती देने के लिए जापान विदेशी व्यापार संगठन (जेईटीआरओ) करेगा। जेईटीआरओ तथा नई ऊर्जा तथा औद्योगिक टैक्नालॉजी विकास संगठन (एनईडीओ) 2013 में जापान-भारत ऊर्जा प्रदर्शनी का आयोजन भी करेगा। इसका मकसद ऊर्जा बचत क्षेत्र में कारोबारी गठजोड़ है। दोनों देशों के व्यापारिक शिष्टमंडल ने निवेश नियमों, नीतियों तथा प्रक्रियाओं सहित केंद्र तथा राज्य सरकारों की निवेश सूचना को प्रसारित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
जापान, भारतीय निवेशकों को जापान में कारोबार से जुड़े सभी पक्षों से संबंधित जानकारी भारतीय निवेशकों को देगा। जापान जेईटीआरओ के जरिए भारतीय निर्यात संगठन जैसे संस्थानों को निर्यात बढ़ावा की दिशा में भी समर्थन देगा। दोनों देश औद्योगिक मानव संसाधन विकास भी शुरू करेंगे और इस काम में विदेशी मानव संसाधन तथा उद्योग विकास एसोसिएशन (एचआईडीए) के कार्यक्रमों का इस्तेमाल करेंगे। आनंद शर्मा ने जोर देते हुए कहा कि पिछले पांच वर्षों में जापान की ओर से निवेश बढ़ा है, लेकिन यह अभी दोनों देशों के बीच निवेश वृद्धि की संभावना से कम है।