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Thursday 3 October 2013 09:08:37 AM
नई दिल्ली। एक अक्टूबर को अमरीका से लौटते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने ऑनबोर्ड प्रेस कांफ्रेंस में दावा किया कि अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ उनकी बैठक बहुत अच्छी रही, बैठक के अंत में उसके परिणाम संयुक्त बयान में सामने रखे गए, न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र की महासभा को संबोधित किया और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना और नेपाल के प्रधानमंत्री के साथ बातचीत भी उपयोगी रही। उन्होंने संवाददाताओं के प्रश्नों के उत्तर दिए-
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि रक्षा सहयोग के क्षेत्र में हम खरीद-फरोख्त के संबंध से आगे बढ़कर सह-अनुसंधान के आधार पर, सह-उत्पादन पर आधारित संबंध बनाने का प्रयास कर रहे हैं और रक्षा सहयोग पर वार्ता के परिणाम हमारी सोच के अनुरूप हैं, हम चाहते हैं कि हमारा घरेलू उद्योग घरेलू उत्पादन में संलग्न हो, हम यह भी चाहते हैं कि 26 प्रतिशत विदेशी प्रत्यक्ष निवेश रक्षा उत्पादन में आए, इसलिए मैं सोचता हूं कि यह आगे की तरफ कदम है और बाकी के लिए हमें असैन्य परमाणु सहयोग के क्षेत्र में सहयोग मिला है। उन्होंने कहा कि अब वेस्टिंगहाउस और हमारे एनपीसीआईएल के बीच समझौते पर कार्य हो रहा है, अंतर-सरकारी स्तर पर इसके कार्यान्वयन में कोई क्षोभ नहीं हैं, ज्ञान पहल के क्षेत्र में, शिक्षा के क्षेत्र में, ऊर्जा के क्षेत्र में, पर्यावरण संबंधी मुद्दों के क्षेत्र में सहयोग में महत्वपूर्ण प्रगति हुई हैं, इन सभी क्षेत्रों में, यह सतत संबंध हैं और हमने पुनः समीक्षा की है तथा हमने समझ और सहयोग बढ़ाने के लिए साथ मिलकर काम करने की दोनों देशों की प्रतिबद्धता प्रकट की है।
उनका कहना था कि अमरीकी बिजनेस वर्ग की चिंताएं हैं, लेकिन बहुत व्यापक रूप से वे चिंता भारतीय अर्थव्यवस्था की मंदी से उपजी हैं, जब भारतीय अर्थव्यवस्था 8 से 9 प्रतिशत की दर से बढ़ रही थी, तो मैं सोचता हूं कि हर कोई बहुत खुश था, यहां तक कि जब हमारी नीतियों में त्रुटियां भी थीं, तब भी उन्होंने इसकी अनदेखी की और जब अर्थव्यवस्था सुस्त हुई तो लोगों ने दोष और बहाने तलाशने के प्रयास किए, राष्ट्रपति ने इस बारे में मुझसे विस्तार से बात नहीं की, उन्होंने हमारी चिंताएं समझीं, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि समय आ गया है, जब दोनों देशों के सीईओ फोरम साथ बैठें और इन मुद्दों पर चर्चा करें तथा मिलकर समाधान तलाशें।
नवाज शरीफ से बात की और आपने कहा कि उनके साथ उपयोगी चर्चा हुई, नियंत्रण रेखा पर सिर कलम करने की घटना के बाद आपने कहा था कि अब संबंध सामान्य नहीं रह सकते, क्या वह स्थिति अब बदल गई है? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि एक स्थिति में हम अपने संबंध सामान्य बनाने की दिशा में बढ़ रहे हैं और पहला कदम नियंत्रण रेखा पर शांति और प्रशांति लाना होगा और उसके लिए हम सहमत हुए हैं कि दोनों देशों के डीजीएमओ मिलेंगे और समझौते के लिए काम करेंगे, यह पता चलने में समय लगेगा कि क्या किया गया है तथा जिस पर सहमति बनी उस पर अमल किया गया या नहीं, लेकिन यह सभी कदम संबंध सामान्य बनाने की दिशा में हैं।
प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मुलाकात से पहले उनकी टिप्पणियों का आपकी बैठकों पर क्या असर पड़ा? इस पर उन्होंने कहा कि मैंने भी यह सब बातें सुनी हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने ऐसी किसी भी टिप्पणी से इनकार किया है। कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने उस अध्यादेश को कूड़ा-करकट बताया जिसे हाल ही में आपकी कैबिनेट ने मंजूरी दी थी, जिसने सेवारत सांसदों को दोषी होने पर अयोग्य ठहराए जाने से सुरक्षा दी थी, क्या आप अध्यादेश को वापस लेने की सोच रहे हैं? क्या इसने आपके प्राधिकार को कम किया है, क्या आप इस्तीफा देने पर विचार कर रहे हैं? उन्होंने कहा कि मैं सोचता हूं, मैंने राहुल गांधी का बयान देखा है, उन्होंने इस संबंध में मुझे लिखा भी है और मैं कहना चाहता हूं कि जब लोकतंत्र में मुद्दे लोकतांत्रिक राज शासन में उठाए जाते हैं, तब यह जानने के लिए कि संबंधित व्यक्ति के दिमाग में क्या चल रहा है, उसे समझने के प्रयास की शुरुआत होती है, जब मैं वापस जाउंगा तो मैं राहुल गांधी के साथ इन मामलों पर चर्चा करूंगा, उन्होंने मुझसे मुलाकात की बात कही है तथा मैं अपने कैबिनेट सहयोगियों को भी विश्वास में लूंगा्, हम देखेंगे कि हवा किस तरफ बहती है? इस्तीफा देने का कोई सवाल नहीं है, मैंने कहा, मैं यह सब मसले अपने कैबिनेट साथियों के आगे रखूंगा, ये सभी मामले हैं, जिन पर पहले सर्वोच्च निकाय, कांग्रेस पार्टी के कोर ग्रुप ने चर्चा की है, कैबिनेट ने इस मामले पर एक बार नहीं, दो बार चर्चा की है, लेकिन व्यक्ति का मन बदलना हमेशा संभव है तथा मैं इन सभी मुद्दों पर अपने साथियों से परामर्श करूंगा।
क्या आप सोचते हैं कि आपके प्राधिकार को क्षति पहुंचाई गई है? इस प्रश्न पर उन्होंने कहा कि नहीं मैं ऐसा महसूस नहीं करता, ईमानदारी से मैं महसूस करता हूं कि यदि कांग्रेस पार्टी के किसी सदस्य, मेरी कैबिनेट के किसी सदस्य के मन कोई महत्वपूर्ण विचार है तो वह उस मुद्दे को उठाने और उस पर आवश्यक विचार के लिए स्वतंत्र है, मैं मानता हूं कि यही लोकतंत्र है, मैं नहीं सोचता कि हम ऐसी प्राधिकार संरचना हैं, जिसमें एक व्यक्ति सभी तरह की लाइन तय करता है और इसलिए मेरा विनम्र अहसास है कि जब कोई बिंदु अभिव्यक्त किया गया, तो हमें साथ बैठना चाहिए और समझना चाहिए कि उस व्यक्ति के मन में क्या चल रहा है, जिसने ये मुद्दे उठाए हैं और वही हम करेंगे।
अरुणाचल प्रदेश को 350 बांध बनाने की अनुमति दी जा रही है, नदी की धारा के निचले इलाके में रहने वाले लोगों को अचानक ऊंचे और इतने अधिक बांधों के कारण चिंता है, क्या इस संख्या की समीक्षा या कम की जा सकती है? प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि आप तिब्बत में बांधों की बात कर रहे हैं, तो हमने चीन यात्रा के दौरान हर बार चीन सरकार के साथ पिछले तीन या चार अवसरों पर यह मुद्दा उठाया है, हमने यह मामला चीन सरकार के साथ उठाया है और अब यह समझ बनी है कि ये बांध नदी की धारा पर बनने वाले हैं, उनमें पानी का भंडारण शामिल नहीं है तथा वे नदी के प्रवाह को बाधित नहीं करेंगे, अतीत की तरह हम आगे भी अंतर-राज्य चिंता वाली नदियों के प्रबंध के लिए बेहतर सहकारिता व्यवस्था करने की तरफ चीन सरकार का ध्यान आकर्षित करते रहेंगे।
श्रीलंकाई राष्ट्रपति राजपक्षे संयुक्त राष्ट्र से इतर आपसे मुलाकात के उत्सुक हैं और उत्तरी श्रीलंका में शानदार जीत के साथ तमिल गठबंधन के साथ। क्या हमें इस अवसर का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए? इस पर मनमोहन सिंह ने कहा कि जहां तक उत्तरी प्रांत को ज्यादा अधिकार प्रदान करने की बात है, हमारे विचार सब जानते हैं,अनेक अवसरों पर हमने 13वें संशोधन को लागू करने के लिए श्रीलंकाई राष्ट्रपति के साथ चर्चा की है,इसलिए श्रीलंका सरकार हमारी पॉजीशन को अच्छी तरह जानती है,जहां तक राष्ट्रपति राजपक्षे के साथ बैठक की बात है, मुझे उनके साथ बैठक करने में कोई हिचकिचाहट नहीं है, उन्होंने बैठक की तिथियों के बारे में बात की जो मेरे लिए सुविधाजनक नहीं थी, इसलिए बैठक का इंतजाम नहीं किया जा सका।
क्या आप सोचते हैं कि राष्ट्रीय परिदृश्य में नरेंद्र मोदी का उभरना भारत देश के धर्मनिरपेक्ष राजशासन के लिए खतरा है? मनमोहन सिंह ने कहा कि मुझे पूरी उम्मीद है कि सभी धर्मनिरपेक्ष ताकतें नरेंद्र मोदी जैसे लोगों के आक्रमण का सामना करने के लिए एक हो जाएंगी और यह विश्वास करने का मेरे पास हर कारण है कि वह होगा, आप कुछ समय इंतजार करें, ताकि लोग यह समझ जाएं कि वे किसके खिलाफ हैं। यह प्रश्न शेख हसीना के साथ मुलाकात के बारे में है कि बांग्लादेश में इस बात पर असंतोष है कि हम तीस्ता और भूमि सीमा समझौते का कार्यान्वयन हासिल नहीं कर सके, क्या आप हमें अपने विचार-विमर्श के बारे में बताएंगे? उन्होंने कहा कि बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के साथ हमारे संबंध बहुत अच्छे हैं, मैं खुद निराश हूं कि समझौते की पुष्टि करने में हमें लंबा समय लग गया है तथा मैंने उन्हें आश्वासन दिया है कि अभी हमारे पास संसद के अगले सत्र के रूप में समय है, हम अपने विपक्षी दलों को समझाने के लिए पूरे प्रयास करेंगे, जिन्हें अब तक इससे समस्या है।
क्या आप सोचते हैं कि यूपीए-3 को सत्ता में आने के लिए आपका 10 साल का प्रदर्शन पर्याप्त अच्छा है? इस पर उन्होंने कहा कि मेरे लिए यह आकलन करना अभी जल्दबाजी होगी, यह आकलन लोगों को करने दें, मेरे पास यह विश्वास करने के पूरे कारण हैं कि हो सकता है, हमने कुछ गलत भी किया हो, लेकिन हमने बहुत सी अच्छी बातें की हैं तथा भारत के लोग उदार और सहनशील हैं, वे अपना वोट देने से पहले अच्छे काम, यूपीए की ठोस उपलब्धियों को ध्यान में रखेंगे। तेलंगाना मसला शुरू से सरकार का ध्यान आकर्षित करता रहा है, मुझे गृह मंत्री से जानकारी हो जाएगी कि वे किस स्थिति में पहुंच गए हैं, लेकिन यह बहुत कुछ हमारे दिमाग में है।
नवाज शरीफ के साथ यह आपकी पहली बात थी, क्या आपको ऐसा लगा कि वे किस्मत का धनी हैं या आपके विदेश मंत्री की तरह जिसने कहा कि उसे आईएसआई और पाकिस्तानी सेना रोक रही है, उन्होंने कहा कि मुझे पूरी उम्मीद है कि नवाज शरीफ सफल होंगे, वह लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए पड़ोसी देश के प्रधानमंत्री हैं और उन्होंने भारत-पाक संबंधों के बारे में सभी अच्छी बातें कही हैं, इसलिए मुझे पूरी उम्मीद है और प्रार्थना करता हूं कि वह अपने मिशन को आगे बढ़ाने में सफल हों।