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Monday 7 October 2013 08:51:41 AM
नई दिल्ली। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ऑस्कर फर्नांडीज ने कहा है कि अब समय आ गया है, जब सड़क सुरक्षा के अस्थायी उपायों के बजाय दीर्घकालिक कार्यक्रम तैयार किये जाएं और उन्हें लागू किया जाए। ऑस्कर फर्नांडीज आज यहां 14वीं राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद की पहली बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने सभी राज्यों से कहा कि वे देशभर में एक स्थायी सड़क परिवहन प्रणाली विकसित करके सड़कों को सुरक्षित बनाने के केंद्र सरकार के प्रयासों में योगदान दें। फर्नांडीज ने विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) के तैयारी चरण से लेकर सड़क परियोजना के पूरा होने तक सड़क सुरक्षा परीक्षण गतिविधियों की जरुरत और सड़कों के समय पर और बेहतर रखरखाव के लिए नई प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पर बल दिया।
आस्कर फर्नांडीज ने कहा कि पिछले दो वर्ष में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में कमी आई है। वर्ष 2012 के दौरान पहली बार सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या भी कम हुई है, लेकिन इसके बावजूद अभी भी यह संख्या काफी अधिक है। उन्होंने कहा कि 2012 में करीब 4.9 लाख दुर्घटनाओं में 1.38 लाख लोग मारे गए, जबकि 2011 में 5 लाख दुर्घटनाओं में 1.42 लाख लोग मारे गए थे। उन्होंने कहा कि परिवहन क्षेत्र इसकी अनदेखी नहीं कर सकता, इसके लिए राजनीतिक स्तर पर सड़क सुरक्षा को प्राथमिकता देने और विकासात्मक मुद्दे के रुप में योजना, कार्यान्वयन, निगरानी और सड़क सुरक्षा कार्यक्रमों के मूल्यांकन के लिए संस्थागत तंत्र स्थापित करने की जरुरत है। उन्होंने एनसीसी, एनएसएस, युवा क्लबों, नेहरु युवा केंद्र, होमगार्ड और अन्य सक्रिय संगठनों से कहा कि वे सड़क सुरक्षा का मुद्दा हाथ में लें। राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद सड़क सुरक्षा के लिए शीर्ष संस्था है, जिसकी स्थापना मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 215 के अंतर्गत की गई है।
फर्नांडीज ने कहा कि सरकार राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा नीति को मार्च 2010 में मंजूरी दे चुकी है। उन्होंने सभी राज्यों का आह्वान किया कि वे राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा नीति के बेहतर कार्यान्वयन के लिए एक समयबद्ध कार्ययोजना बनाएं। उन्होंने बताया कि सरकार राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा और यातायात प्रबंधन बोर्ड के गठन पर विचार कर रही है। यह बोर्ड देश की सड़क सुरक्षा गतिविधियों की चौकसी रखने के लिए एक समर्पित एजेंसी के रुप में कार्य करेगा और इसे सड़क सुरक्षा से जुड़े व्यापक मुद्दों पर दिशा-निर्देश जारी करने का अधिकार होगा। गुड़गांव-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर सड़क दुर्घटना के शिकार लोगों को 48 घंटे तक 30,000 रुपये तक कैशलैस इलाज की शुरु की गई सुविधा के बारे में फर्नांडीज ने बताया कि 300 से अधिक सड़क दुर्घटनाओं में घायल 110 मरीज अब तक इस योजना का लाभ उठा चुके हैं। एंबुलेंस को दुर्घटनास्थल तक पहुंचने में 11 मिनट लगते हैं, जीपीएस वाली एंबुलेंस टोल फ्री नंबर 1033 के जरिये केंद्रीय नियंत्रण कक्ष से संपर्क में रहती है, ये एंबुलेंस 20 किलोमीटर की दूरी पर खड़ी रहती हैं, ताकि घायलों को शुरुआती घंटों में अस्पताल पहुंचाकर उनकी जान बचाई जा सके।
आस्कर फर्नांडीज ने सभी राज्यों से कहा है कि वे इस्तेमाल में लाए जा रहे वाहनों की प्रमाणीकरण व्यवस्था का जायजा लें और पीपीपी के आधार पर स्वचालित वाहन निरीक्षण केंद्र स्थापित करें। उन्होंने कहा कि ट्रैफिक के नियमों को कड़ाई से लागू करना भी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि सभी ड्राइवरों को लखनवी तहजीब सिखाई जानी चाहिए। गाड़ी चलाने वाला प्रत्येक व्यक्ति पहले आप के सिद्धांत का पालन करे। इससे कई दुर्घटनाओं को टाला जा सकता है, अनेक जानें बच सकती हैं और यात्रा को कम तनावपूर्ण बनाया जा सकता है। इससे पहले सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री सर्वेय सत्यनारायण, तुषारभाई चौधरी तथा सड़क परिवहन और राजमार्ग सचिव विजय छिब्ब्र ने बैठक को संबोधित किया। बैठक में भारत सरकार, राज्य सरकारों के मंत्रालयों और संगठनों के प्रतिनिधि और परिषद के अन्य सदस्य मौजूद थे।