स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Friday 18 October 2013 07:43:27 AM
नई दिल्ली। भारत और हंगरी ने एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों के विकास और प्रोत्साहन के लिए एक द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। बृहस्पतिवार को हैदराबाद हाउस में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओर्बन की मौजूदगी में भारत की ओर से केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री संतोष चौधरी और हंगरी के राष्ट्रीय संसाधन मंत्री जोर्टन बनोंग ने सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किये। हंगरी ने भारत की परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों विशेषकर आयुर्वेद में काफी दिलचस्पी दिखाई है।
सहमति पत्र का मुख्य उद्देश्य समानता और परस्पर लाभ के आधार पर दोनों देशों की परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों के सशक्तिकरण, प्रोत्साहन और विकास में सहयोग देना है। सहमति पत्र चिकित्सा की परंपरागत पद्धतियों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने, इन्हें इस्तेमाल करने के लाइसेंस तथा एक-दूसरे के बाजारों में उनके विपणन के अधिकार के बारे में कानूनी सूचना के आदान-प्रदान, विशेषज्ञों, अर्द्ध चिकित्सा कर्मियों, वैज्ञानिकों, शिक्षकों और छात्रों की अदला-बदली के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देता है। सहमति पत्र पर हस्ताक्षर होने से दोनों देशों के बीच परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों के क्षेत्र में सहयोग बढ़ेगा, जिससे नई आर्थिक और व्यावसायिक संभावनाओं का पता चलेगा और पर्यटन का विकास होगा।
संतोष चौधरी ने आशा व्यक्त की है कि इस प्रकार के आपसी समझौतों पर हस्ताक्षर होने से भारत आयुर्वेद, यूनानी, योग, सिद्ध, होम्योपेथी जैसी चिकित्सा पद्धतियों को दुनियाभर में स्थापित कर सकेगा। उल्लेखनीय है कि भारत, मलेशिया और त्रिनिडाड टोबेगो के साथ ऐसे ही समझौते कर चुका है और निकट भविष्य में रूस, नेपाल, श्रीलंका, सर्बिया और मैक्सिको के साथ ऐसे ही समझौते करने वाला है।