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Saturday 19 October 2013 09:06:42 AM
नई दिल्ली। कृषि मजदूरों और ग्रामीण मज़दूरों के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के सिंतंबर, 2013 के आंकड़ों में क्रमश: 5 और 6 अंक की वृद्धि हुई है और यह अब दोनों के लिए 759 हो गये हैं (आधार 1986-87=100)। सूचकांक में बढ़ोत्तरी और गिरावट राज्यवार अलग-अलग है। कृषि मज़दूरों के मामलें में इसमें 19 राज्यों के लिए एक से 19 अंकों के बीच बढ़ोत्तरी हुई, जबकि एक राज्य के लिए 6 अंक की गिरावट आई। सूचकांक तालिका में 836 अंकों के साथ हरियाणा शीर्ष पर और 608 अंकों के साथ हिमाचल प्रदेश सबसे नीचे है।
कृषि मज़दूरों के मामलें में 18 राज्यों के लिए 2 से 19 अंकों के बीच बढ़ोत्तरी हुई, जबकि एक राज्य में सूचकांक में कोई परिवर्तन नहीं आया। सूचकांक तालिका में 830 अंकों के साथ हरियाणा शीर्ष पर और 640 अंकों के साथ हिमाचल प्रदेश सबसे नीचे है। हरियाणा राज्य में कृषि मजदूरों और ग्रामीण मजदूरों के लिए प्रत्येक में सबसे अधिक 19 अंक की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई, जिसका मुख्य कारण गेंहू का आटा, बाजरे का आटा, वनस्पति, बकरे के मांस, दूध, घी, प्याज, सब्जियों और फल, जलावन लकड़ी और सूती मिल के कपड़े के मूल्य में वृद्धि है, दूसरी तरफ कर्नाटक में कृषि मजदूरों के लिए सूचकांक में 6 अंक और ग्रामीण मजदूरों के लिए 7 अंक की कमी आई, जिसका मुख्य कारण चावल, ज्वार, सरसों के तेल, मुर्गी और अंडों, हरी मिर्च, सब्जियों और फल तथा मिट्टी के बर्तनों की कीमतों में आई गिरावट है।
कृषि मजदूरों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक और ग्रामीण मजदूरों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित, मुद्रा स्फीति की दर में अंक से अंक अगस्त, 2013 में क्रमश: 13 दशमलव 21 प्रतिशत और 12 दशमलव 89 प्रतिशत से सिंतंबर, 2013 में 12 दशमलव 78 प्रतिशत और 12 दशमलव 44 प्रतिशत गिरावट आई। कृषि मजदूरों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक और ग्रामीण मजदूरों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में खाद्य सूचकांक पर आधारित मुद्रा स्फीति सिंतंबर, 2013 में क्रमश: 13 दशमलव 27 प्रतिशत और 13 दशमलव 8 प्रतिशत रही।