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Saturday 19 October 2013 09:30:56 AM
नई दिल्ली। भारतीय लोक प्रशासन संस्थान-आइआईपीए की आम सभा की 59वीं वार्षिक बैठक के अवसर पर भारत के उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी ने कहा है कि संस्थान को खासकर समाज के ग़रीब और वंचित लोगों के कल्याण को ध्यान में रखकर की जाने वाली सरकार की सेवा वितरण प्रणाली में होने वाले लीकेज को तत्काल प्रभाव से बंद करने के लिए कदम उठाने चाहिएं। इन लीकेज की भारी आर्थिक और सामाजिक कीमत चुकानी पड़ती है, ऐसे लीकेज न केवल समाज के ग़रीब और वंचित वर्गो को नकारात्मक हाशिये पर धकेल देते हैं, बल्कि हमारी पूरी शासन प्रणाली को खोखला बना देते हैं।
उन्होंने कहा कि प्रशासन और शासन के कुछ अन्य मुद्दों का अध्ययन करना भी उपयोगी रहेगा। इनमें से पहला है-निर्णय लेने में अत्यधिक विवेक की भूमिका, जिसके चलते भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। दूसरा-सामाजिक आर्थिक कल्याणकारी योजनाओं को ज्यादा प्रभावी और कुशल तरीके से लागू करना, जिससे लक्षित लाभार्थियों तक इन कल्याणकारी योजनाओं के लाभ पहुंच सकें। तीसरा है-अर्थव्यवस्था में पहले से ही मौजूद महत्वपूर्ण खंड अनौपचारिक क्षेत्र से सबक सीखना तथा चौथा मुद्दा है-सामाजिक, व्यावसायिक और पर्यावरण क्षेत्र में साझेदारी तथा संयुक्त उपक्रम के मॉडल के रूप में काम करना।
आईआईपीए के प्रयासों की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि आईआईपीए ने प्रबंधन कौशल के विकास के लिए नही, बल्कि प्रशासन के क्षेत्र में निजी क्षेत्र तक पहुंच बढ़ाने के लिए यह पहला कदम उठाया है। भारतीय उद्योग परिसंघ-सीआईआई ने पंचायत, जिलों, राज्य और केंद्रीय स्तर पर प्रशासनिक कानूनों और प्रक्रियाओं से उद्योग और उसके अधिकारियों को परिचित कराने के लिए आईआईपीए की पहल के लिए उसकी सराहना की। सीआईआई ने शासन की एक पारदर्शी, कुशल और जवाबदेह प्रणाली में योगदान के लिए संस्थान के प्रयासों को सराहनीय बताया।
सीआईआई ने कहा कि आईआईपीए संकाय को भी दिन प्रतिदिन नये उभरते सार्वजनिक सरोकारों से निपटने के प्रयास करते रहना चाहिए। पूरा ध्यान तकनीक के प्रयोग समेत नई प्रक्रियाओं और प्रणालियों की समीक्षा तथा शोध पर केंद्रित होना चाहिए, जिन्हें प्रशासन के सभी स्तरों पर बेहतर नागरिक सेवा प्रदान करने के उद्देश्य के लिए इस्तेमाल किया जा सके। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने आईआईपीए के वार्षिक पुरस्कार प्रदान किये और प्रकाशनों का भी विमोचन किया।