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Saturday 19 October 2013 09:34:03 AM
नई दिल्ली। फरीदकोट हाउस के उद्घाटन और राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण-एनजीटी के तीसरे स्थापना दिवस पर उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी ने कहा है कि विश्व स्तर पर मान्यता है कि आर्थिक वृद्धि और विकास से पर्यावरण को खतरा उत्पन्न हो रहा है और हम इस पर्यावरणीय खतरे को नजरअंदाज नहीं कर सकते, क्योंकि यह न केवल हमारे देश के लिए बल्कि समूचे ग्रह के लिए नुकसानदेह है, हममें से कोई भी जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण क्षरण, ओजोन परत के रिक्तीकरण और हमारे ताजे पानी के प्रदूषण की चुनौतियों से नहीं बच सकता।
अंसारी ने कहा कि लोगों का समावेशी सामाजिक-आर्थिक विकास और उत्थान हर समाज और सरकार का कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण और सामाजिक-आर्थिक विकास आपस में इस तरह से संबद्ध हैं कि उनके पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव के बिना विकास की कल्पना नहीं की जा सकती। अब यह स्वीकार कर लिया गया है कि पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों की देखरेख के बिना गरीबी उन्मूलन और एक स्थायी समृद्धि प्राप्त नहीं की जा सकती, पर्यावरण और आर्थिक वृद्धि में परस्पर संबंध है। औद्योगिक उत्पादन में प्राकृतिक संसाधनों और कच्चे पदार्थों जैसे कि जल, इमारती लकड़ी और खनिजों का प्रयोग किया जाता है और इसी के चलते औद्योगिक वृद्धि पर्यावरण के नुकसान का कारण बन जाती है, इसलिए पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक विकास के एजेंडे की स्थिरता के लिए अच्छा संतुलन कायम करना बहुत जरूरी है।
हामिद अंसारी ने कहा कि मानव के लालच और बेकार चीजों की खपत की वजह से हमारे पर्यावरण को अपूर्णीय क्षति पहुंच रही है, इस समस्या से निपटने और इसका सही उपाय तलाशने के लिए हमें पर्यावर्णीय, आर्थिक और सामाजिक क्षेत्र में सतत विकास के लिए सभी आयामों का संतुलित तरीके से इस्तेमाल करना होगा। उन्होंने कहा कि देश को विकास के मार्ग पर अग्रसर करने के लिए कानून और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों से प्रेरित नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल को एक स्वतंत्र रैफरी और फेसिलिटेटर की भूमिका निभानी होगी।