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Saturday 19 October 2013 10:52:10 AM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री कार्यालय ने हिंडाल्को को कोयला ब्लाक के विवादास्पद आवंटन मुद्दे में किसी तरह की अपराधिता को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पात्रता के आधार पर मंजूरी दी थी, जो उनके समक्ष रखी गई थी। ओडिशा में महानंदी कोलफील्ड्स लिमिटेड, नेवेली लिग्नाइट कॉर्पोरेशन और हिंडालको को तालाबीरा द्वितीय और तृतीय कोयला ब्लॉकों के आवंटन से संबंधित मामले के मीडिया में व्यापक कवरेज के बाद पीएमओ ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि इस मामले सहित कोयला ब्लॉक आवंटन के मामले सीबीआई जांच का विषय हैं, जिसकी निगरानी सुप्रीम कोर्ट कर रही है, हालांकि, तालाबीरा कोल ब्लॉक आवंटन ऐसा मामला है, जहां अंतिम फैसला जांच समिति की पहले की सिफारिशों से अलग निर्णय लिया गया था और यह उनमें से एक पक्ष से प्रधानमंत्री कार्यालय में प्राप्त प्रतिनिधित्व के बाद किया गया था, जिसे मंत्रालय ने संदर्भित किया था।
बताया गया है कि प्रधानमंत्री संतुष्ट हैं कि इस संबंध में लिया गया अंतिम निर्णय पूरी तरह उपयुक्त था और उसके सामने रखे गए मामले की योग्यताओं पर आधारित है। निर्णय लेने के विभिन्न चरणों में प्रक्रियाओं का विवरण स्थिति स्पष्ट करने के लिए दिया गया है। यह स्वीकार किया जाता है कि यह आवंटन फिलहाल चल रही जांच के अधीन है। सीबीआई के जांच जारी रखने में और नई जानकारी हासिल करने में कोई बाधा नहीं डाली गई है जिससे मामले पर असर पड़ सकता है।इस और अन्य मामलों की जांच कानून के तहत अपने सामान्य ढंग से होनी चाहिए।
प्रधानमंत्री ने 7.5. 2005 को कुमार मंगलम बिड़ला का पत्र प्राप्त किया, जिसमें ओडिशा के संबलपुर जिले में एकीकृत एल्युमिनियम परियोजना में अपने 650 मेगावाट कैप्टिव पावर प्लांट के लिए तथा हीराकुंड एल्युमिनियम संयंत्र के विस्तार के लिए 100 मेगावाट मेगावाट कैप्टिव संयंत्र के लिए हिंडाल्को को ओडिशा में तालाबीरा द्वितीय और तृतीय कोल ब्लॉक के आवंटन का अनुरोध किया गया था। पत्र प्रधानमंत्री ने स्वीकार किया था, जिन्होंने पत्र पर टिप्पणी की थी-'कृपया कोयला मंत्रालय से रिपोर्ट प्राप्त करें।'
प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस मामले को देखने और रिपोर्ट भेजने के लिए यह अनुरोध 25.5.2005 को कोयला मंत्रालय को पत्र अग्रेषित कर दिया। कुमार मंगलम बिड़ला ने अनुरोध दोहराते हुए 17.6. 2005 को प्रधानमंत्री को एक और पत्र प्रस्तुत किया। यह पत्र पहले संदर्भ से जुड़ा हुआ था और इस मामले पर अपनी रिपोर्ट भेजने के अनुरोध के साथ कोयला मंत्रालय को भेजा गया था। अगस्त 2005 में कोयला मंत्रालय ने प्रधानमंत्री को इस मामले पर अपनी फाइल भेजी। फ़ाइल में यह उल्लेख किया गया कि जांच समिति ने तालाबीरा-द्वितीय के आवंटन के लिए तीन प्रमुख दावेदारों पर विचार किया और यह ब्लॉक नेवेली लिग्नाइट कॉर्पोरेशन (एनएलसी ) को आवंटित करने का फैसला किया क्योंकि-
महानंदी कोलफील्ड्स लिमिटेड ( एमसीएल ) से हिंडालको के लिए बहुत पहले पर्याप्त कोयला लिंकेज उपलब्ध कराया गया था और हिंडालको ने कोयला इस्तेमाल नहीं किया था। अतिरिक्त 30 लाख टन कोयला निकालने के लिए तालाबीरा द्वितीय एवं तृतीय ब्लॉक को एक साथ विकसित करने की आवश्यकता थी, जो अन्यथा प्रत्येक ब्लॉक की सीमाओं पर बेकार चला गया होता (तालाबीरा-तृतीय ऐसा कोल ब्लॉक है, जो महानंदी कोलफील्ड्स लिमिटेड को अलग से आवंटित किया गया था) औरएनएलसी और महानंदी कोलफील्ड्स लिमिटेड संयुक्त उद्यम (जेवी) के माध्यम से एक बड़े खान के रूप में एक साथ दो ब्लॉकों को विकसित कर सकते हैं।
कुमार मंगलम बिड़ला ने हिंडाल्को को तालाबीरा-II के आवंटन के लिए अनुरोध किया था, क्योंकि हिंडालको इसके लिए पहला आवेदक था, जिसने बहुत पहले 1996 में आवंटन का अनुरोध किया था। पहले मंजूर किए गए कोयला लिंकेज का इस्तेमाल नहीं किया गया, क्योंकि एल्यूमीनियम संयंत्र से संबंधित बाक्साइट खान की लीज को अंतिम रूप नहीं दिया गया। कोयले की मौजूदा कमी को देखते हुए, महानंदी कोलफील्ड्स लिमिटेड पहले लिंकेज के अनुसार कोयला आपूर्ति करने में सक्षम नहीं होगी। ओडिशा सरकार ने एनएलसी को वरीयता के बजाय हिंडाल्को को तालाबीरा-II के आवंटन का समर्थन किया, जबकि फाइल पीएमओ में देखी जा रही थी।
प्रधानमंत्री ने हिंडाल्को को तालाबीरा -II के आवंटन पर ओडिशा के मुख्यमंत्री से 17.8.2005 को पत्र प्राप्त किया। मुख्यमंत्री के पत्र में उल्लेख किया गया था कि राज्य सरकार ने हिंडाल्को को तालाबीरा -II के आवंटन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी थी और संचालन समिति की बैठक में जोरदार ढंग से इस मामले का समर्थन किया था। पत्र में उल्लेख था कि स्वतंत्र बिजली संयंत्रों के बजाय एल्यूमीनियम संयंत्रों को उच्च प्राथमिकता मिलनी चाहिए, क्योंकि उनसे अधिक रोज़गार सृजन होता है, देश के लिए अधिक धन बनता है और सीधे विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि होती है। इसके अलावा उसमें कहा गया कि जहां कोयला खदान स्थित है, उस राज्य के भीतर निर्माण के माध्यम से अधिक मूल्य वर्धित इकाइयों को उच्च प्राथमिकता देना न्यायसंगत है। पत्र में अनुरोध किया गया कि इन विशेष बातों को ध्यान में रखा जाए और इस मामले की जांच शीघ्र की जाए।
दिनांक 29.8.2005 को कोयला मंत्रालय ने यह टिप्पणी करके फ़ाइल वापस कर दी कि जब फाइल पर काम चल रहा था, तब ओडिशा के मुख्यमंत्री का पत्र प्राप्त हुआ और कोयला मंत्रालय ओडिशा के मुख्यमंत्री के इस पत्र को रिकॉर्ड में ले सकता है, कृपया उसके प्रकाश में मामले की फिर से जांच की जाए और फाइल फिर से प्रस्तुत की जाए। कोयला मंत्रालय ने इस प्रस्ताव के साथ 16.9.2005 को फाइल पुनः प्रस्तुत की कि एक खान के रूप में तालाबीरा-द्वितीय एवं तृतीय का खनन एमसीएल, एनएलसी और हिंडालको के बीच गठित संयुक्त उद्यम द्वारा किया जाए। एमसीएल, एनएलसी और हिंडालको के बीच संयुक्त उद्यम की हिस्सेदारी 70:15:15 हो। महानंदी कोलफील्ड्स लिमिटेड की 70 प्रतिशत इक्विटी हिस्सेदारी दोनों ब्लॉक के कुल योग के अनुपात के रूप में लगभग तालाबीरा-तृतीय के निकाले जाने योग्य भंडार के बराबर होगी। साझा व्यवस्था के तहत कुल सालाना उत्पादन का 70 प्रतिशत महानंदी कोलफील्ड्स लिमिटेड को सौंप दिया जाएगा। वार्षिक उत्पादन के शेष 30 प्रतिशत को प्रत्येक 15 प्रतिशत के हिसाब से हिंडालको और एनएलसी के बीच साझा किया जाएगा। एनएलसी की संतुष्टि के स्तर में अपनी कुल जरूरत का का 29 प्रतिशत और हिंडालको का 81.5 प्रतिशत होगा।
कोयला मंत्रालय के तर्क थे कि संयुक्त रूप से तालाबीरा द्वितीय एवं तृतीय में 553 मिलियन टन का भंडार है। तीन मुख्य दावेदारों की इन ब्लॉकों से कोयले की कुल जरूरत 503 मिलियन टन है, जिसमें से एनएलसी को 280 मिलियन टन, हिंडालको को 100 मिलियन टन और ओडिशा स्पॉन्ज आयरन लिमिटेड (ओएसआइएल) की मांग की मांग 123 मिलियन टन की मांग है। इन तीनों को ब्लॉकों के आवंटन से महानंदी कोलफील्ड्स लिमिटेड के लिए कोयला कम हो जाएगा। एनएलसी को नहीं छोड़ा जा सकता है, क्योंकि इस केंद्रीय पीएसयू की पहले से ही जांच समिति ने सिफारिश की है। आवंटन के लिए हिंडाल्को के मामले पर दृढ़ता से राज्य सरकार ने सिफारिश की है और यह प्रारंभिक आवेदक भी है। ओएसआइएल को अन्यत्र समायोजित किया जा सकता है।
यह कहा गया कि ओडिशा सरकार ने राज्य में अधिक रोज़गार और विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि के हित में हिंडालको के लिए ब्लॉक के आवंटन को स्पष्ट वरीयता का संकेत दिया है। यह ध्यान भी दिलाया गया कि हिंडालको और एनएलसी दोनों कोयले की एक ही राशि प्राप्त करते हैं, जबकि हिंडाल्को की संतुष्टि का स्तर करीब 80 प्रतिशत है और एनएलसी का बहुत कम। हालांकि एनएलसी और महानंदी कोलफील्ड्स लिमिटेड तालाबीरा-द्वितीय और तृतीय से उपलब्ध कोयले से संयुक्त उद्यम बिजली संयंत्र स्थापित करने का प्रस्ताव कर रहे हैं, इसलिए एनएलसी की आवश्यकता तालाबीरा-II में महानंदी कोलफील्ड्स लिमिटेड के भंडार से पूरी हो सकती है। यह दोनों सीपीयू को अपनी बिजली परियोजना की स्थापना और सीपीएसयू के हितों की रक्षा करने के लिए कोयले की जरूरत को पूरा करेगा।
प्रधानमंत्री कार्यालय में इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाते समय, यह ध्यान दिया गया कि जेवी स्वामित्व में स्वामित्व अनुपात उन दिशा-निर्देशों के अनुसार नहीं था, जो प्रधानमंत्री ने 9.6.2005 को अनुमादित की थी, जिनके लिए यह अनुपात प्रत्येक आवंटी की कोयला जरूरत के आकलन के अनुपात में होना चाहिए। इस दिशा-निर्देश के अनुसारउनके 30 प्रतिशत हिस्से में एनएलसीःहिंडाल्को अनुपात 22.5:7.5 होना चाहिए तथा अनुमोदित किया गया 15:15 नहीं।प्रधानमंत्री को मामले की सिफारिश करते समय यह स्पष्ट बताया गया था कि ओडिशा की राज्य सरकार ने दृढ़ता से हिंडाल्को को तालाबीरा-II के आवंटन की सिफारिश की है और जांच समिति में इसका समर्थन किया है। ओडिशा के मुख्यमंत्री ने हिंडालको के पक्ष में तालाबीरा-II के आवंटन को सर्वोच्च प्राथमिकता देने में इस स्थिति को दोहराया था।
एमएमडीआर अधिनियम के तहत कोयले के लिए खनन पट्टा केंद्रीय सरकार की पूर्व मंजूरी के साथ राज्य सरकार देती है। इस प्रकार इस अधिनियम के तहत प्रदान खनन अधिकार बांटने के संघीय ढांचे के तहत केंद्र और राज्य सरकारों दोनों को खनन का पट्टा देने से पहले सहमत होने की जरूरत है, तद्नुसार ओडिशा सरकार की मजबूत सिफारिश महत्वपूर्ण है और इस मामले में एक निर्णय लेते समय इस पर उचित ध्यान दिया जाना चाहिए। एमसीएल द्वारा कुल उत्पादन में से शेष 70 प्रतिशत के साथ, एनएलसी और हिंडालको के लिए संयुक्त तालाबीरा-II और III के लिए संयुक्त उद्यम में उत्पादन के 30 प्रतिशत शेयर के आवंटन के लिए मंत्रालय का सुझाव योग्य है और इसलिए स्वीकृति के लिए उस पर विचार किया जा सकता है।
जेवी में एनएलसीःहिंडाल्को इक्विटी अनुपात के लिए, इसे पहले प्रधानमंत्री द्वारा अनुमोदित दिशा-निर्देशों में छूट की आवश्यकता होगी, लेकिन एनएलसी और महानंदी कोलफील्ड्स लिमिटेड दोनों सिस्टर पीएसयू हैं तथा कोयले की एनएलसी की आवश्यकताओं को महानंदी कोलफील्ड्स से लिमिटेड की 70 प्रतिशत से पूरा किया जा सकता है। इससे बिजली परियोजना की स्थापना और सीपीएसयू के हितों की रक्षा करने के लिए दो सीपीएसयू के कोयले की जरूरत पूरी हो जाएगी। इन तर्कों के आधार पर और मंत्रालय के तर्क के आधार पर भी, यह प्रस्तावित किया गया कि प्रधानमंत्री स्वीकार कर सकते हैं, मंत्रालय के प्रस्तावित अन्य पहलुओं के साथ 70:15:15 के अनुपात में एमसीएलःएनएलसीःहिंडाल्को के एक संयुक्त उद्यम के लिए तालाबीरा-II और III का आवंटन। हिंडालको के मौजूदा दीर्घकालिक कोयला लिंकेज की समीक्षा की जा सकती है तथा परियोजना के लिए कोयले की हिंडाल्को की जरूरत और तालाबीरा-द्वितीय एवं तृतीय में संयुक्त उपक्रम द्वारा कोयला खनन में हिंडाल्को के शेयर पर विचार के बाद इसे उचित ढंग से कम किया जा सकता है। प्रधानमंत्री ने 1.10.2005 को प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।