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Sunday 20 October 2013 10:43:16 AM
नई दिल्ली। आंध्र प्रदेश का विभाजन कर तेलंगाना राज्य बनाने का फैसला अंतिम है, हालाकि इसके गठन से संबंधित मुद्दों पर विचार करने के लिए कल यहां मंत्रियों के समूह (जीओएम) की केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे की अध्यक्षता में दूसरी कूटनीतिक बैठक आयोजित की गई। टकराव को टाले रखने के लिए मंत्रियों के समूह ने फैसला किया कि राजनीतिक दलों, जनप्रतिनिधियों और व्यक्तियों को मंत्री समूह को विशिष्ट शर्तों से संबंधित अपने सुझाव भेजने के लिए अधिक समय दिया जाना चाहिए। कहा जा रहा है कि जब फैसला हो चुका है तो इस प्रकार की बैठकों का अब कोई मतलब नहीं रह जाता है, सिवाय परिसंपत्तियों के बंटवारे के। मंत्री समूह के विचार के लिए अब केवल यही विषय प्रमुख है, जिस पर अंतिम और संशोधन फैसले होने बाकी हैं, जो सुझावों के प्राप्त होने पर और आसान हो जाएंगे।
सुझाव गृह मंत्रालय की वेबसाइट mha.nic.in/gom.htm पर भेजे जा सकते हैं या इस पते पर डाक से भेजे जा सकते हैं-निदेशक (सीएस द्वितीय) केंद्र राज्य प्रभाग, गृह मंत्रालय, 5वीं मंजिल, बी-विंग, एनडीसीसी-द्वितीय भवन, जय सिंह रोड, नई दिल्ली-110 001. सुझाव 5 नवंबर 2013 तक गृह मंत्रालय तक पहुंच जाने चाहिएं। मंत्रियों के समूह ने भी बंटवारे से संबंधित विभिन्न मुद्दों के बारे में गृह मंत्रालय के तैयार किए गए पृष्ठभूमि नोटों पर विचार किया। मंत्रियों के समूह ने लोकसभा अध्यक्ष द्वारा आंध्र प्रदेश के सांसदों के इस्तीफे नामंजूर किए जाने का भी संज्ञान लिया। माना जा रहा है कि यूपीए सरकार को आंध्र में जनआक्रोश के शांत होने और उसके कमज़ोर पड़ने की प्रतीक्षा है। उसका मानना है कि विरोध करने वाले प्रमुख नेता तो तेलंगाना का फैसला होने से पहले ही समर्थन कर चुके हैं, जिससे अब उनके विरोध का कोई औचित्य नहीं है। वे जनता में अपने खिलाफ नाराजगी को कम करने के लिए विरोध की भूमिका में हैं। कांग्रेस भी अब विरोध के नाम पर अपने राजनीतिक फैसले बदलने को तैयार नहीं है।
मंत्रियों के समूह ने तेलंगाना पर प्राप्त सुझावों पर चर्चा की है। उन्होंने निर्देश दिया कि ई-मेल में दिए गए सुझावों को स्थिति रिपोर्ट को अद्यतन करते समय संबंधित मंत्रालयों को ध्यान में रखा जाए। उनका कहना है कि मंत्रालयों को मंत्रिसमूह के विचार के लिए संदर्भ की शर्तों के आधार पर विशिष्ट सिफारिशें करनी चाहिएं। आंध्र प्रदेश के विभाजन और तेलंगाना राज्य बनाने पर भारत सरकार के मंत्रालयों, विभागों और योजना आयोग के पास खूब सुझाव और ज्ञापन आ रहे हैं। बैठक में मंत्रियों के समूह के विचारार्थ विषय संबंधी मुद्दों पर स्थिति नोट्स प्रस्तुत किए गए। आंध्र प्रदेश के बंटवारे के संबंध में गृह मंत्रालय की वेबसाइट पर प्राप्त बड़ी संख्या में ई-मेल को भी संदर्भ शर्तों से संबंधित किया गया। बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री वीरप्पा मोइली, ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश और कार्मिक एवं प्रधानमंत्री कार्यालय के मंत्रालय में राज्य मंत्री वी नारायणसामी मौजूद थे। अब मंत्रियों के समूह की बैठक 7 नवंबर 2013 को आयोजित की जाएगी।