मनोहर पुरी
Monday 21 October 2013 08:17:42 AM
नई दिल्ली। पेंशन कोष नियामक तथा विकास प्राधिकरण विधेयक के संसद में पारित होने के बाद प्रतिवर्ष पेंशन फंड का आकार दोगुना होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। इस समय यह फंड 34 हजार 965 करोड़ रुपये है। भारत में आज तक यह आम धारणा रही है कि पेंशन केवल सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त (रिटायर) होने वाले कर्मचारियों को ही मिलती है। कुछ प्रतिशत लोग यह जानते हैं कि बड़े उद्योग धंधों में काम करने वाले लोगों की भी पेंशन लगती है। यहां यह जानना आवश्यक है कि पेंशन योजनाओं से हमारा अभिप्राय है क्या ? पेंशन योजनाएं ऐसी व्यक्तिगत योजनाएं हैं, जो आपके भविष्य की प्रतिभूति तथा बुढ़ापे के दौरान वित्तीय स्थिरता की पूर्व तैयारी रखती हैं। ये पालिसियां वरिष्ठ नागरिकों और जो सुरक्षित भविष्य की योजनाएं बना रहे हैं, उनके लिए अत्यंत आवश्यक हैं, इसीलिए आप जीवन में सर्वोत्तम चीजों को कभी नहीं खोते। स्वतंत्रता प्राप्ति से लेकर आज तक आम जनता के लिए सामाजिक सुरक्षा के नाम पर कोई बहुत ठोस उपाय नहीं किये गये हैं। इसका एक मुख्य कारण यह भी रहा है कि आम भारतीय अपना रिटायर होने के समय से संबंधित योजनाओं पर गंभीरता से विचार-विमर्श नहीं करते हैं, जबकि यह उतना ही आवश्यक है, जितना कि बचत करने के विषय में सोचना।
सरकार का उद्देश्य है कि पेंशन का लाभ केवल सरकारी केंद्रीय कर्मचारियों और संगठित श्रमिकों तक ही सीमित न रह कर आम आदमी तक भी पहुंचे। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए संसद ने पेंशन कोष नियामक तथा विकास प्राधिकरण विधेयक 2011 को पारित किया। इसके माध्यम से नई पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के नियमन का अधिकार पेंशन कोष नियामक तथा विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) को मिल गया है। भारत में एक जनवरी 2004 से पूर्व भर्ती हुए कर्मचारियों पर लागू पुरानी पेंशन व्यवस्था एक निश्चित लाभ प्रणाली पर आधारित थी। इसके अंतर्गत किसी भी कर्मचारी के रिटायर होने पर उसे प्रति माह एक निश्चित राशि पेंशन के रूप में मिलती थी। यह राशि उस कर्मचारी के नौकरी में व्यतीत किये गये वर्षों तथा उसके वेतनमान पर निर्भर करती थी, जबकि नई व्यवस्था में उसे मिलने वाली पेंशन उसके योगदान तथा शेयर बाजार में उस पर मिलने वाले लाभांश पर आधारित होगी। नई पेंशन प्रणाली धन अर्जित करने के साथ-साथ धन की बचत करने पर आधारित की गई है। इसके माध्यम से सरकारी कर्मचारियों को वृद्धावस्था आय सुरक्षा भी प्रदान की जाएगी। इससे पेंशनधारी को अपना बुढ़ापा सुविधपूर्वक व्यतीत करने में सुगमता होगी।
प्रारंभ से ही पेंशन को परिवार के सुरक्षित भविष्य की गारंटी माना जाता रहा है। आम आदमी इस प्रकार की सुरक्षा गारंटी से सदैव वंचित रहा है। पेंशन फंड नियमन व विकास प्राधिकरण विधेयक के पारित होने से देश के लाखों असंगठित मजदूरों के परिवारों में खुशहाली छाएगी, ऐसी आशा की जा रही है। देश के आम लोगों को पेंशन स्कीम का लाभ उपलब्ध हो सके इसके लिए सरकार ने स्वावलंबन योजना को लागू किया है। इसमें असंगठित क्षेत्र के श्रमिक और 18 वर्ष से 55 वर्ष तक की आयु का कोई भी भारतीय न्यू पेंशन स्कीम में निवेश कर सकता है। इस प्रकार नियमित रूप से नौकरी न करने वाले और छोटे-मोटे धंधों में कार्यरत कामगार भी स्वैच्छिक आधार पर इस योजना में सम्मिलित हो सकेंगे। इस योजना के अंतर्गत सदस्य बनने वाले सदस्यों के योगदान के साथ-साथ नियोक्ता भी अपना अंश जमा करवाएंगे। इस योजना में कर्मचारियों के वेतन का दस प्रतिशत तक नियोक्ता के अंशदान को व्यवसाय के खर्च के तौर पर सम्मिलित किया गया है, जबकि वर्तमान में नियोक्ता की न्यू पेंशन स्कीम में किये जा रहे अंशदान को व्यवसाय के खर्च के रूप में सम्मिलित करने की पात्रता नहीं है। इस योजना के अंतर्गत नियोक्ता को अंशदान पर आयकर में छूट प्राप्त होगी। स्वावलंबन योजना के अंतर्गत अब फंड से पैसा निकालने की आयु 50 वर्ष अथवा 20 वर्ष की अवधि, जो भी अधिक हो कर दी गई है। इससे पूर्व इस फंड से 60 वर्ष की आयु के बाद ही धन निकाला जा सकता था।
स्मरणीय है कि इस क्षेत्र में कई वर्षों से पेंशन फंड नियमन और विकास प्राधिकरण कार्यरत था, परंतु प्राधिकरण के पास किसी प्रकार के संवैधानिक अधिकार न होने के कारण वांछित परिणाम सामने नहीं आ रहे थे। इस विधेयक के पारित होने से प्राधिकरण (पीएफआरडीए) को संवैधानिक अधिकार प्राप्त हो गये हैं। इस अधिकार के कारण अब प्राधिकरण कहीं अधिक कारगर ढंग से कार्य कर पायेगा। अब तक लोगों का भरोसा भी इस योजना के प्रति कम था, जिसमें अब बढ़ोतरी हो सकेगी, क्योंकि यदि कोई व्यक्ति अथवा संस्था इसमें किसी प्रकार का गलत काम करेगी तो प्राधिकरण को उसे दंडित करने का भी अधिकार प्राप्त हो गया है। अब जब पेंशन कंपनियां अपना काम अधिक जिम्मेदारी से करेंगी तो निश्चित तौर पर ग्राहकों को बेहतर सेवा उपलब्ध हो सकेगी। इस अधिनियम के माध्यम से सरकार ने अपना दृष्टिकोण स्पष्ट कर दिया है कि देश के सभी नागरिक इस प्रकार की योजनाओं से जुड़ें। इस समय देश के कामगारों का महज 17 प्रतिशत हिस्सा ही पेंशन का लाभ उठा रहा है, जबकि 87 प्रतिशत लोग इससे बाहर हैं। इस अधिनियम के बाद प्रतिवर्ष पेंशन फंड का आकार दोगुना होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। इस समय यह फंड 34 हजार 965 करोड़ रुपये है। पांच साल में यह कितना विस्तृत हो जाएगा इसका सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। एक अनुमान के अनुसार 13वीं पंचवर्षीय योजना तक पेंशन कोष का 35 हजार करोड़ रुपया बढ़ कर आठ-दस लाख करोड़ के आस-पास हो जाएगा। इस राशि का एक बड़ा भाग देश में सड़क और बिजली जैसी ढांचागत परियोजनाओं के माध्यम से विकास कार्यों पर लगाया जाएगा।
भारत सरकार के इस तथ्य का बहुत गंभीरता से अध्ययन करवाने पर ज्ञात हुआ कि असंगठित क्षेत्र में पेंशन उत्पादों की सबसे अधिक आवश्यकता है। इसके लोकप्रिय होने की संभावनाएं भी अपार हैं। इसके लिए पीएफआरडीए ने सरकार से मांग की है कि स्वावलंबन योजना में जो वित्तीय सहायता दो-तीन वर्षों के लिए दी जा रही है, उसे एकमुश्त 25 वर्षों तक देने की घोषणा की जाए, ताकि लोगों का अधिक भरोसा प्राप्त किया जा सके। इससे लगभग 35 करोड़ ऐसे असंगठित लोगों को भी लाभ मिलेगा, जिन्होंने कभी कहीं भी जम कर नौकरी नहीं की। ऐसे लोग जिनका जीवन-यापन रेहड़ी खेमचे और छोटे-मोटे काम धंधों के बल पर होता रहा है, इस योजना को कार्य रूप में लाने के लिए राज्य सरकारों की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। सरकार ने गलियों में फेरी लगाने वालों के लिए भी पेंशन की घोषणा की है। इस प्रकार इस योजना के दायरे में असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले कम आय के लोग आएंगे। इसके तहत दस्तकार, छोटे मजदूर, घरेलू काम में लगे लोग, चमड़े का काम करने वाले, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, ऑटो टैक्सी चालक और कुली इत्यादि भी राष्ट्रीय सुरक्षा बीमा योजना का लाभ लेने वाले लोगों को पेंशन मिलेगी। इस योजना में उन सभी व्यक्तियों को शामिल किया गया है, जिन्हें केंद्रीय सरकार, राज्य सरकार, सार्वजनिक क्षेत्र आदि के अंतर्गत रिटायरमेंट का लाभ नहीं मिल रहा।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि जीवन बीमा कंपनियों ने कुछ वर्ष पूर्व पर्याप्त पेंशन पालिसियां बाजार में प्रस्तुत की थीं, परंतु धीरे-धीरे उनका आकर्षण कम होने लगा था, क्योंकि उनके साथ काफी जोखिम भी जुड़ा हुआ था। ऐसी कंपनियों के साथ धन निवेश करके कई लोग स्वयं को ठगा महसूस करते थे। ऐसी स्थिति में उन पालिसियों को संपूर्ण पेंशन उत्पाद नहीं कहा जा सकता था। इस अधिनियम के कारण लोग पुन: इस ओर आकर्षित होने लगे हैं, क्योंकि यह पूरी तरह से पेंशन प्लान है। इतना ही नहीं अब लोगों को यह जानकारी भी उपलब्ध होगी कि उनके धन का निवेश कहां पर किया जा रहा है। विधेयक में अपना धन निवेश करने के व्यापक विकल्प उपलब्ध होंगे। इनमें सरकारी बॉण्ड में निवेश का विकल्प तथा उनकी जोखिम क्षमता के अनुरूप अन्य किसी कोष में निवेश का विकल्प भी होगा। इसके माध्यम से ग्राहक को एक सीमा के भीतर शेयर बाजार में निवेश करने की अनुमति मिलेगी। अधिनियम में प्रतिभूति की सुरक्षा का भी प्रावधान है। इसके माध्यम से प्रत्येक ग्राहक को व्यक्तिगत पेंशन खाता मिलेगा, जिसे चालू खाते में भी बदलने की अनुमति होगी। सरकार ने न्यू पेंशन योजना खातों में अपने अंशदान की अवधि 3 वर्ष से बढ़ा कर पांच वर्ष कर दी है। ग्राहक स्वयं अपने लिए फंड मैनेजर और योजना चुन सकेंगे। उन्हें अपना फंड मैनेजर बदलने की भी छूट होगी। पेंशन फंड मैनेजरों में से कम से कम एक सार्वजनिक क्षेत्र से होगा। पेंशन क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा भी निर्धारित कर दी गई है।
इस प्रकार यह कानून विश्व के सामने भारतीय अर्थव्यवस्था का एक नया चित्र प्रस्तुत करेगा। कुछ अर्थशास्त्री इस प्रकार की आशंका व्यक्त कर रहे हैं कि सामाजिक सुरक्षा वाली धनराशि को अस्थिर स्टाक बाजार में लगाने तथा लोगों की गाढ़ी कमाई के प्रबंधन के लिए एफडीआई की अनुमति देने के प्रावधान उचित नहीं हैं। समाज का एक बुद्धिजीवी वर्ग यह मानता है कि पेंशन के पैसे को शेयर बाजार में निवेश करने की अनुमति एक सही निर्णय नहीं है, फिर भी सरकार ने यह कदम बहुत सोच समझ कर जन हित में ही उठाया है और उसे संसद में विपक्षी दलों का पूरा समर्थन मिलना भी यह दर्शाता है कि इस कदम से आम आदमी का हित जुड़ा है।