स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Thursday 24 October 2013 08:13:22 AM
पेईचिंग। भारत में बिहार राज्य में नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना पर चीन में समझौता किया गया है। इससे नालंदा विश्वविद्यालय प्रतिभागी देशों के छात्रों, विद्वानों, शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों को उत्कृष्टता के एक अंतरराष्ट्रीय केंद्र के रूप में नालंदा विश्वविद्यालय के विकास में सहयोग के लिए सक्षम हो जाएगा।
पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में ब्रुनेई दारुस्सलाम, कंबोडिया किंगडम, इंडोनेशिया गणराज्य, लाओ पीपुल्स डेमोक्रेटिक रिपब्लिक, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस गणराज्य, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम समाजवादी गणराज्य, ऑस्ट्रेलिया, चीन जनवादी गणराज्य, भारत गणराज्य, जापान, कोरिया, न्यूजीलैंड, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका ने शिरकत की थी। ये देश ऐसी अंतरराष्ट्रीय संस्था स्थापित करने के इच्छुक थे, जो मन की एकता को साकार करने के लिए पुराने रिश्तों की नई खोज करने के साझा उद्देश्य से भविष्य की पीढ़ियों को एक साथ लाकर एक एशियाई समुदाय की अवधारणा को आगे बढ़ाएंगी। फिलीपींस गणराज्य के शहर सेबू में 15 जनवरी 2007 को आयोजित दूसरे पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में एक दूसरे की विरासत और इतिहास की क्षेत्रीय समझ और प्रशंसा में सुधार के लिए भारत में बिहार राज्य में स्थित नालंदा विश्वविद्यालय के पुनरुद्धार का संकल्प लिया गया था।
यह भी स्मरण किया गया कि थाईलैंड में हुआ हिन में 25 अक्टूबर, 2009 को आयोजित चौथे पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना का समर्थन और प्रोत्साहन किया गया, ताकि प्रस्तावित नालंदा विश्वविद्यालय और पूर्व एशिया के प्रतिभागी देशों में उत्कृष्टता के मौजूदा केंद्रों के बीच नेटवर्किंग और सहयोग को बढ़ावा दिया जा सके जहां छात्रों, विद्वानों, शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों को समुदाय की तरह सीखने का मौका मिले। पंद्रह जनवरी 2007 को आयोजित दूसरे पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन में तथा 25 अक्टूबर 2009 को आयोजित चौथे पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन में लिए गए निर्णयों के अनुपालन को स्वीकार करते हुए भारत सरकार ने बौद्धिक, दार्शनिक और आध्यात्मिक पढ़ाई की खोज के लिए एक अंतरराष्ट्रीय संस्था के रूप में संसद के अधिनियम-नालंदा विश्वविद्यालय अधिनियम 2010 (2010 का 39 नंबर) द्वारा बिहार राज्य में नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना की है।
फैसला किया गया है कि नालंदा विश्वविद्यालय (यहां बाद में विश्वविद्यालय के रूप में संदर्भित) के रूप ज्ञात अंतरराष्ट्रीय संस्था गैर सरकारी, गैर लाभकारी, स्व-शासित अंतरराष्ट्रीय संस्था होगी, जो इस समझौता ज्ञापन में उल्लिखित उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए स्थापित की जाएगी और इसे अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए पूर्ण शैक्षणिक स्वतंत्रता होगी। विश्वविद्यालय भारत (बाद मेंमेजबान देश कहा जाएगा) में बिहार राज्य के नालंदा जिले में राजगीर में स्थित होगा। विश्वविद्यालय को मेजबान देश में पूर्ण कानूनी रूप हासिल होगा। विश्वविद्यालय को डिग्री, डिप्लोमा और प्रमाणपत्र प्रदान करने की शक्ति होगी। नालंदा विश्वविद्यालय के उद्देश्यों और कार्यों में ये शामिल होंगे-सीखने के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्था स्थापित करना जो लिंग, जाति, नस्ल, विकलांगता, धर्म या सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि पर कोई विचार किए बिना सभी देशों से प्रतिभाशाली और सबसे समर्पित छात्रों को एक साथ लाएगी और उन्हें बौद्धिक, दार्शनिक, ऐतिहासिक और आध्यात्मिक अध्ययन करने के लिए आवश्यक साधन उपलब्ध कराएगी, इस प्रकार वे सहिष्णुता, आवास और आपसी समझ के गुणों को प्राप्त कर सकेंगे।
सीखने के एक एशियाई समुदाय का निर्माण करना, जहां हर छात्र की बौद्धिक क्षमता पूरी संभव हद तक विकसित की जा सके और क्षेत्रीय जागरूकता को मजबूत बनाने के जरिए एक एशियाई समुदाय बनाया जा सके। जीवन के गुणों में सुधार के लिए महत्वपूर्ण दर्शन, भाषा, इतिहास और उच्च शिक्षा के अन्य क्षेत्रों में एशियाई देशों की क्षमता निर्माण की दिशा में शिक्षा प्रदान करना और अपने अतीत के इतिहास से जोड़कर और एक दूसरे के दृष्टिकोण की अपनी समझ को बढ़ाने के जरिए भविष्य के नेताओं को एक साथ लाकर क्षेत्रीय शांति और दृष्टि को बढ़ावा देने में योगदान करना।
अनुच्छेद 3 में विश्वविद्यालय की स्थापना और संचालन के लिए धन का इंतजाम स्वैच्छिक आधार पर किया जाएगा। अनुच्छेद 4 में विश्वविद्यालय, एक संचालक मंडल से संचालित किया जाएगा। भारत के राष्ट्रपति विश्वविद्यालय के विजिटर होंगे। संचालक मंडल के सदस्यों में भारत से और विदेशों के प्रतिष्ठित व्यक्ति शामिल होंगे। संचालक मंडल में सदस्य के तौर पर अंतरराष्ट्रीय उत्कृष्ट संस्था के रूप में नालंदा विश्वविद्यालय के विकास में अपनी भूमिका बढ़ाने के लिए पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के प्रतिभागी देशों के पांच प्रतिनिधि शामिल होंगे। संचालक मंडल विश्वविद्यालय के समग्र नीतियों और निर्देशों के लिए जिम्मेदार होगा। संचालक मंडल की शक्तियां और कार्य विश्वविद्यालय के अध्यादेश के अनुसार होंगे। विश्वविद्यालय का नेतृत्व संचालक मंडल द्वारा नियुक्त एक कुलपति करेंगे। कुलपति की नियुक्ति, कार्यकाल, शक्तियां और कार्य विश्वविद्यालय के विधि और नियम के अनुसार होंगे। अनुच्छेद 5 में मेजबान देश में विश्वविद्यालय की संपत्ति, आय और अन्य परिसंपत्ति को सभी प्रत्यक्ष करों से छूट होगी। हालांकि, विश्वविद्यालय जनोपयोगी सेवाओं के लिए शुल्क से अधिक करों में छूट का दावा नहीं करेगा।
नालंदा विश्वविद्यालय को प्रासंगिक कानूनों, नियमों और विनियमों के प्रावधानों के अधीन अपने आधिकारिक उपयोग के लिए आयात और निर्यात पर सीमा शुल्क और अन्य प्रतिबंध से छूट दी गई है और इस तरह की छूट के तहत आयातित लेख निपटारा किया जाएगा, बशर्ते कि मेजबान देश के स्थानीय कानूनों के अनुसार हो। इसके प्रकाशन के संबंध में आयात और निर्यात पर सीमा शुल्क और रोक और प्रतिबंध से छूट दी गई है। अनुच्छेद 6 में यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर और उसके अकादमिक स्टाफ और जहां लागू हो उनके आश्रित एवं परिवार के सदस्यों को नालंदा विश्वविद्यालय और भारत सरकार के बीच हस्ताक्षरित मुख्यालय करार के तहत विशेषाधिकार और उन्मुक्ति दी जाएगी। अनुच्छेद 7 में मेजबान देश छात्रों, अध्ययन या विश्वविद्यालय में काम करने के लिए भारत की यात्रा के लिए शिक्षकों और कर्मचारियों को उपयुक्त वीजा प्रदान करेगा। अनुच्छेद 8 में इस समझौता ज्ञापन की व्याख्या या कार्यान्वयन के विषय में किसी भी मुद्दे को आपसी विचार विमर्श के माध्यम से तय किया जाएगा। अनुच्छेद 9 में समझौता ज्ञापन पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन के चार प्रतिभागी देशों के हस्ताक्षर पर प्रभाव में आ जाएगा। समझौता ज्ञापन के प्रभाव में आने के बाद, पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन या नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना और इसके उद्देश्य के लिए हस्ताक्षर करने वाले देश से भिन्न अन्य देश भी उपयुक्त समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर कर सकते हैं।