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Friday 25 October 2013 08:53:52 AM
नई दिल्ली। दिल्ली विधान सभा चुनाव में भाजपा की ओर से डॉ हर्षवर्धन को मुख्यमंत्री का प्रत्याशी घोषित होते ही यहां सत्ता संघर्ष तेज़ हो गया है। दिल्ली की जनता भाजपा से अपेक्षा कर रही थी कि वह जल्द ही अपने मुख्यमंत्री के चेहरे को सामने लाए। भाजपा के सामने दुविधा थी कि वह किसके नाम को आगे करे, उसने हिम्मत दिखाई और अपने ईमानदार और भाजपा के कर्मठ नेता डॉ हर्षवर्धन के नाम की घोषणा कर दी। दिल्ली प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष विजय गोयल भी इस पद के प्रमुख दावेदार थे, मगर भाजपा के लिए किसी एक को ही आगे लाना था, इसलिए भाजपा ने दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य के सभी पहलुओं पर गौर करते हुए इस पद के लिए डॉ हर्षवर्धन को सर्वाधिक उपयुक्त पाया और उनके नाम पर मुहर लगा दी। दिल्ली में भी यद्यपि भाजपा में बड़ी गुटबाज़ी है और सिविल सोसायटी आंदोलन से दिल्ली में नेता के रूप में उदय हुए अरविंद केजरीवाल आम आदमी पार्टी के रूप में भाजपा के वोटों के लिए एक बड़ी समस्या बने हैं, फिर भी भाजपा को डॉ हर्षवर्धन पर विश्वास है कि वे कांग्रेस नेता और मुख्यमंत्री शीला दीक्षित एवं अरविंद केजरीवाल की लड़ाई का लाभ उठा ले जाएंगे। डॉ हर्षवर्धन को भी विश्वास है कि दिल्ली का युवा भाजपा के साथ ही जाएगा।
डॉ हर्षवर्धन के बारे में दिल्ली की जनता की सकारात्मक राय है, यह बात लगभग सभी मानते हैं। दिल्ली भाजपा के नेता और कार्यकर्ता कहते हैं कि उनके डॉ हर्षवर्धन आज के अत्यधिक प्रदूषित राजनैतिक क्षेत्र में ईमानदारी के अपवाद और लोगों में आशा के एक प्रतिमान हैं। विगत कुछ वर्षों में उजागर हुए तमाम घोटालों एवं भ्रष्टाचार के मामलों में अनेक राजनेताओं की जिस प्रकार संलिप्तता सामने आई उसने राजनेताओं को उपहास एवं विश्वासघात का प्रतीक बना दिया है, इसके विपरीत एक ईमानदार और अच्छे कार्य करने वाले राजनेता के रूप में डॉ हर्षवर्धन ने ख्याति अर्जित की है। दिल्ली की जनता डॉ हर्षवर्धन के अंदर उस राजनेता को देख रही है, जो प्रशासनिक तंत्र को स्वच्छ करने की क्षमता और योग्यता रखता है। डॉ हर्ष वर्धन भाजपा संगठन के एक साधारण कार्यकर्ता हैं, परंतु गज़ब के अग्र नेतृत्वकर्ता भी हैं। वे व्यक्तिगत जीवन में पारदर्शिता एवं सादगी तथा मूल्य आधारित राजनीति के लिए जाने जाते हैं। दिल्ली के मतदाता उनके इन गुणों को अन्य राजनेताओं में भी देखना चाहते हैं। किसी भी चुनौती का सामना करने की उनके 20 वर्ष के राजनैतिक जीवन की विशेषता मानी जाती है।
मेडिकल पोस्टग्रेजुएट तथा दिल्ली के जाने-माने, कान, नाक, गला रोग विषेशज्ञ एवं सर्जन डॉ हर्षवर्धन भी भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र भाई मोदी की तरह एक साधारण परिवार से हैं। उन्होंने अपने शुरूआती जीवन के 13 वर्ष पुरानी दिल्ली के तुर्कमान गेट, जिसमें बहुभाषी व विभिन्न धर्मों के रहने वाले लोग रहते हैं, के बीच बिताया है। बाद में 1967 में उनका परिवार कृष्णानगर में चला आया, जहां तब से लेकर अब तक वे निवास कर रहे हैं। उनकी स्कूली शिक्षा एंग्लो संस्कृत विक्टोरिया जुबली उच्चतर माध्यमिक स्कूल, दरियागंज में हुई। उन्होंने एक चिकित्सक बनने का निर्णय लिया और एमबीबीएस एवं एमएस (ईएनटी) जीएसवीएम मेडिकल कालेज कानपुर से किया। कहा जाता है कि बचपन से ही उन्हें लोकसेवा की धुन सवार थी, छात्र जीवन में उन्होंने गांवों, शहरों तथा आस-पड़ोस में नाना प्रकार की जनसेवा व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से की। चिकित्सा विद्यार्थी के रूप में कानपुर और उसके आस-पास उन्होंने अनेक चिकित्सा शिविर आयोजित किए। वर्ष 1977 में भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने के जेपी आंदोलन में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आह्वान पर एक स्वयंसेवक बने। कान, नाक व गला रोग चिकित्सक के रूप में प्रैक्टिस करते हुए भी उन्होंने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के माध्यम से अनेक समाज कल्याण एवं चिकित्सा मिशन के कार्यों को अंजाम दिया। इन सेवा कार्यों ने आम जनता के जीवन व उनकी तकलीफों को गहराई से जानने का उन्हें अवसर प्रदान किया है।
डॉ हर्षवर्धन ने वर्ष 1993 में अपना राजनैतिक जीवन प्रारंभ किया तथा भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें उसी वर्ष होने वाले दिल्ली विधान सभा के प्रथम चुनावों में उतारा। वे इस चुनाव में कृष्णनगर विधान सभा क्षेत्र से भारी मतों से विजयी हुए। यहां से वे लगातार चार बार से विधायक हैं। वर्ष 1993 से 1998 तक दिल्ली में भाजपा की सरकार में स्वास्थ्य और कानून मंत्री रहे तथा बाद में शिक्षा मंत्री का भी प्रभार मिला। भाजपा में उन्होंने अनेक महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को संभाला है। वे भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष (2001 से 2003) तथा दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष (2003 से 2009) रहे। श्यामा प्रसाद मुखर्जी शोध अधिष्ठान के राष्ट्रीय सचिव (2008-2013) तथा भाजपा के चिकित्सा प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक भी रहे। वे हरियाणा राज्य के कई वर्ष तक प्रभारी भी रहे हैं। डॉ हर्षवर्धन की पत्नी नूतन हैं, इनके दो पुत्र व एक पुत्री हैं। उनके ज्येष्ठ पुत्र भी डॉक्टर बने। उन्हें अपनी संतान पर भी गर्व है। उपलब्धियों से समृद्धशाली डॉ हर्षवर्धन ने निष्पक्ष होकर आम जनता के लिए कार्य किया है। तंबाकू मुक्त विश्व बनाने की दिशा में उन्होंने धूम्रपान न करने वाले लोगों की स्वास्थ्य रक्षा के लिए बिल प्रस्तुत किया था। तंबाकू मुक्त विश्व बनाने में उनके प्रयासों के लिए विश्व तंबाकू दिवस 1998 पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक ने ब्राजील के रियो-डी-जेनेरो शहर में अंतर्राष्ट्रीय सम्मान (डायरेक्टर-जनरल्स कमेंडेशन अवार्ड) दिया।
डॉ हर्षवर्धन भारत से पल्स पोलियो उन्मूलन का कार्य शुरू कर इसे शीर्ष तक ले गए। उन्होंने दिल्ली में इसे सफल बनाकर सिद्ध कर दिया कि निष्ठा और ईमानदारी से किसी भी कार्य को सफलता तक पहुंचाया जा सकता है। डॉ हर्षवर्धन के मंत्रीकाल का सर्वाधिक महत्वपूर्ण कार्य भी पल्स पोलियो कार्यक्रम था, जो प्रायोगिक स्तर पर पहली बार दिल्ली में शुरू किया गया। बाद में उनकी योजनानुसार पल्स पोलियो कार्यक्रम को पूरे देश में अपनाया गया। पोलियो के उन्मूलन में दिए गए अभूतपूर्व योगदान के लिए डॉ हर्षवर्धन को रोटरी इंटरनेशनल का 'पोलियो इरेडिकेशन चैंपियन अवार्ड' प्रदान किया गया। उनसे पूर्व यह पुरस्कार केवल राष्ट्राध्यक्षों को ही प्रदान किया गया था। इनमें अमेरिका के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जान मेजर तथा संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव कोफी अन्नान शामिल हैं। भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने मानवता के इस महान कार्य के लिए डॉ हर्षवर्धन को 'स्वास्थ्य वर्धन' की उपाधि से अलंकृत किया था। एक अन्य अवसर पर भारत के पूर्व प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल ने भी एक अंतर्राष्ट्रीय समारोह में उनके लिए टिप्पणी की थी कि 'यदि मुझे भारत में किसी स्वास्थ्य मंत्री को सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित करने को कहा जाए तो मेरा प्रथम चुनाव डॉ हर्षवर्धन ही होंगे।'
डॉ हर्षवर्धन मानते हैं कि दिल्ली में भ्रष्टाचार ने गुणवत्तापूर्ण जीवन को जीर्ण-शीर्ण बना दिया है। कांग्रेस के कुशासन से राजधानीवासियों का जीवन बुरी तरह प्रभावित है। दिल्ली के सभी संस्थान भ्रष्टाचार के कारण अच्छे कार्य एवं परिणाम नहीं दे पा रहे हैं। पूरे देश के लोग 'दिल्ली में भ्रष्टाचार' तथा 'बलात्कार की राजधानी' जैसे शब्दों से उपहास उड़ाते हैं। वे मानते हैं कि भ्रष्टाचार के खिलाफ सिर्फ चिल्लाना निरर्थक है, इसके समाधान की आवश्यकता है और भ्रष्टाचार का समाधान उनके पास है। उनका कहना है कि उच्च स्तर की पारदर्षिता से भ्रष्टाचार का उन्मूलन हो सकता है। सूचना तकनीक आसान और उपयोगी माध्यम उपलब्ध कराती है, जिससे सरकार के सभी निर्णयों को जनता आसानी से जान सकती है। देश में भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदार लोगों को सजा देने के लिए उत्तरदायी मौजूदा संस्थागत तंत्रों के कामकाज का सुदृढ़ीकरण व समीक्षा तथा नई संस्थाओं के निर्माण की नितांत आवश्यकता है। कांग्रेस के सत्ता में आने से पूर्व दिल्ली एक जीवंत सांस्कृतिक शहर था, उन्हें दु:ख है कि अब दिल्ली अपराध, बलात्कार और असुरक्षित राजधानी के रूप में जानी जाती है। यह स्थिति बदलनी चाहिए। डॉ हर्षवर्धन का नारा है-'दिल्ली को मरहम की जरूरत है'। उनके पास पेयजल, पर्यावरण प्रदूषण,फुटपाथ, आवास, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, यातायात, चिकित्सा, शिक्षा, उच्च शिक्षा, ऊर्जा, प्राकृतिक पारिस्थितिकीय तंत्र, रोज़गार, हरी भरी दिल्ली-स्वस्थ दिल्ली जैसी अनेक वृहद योजनाएं हैं।
डॉ हर्षवर्धन के पास दिल्ली के स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए अनेक योजनाएं हैं-जिनको भाजपा की सरकार बनते ही लागू किया जाएगा। इसमें मुख्य हैं-दिल्ली सरकार के अस्पतालों में प्राइवेट नर्सिंग होम्स से बेहतर सेवाएं व दवाएं नि:शुल्क मिलें। वे दिल्ली के सभी निवासियों का स्वास्थ्य बीमा चाहते हैं। अस्पतालों के कर्मचारियों को सतत ट्रेनिंग व प्रोत्साहन दिया जाएगा, ताकि दिल्लीवासियों को बेहतर चिकित्सा सेवा मिल सके। बुजुर्गों के लिए विशेष सेवा, सरकारी स्वास्थ्य स्टॉफ से दिलाने की व्यवस्था करेंगे, जो भारत की पहली व्यवस्था होगी। शिक्षा मंत्री के रूप में डॉ हर्षवर्धन के कार्यकाल में दिल्ली के विद्यालयों के पाठ्यक्रम में अभूतपूर्व परिवर्तन किया गया था। चरित्र एवं कौशल निर्माण का यह जीवंत प्लेटफार्म था। देश के विख्यात शिक्षाविदों से विचार-विमर्श कर स्कूल प्रारूप में परिवर्तन किया गया था। रट कर याद करने की पुरानी प्रथा को संशोधित किया गया था तथा अध्यापक एवं छात्रों के मध्य संबंधों को आधुनिक बनाया गया था। भारत में पहली बार योग को शिक्षा पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया गया। वे मानते हैं कि कांग्रेस नीत यूपीए सरकार 'जनसांख्किय लाभांश का उपयोग कर पाने में पूरी तरह असफल रही है। विश्व की सर्वाधिक युवा आबादी भारत में है, लेकिन यह सरकार उन्हें सस्ती शिक्षा उपलब्ध कराने और उनकी कौशल क्षमता का राष्ट्रहित में उपयोग करने में पूरी तरह नाकाम रही है।
उनका कहना है कि कांग्रेस ने दिल्ली में शिक्षा का निजीकरण किया है, ताकि अमीरों को फायदा मिल सके, यह बदला जाएगा। शिक्षा क्षेत्र को हीलिंग टच गहरे और व्यापक तरीके से दिया जाएगा। प्रत्येक बच्चे का स्कूलों में दाखिला उसके पसंद के स्कूल में होगा। सूचना तकनीक इसे संभव बनाएगी। दिल्ली के अध्यापक वर्तमान से कहीं अधिक ऊर्जावान तरीके से कार्य करने के लिए प्रेरित किए जाएंगे। सरकार के नि:शुल्क स्कूल देश के गौरव बनेंगे। वे प्राइवेट स्कूलों को भी उचित फीस लेने तथा अपने आसपास के बच्चों का दाखिला लेने के लिए प्रेरित करेंगे। दिल्ली में और अधिक कालेज की सीट होनी चाहिएं। इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय का सृजन भाजपा ने किया था, जिसका बाद में नामकरण गुरू गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी किया गया। आज कालेजों में दाखिला दिल्ली के छात्र-छात्राओं के लिए ख्वाब जैसा है। कालेजों की सीटों को कम करने के सिवाय कांग्रेस सरकार ने कुछ नहीं किया है। डॉ हर्षवर्धन इस स्थिति में पूरी तरह परिवर्तन चाहते हैं। वे प्रतिबद्ध हैं कि राजकीय अधिकारियों की अनेक शक्तियों की समीक्षा होगी और जनता की शक्ति को सुदृढ़ किया जाएगा। आने वाले समय में दिल्ली 'दिल्ली मॉडल' के रूप में जानी जाएगी। भारतीय जनता पार्टी उनका जीवन है और नि:स्वार्थ जनसेवा उनके जीवन का सूत्र। पंडित दीन दयाल उपाध्याय एवं डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी उनके आदर्श हैं। देखना है कि दिल्ली की जनता क्या जनादेश देती है। भाजपा का जहां तक सवाल है तो उसने दिल्ली के सामने अपना ऐसा राजनेता प्रस्तुत कर दिया है, जिसकी वह कल्पना करती है। हां! मुकाबला तगड़ा है, कहीं सीधे है और कहीं त्रिकोणात्मक।