स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Monday 28 October 2013 11:58:05 AM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज यहां राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की 5वीं बैठक को संबोधित किया। अपने प्रारंभिक वक्तव्य में उन्होंने कहा कि हमने अभी हाल में अपने देश में दो बड़ी आपदाएं देखीं, उत्तराखंड की त्रासदी और फाइलिन तूफान, जिसने ओडिशा तथा आंध्रप्रदेश को प्रभावित किया। उत्तराखंड में बारिश और बाढ़ ने बड़े पैमाने पर तबाही मचाई और आपदा से निपटने के हमारे तौर तरीकों की ताकत को परखा। बचाओ और राहत कामों के दौरान हमें जो अनुभव प्राप्त हुआ उनसे हमें कई सबक सीखने को मिले। मैं उम्मीद करता हूं कि केन्द्र और राज्य सरकारों की संबंधित एजेंसियां उत्तराखंड के अनुभवों से सबक हासिल करेंगी, ताकि भविष्य में आने वाली आपदाओं को बेहतर प्रबंधन किया जा सके।
ओडिशा और आंध्रप्रदेश में अभी हाल में आने वाले तूफान का जिस तरह मुकाबला किया गया, वह काफी उत्साहवर्धक है।, खुशी है कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने केंद्र सरकार की विभिन्न एजेंसियों, राज्य सरकार और जिला प्रशासन के साथ सहयोग करके तूफान का मुकाबला करने में अहम भूमिका निभाई। विभिन्न एजेंसियों के आपसी सहयोग और ओडिशा तथा आंध्रप्रदेश में लगभग दस लाख लोगों को निकालने के भारी प्रयासों के कारण ही यह काम समय पर हो सका, जिसमें न्यूनतम मानवीय क्षति हुई।
उन्होंने कहा कि फाइलिन तूफान का जिस तरह मुकाबला किया गया, उससे भी यह साबित होता है कि अतीत में आपदा से निपटने के लिए हमने जो कदम उठाए थे, वे कितने महत्वपूर्ण थे, इनमें हितधारकों को जागरूक करना और आपदा से निपटने का पूर्वाभ्यास शामिल हैं। पिछले आठ वर्षों के दौरान प्राधिकरण में जो दिशा-निर्देश दिए थे वह बहुत उपयोगी रहे और उन्होंने सरकार विभागों को आपदा का सही तरीके से मुकाबला करने के लिए सक्षम बनाया। आपदा प्रबंधन योजनाओं की आपदा-पूर्व तैयारी के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और ओडिशा आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के बीच समन्वय, मानक गतिविधि प्रक्रिया, तूफान से बचने के लिए बड़ी संख्या में शरण-स्थलों के निर्माण इत्यादि का सकारात्मक परिणाम रहा।
इस साल 25-26 अप्रैल 2013 को श्रीकाकुलम जिले में पूर्वाभ्यास और आठ तथा नौ अक्टूबर 2013 को इलाके में चेतावनी संदेश जारी करने के कारण तूफान से समय पर निपटने के लिए जिला प्रशासन तथा समुदाय को बहुत सहायता मिली। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में मौसम खराब से खराब होता जा रहा है। जिस तरह के हालात गरीबों और सीमांत लोगों को बहुत प्रभावित करते हैं। जब हम आज यहां एकत्र हैं, तो इस समय आंध्रप्रदेश के लोग पिछले कई दिनों से भारी बारिश और बाढ़ से जूझ रहे हैं। इसलिए यह और भी जरूरी हो गया है कि हम आपदाओं से निपटने की अपनी क्षमताओं में तेजी से सुधार करें। आपदाओं से निपटने की तैयारी पर खर्च होने वाला धन आपदा के बाद बचाव, पुनर्वास और पुर्निर्माण पर होने वाले खर्च को बचाता है, इसलिए जरूरी है कि आपदा के जोखिम को कम करने की रणनीति को हम अपने विकास कार्यक्रमों और नीतियों को हिस्सा बनाए। इस क्षेत्र में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और केन्द्र सरकार के प्रमुख मंत्रालयों को ज्यादा जोर देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हमें अपने पूर्व चेतावनी प्रणालियों और आपदा मोचन तरीकों को और मजबूत करना होगा, ताकि हम आपदाओं के बुरे प्रभावों को कम से कम कर सकें। इस संबंध में आपदा से निपटने के लिए समुदाय की तैयारियों को मजबूत करने तथा आपदा रोकथाम के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण जो प्रयास कर रहा है, उनमें तेजी लाये जाने की जरूरत है।