बाबूलाल शर्मा 'प्रेम'
Friday 21 December 2012 06:48:52 AM
तुम बढ़ो बढ़ो, तुम पढ़ो पढ़ो,
तुम रुको नहीं, तुम झुको नहीं।
तुम नई लगन से काम करो, दुनिया में अपना नाम करो।
आलस त्यागो हर किरण आज, कहती है -- मत विश्राम करो।
तुम उठो उठो, तुम चलो-चलो,
तुम रुको नहीं, तुम झुको नहीं।
तुम सारे जग से न्यारे हो, अपनी जननी के प्यारे हो।
तुम छोटे हो पर बहुत बड़े, भारत के राजदुलारे हो।
तुम खिलो खिलो, तुम हंसो हंसो,
तुम रुको नहीं, तुम झुको नहीं।
तुम आंधी में भी मुस्काये, तुम संकट में कब घबड़ाये?
लाखों बाधाएं पड़ीं किन्तु, तुम निज पथ पर बढ़ते आये।
तुम जगो जगो, तुम उगो उगो।
तुम रुको नहीं, तुम झुको नहीं।