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Saturday 2 November 2013 09:14:35 AM
नई दिल्ली। देशभर में समाज के कमजोर वर्गों के कारीगरों का वार्षिक मेला-शिल्पोत्सव 2013 कल नई दिल्ली के दिल्ली हाट में शुरू हुआ। शिल्पियों और उद्यमियों के जिनके उत्पाद ‘शिल्पोत्सव’ में प्रदर्शित किये जाएंगे या बेचे जाएंगे, उन लाभार्थियों में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग वित्त और विकास निगम राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त और विकास निगम, राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त और विकास निगम, राष्ट्रीय विकलांग वित्त और विकास निगम और स्वलीनता, परमस्तिष्क, पक्षाघात, मंदबुद्धि और विभिन्न विकारों से ग्रस्त लोगों के कल्याण का राष्ट्रीय न्यास शामिल हैं।
पिछले छ: शिल्पोत्सव मेलों के नतीजे काफी उत्साहवर्धक रहे हैं। शिल्पियों ने अपने उत्पादों के प्रदर्शन और उनको बेचने के लिए स्थान दिये जाने पर प्रसन्नता व्यक्त की है। इस साल अधिकांश शिल्पियों को अपनी कला के प्रदर्शन और उसे बेचने के अवसर मिल रहे हैं और उन्होंने आशा व्यक्त की है कि इस शिल्पोत्सव मेले के दौरान, बड़ी संख्या में सैलानियों, खरीदारों और निर्यातकों से उन्हे अपने उत्पादों को खरीदने के आर्डर मिलेंगे।
शिल्पोत्सव मेले में नई दिल्ली स्थित सामाजिक रक्षा राष्ट्रीय संस्थान, सिकंदराबाद स्थित मानसिक विकलांग राष्ट्रीय संस्थान, शारीरिक रूप से अशक्त लोगों का नई दिल्ली स्थित डीडीयू संस्थान, मुंबई स्थित श्रवण शक्ति में कमजोर लोगों का एवाईजे राष्ट्रीय संस्थान, कटक स्थित पुनर्वास प्रशिक्षण और अनुसंधान राष्ट्रीय संस्थान, कोलकाता स्थित अस्थि विकलांग राष्ट्रीय संस्थान, नई दिल्ली स्थित डॉ अंबेडकर प्रतिष्ठान और कानपुर स्थित क्रित्रिम अंग निर्माण निगम भी इसमें भाग ले रहे हैं।
शिल्प मेले में शामिल प्रदर्शित उत्पादों की श्रेणी में रेशमी साड़ियां, सिले-सिलाये कपडे़, कश्मीरी शॉल /स्टॉल्स, हाथ की कढ़ाई की चीजें, मोतियों से निर्मित वस्तुएं, टाई और डाई, दरियां, कालीन, थैले, गुलाब की लकड़ी, लकड़ी की नक्काशी, लकड़ी के खिलौने, लकड़ी के पुरावशेष, ब्लॉक रंगाई, बांस और बेंत के उत्पाद, जूट से बनी वस्तुएं, सूखे फूल, बनावटी गहने, मोती, सूखे मेवे, शहद और अलग-अलग किस्म के अचार आदि उत्पाद शामिल हैं।