रमेशचन्द्र गुप्त 'चन्द्रेश'
आओ साथी! कदम बढ़ाओ। दुश्मन को तुम पाठ पढ़ाओ।
छोटे-छोटे हम बच्चे हैं, इसकी कुछ परवाह नहीं है।
हमको भ्रम में डाले, रोके, ऐसी कोई राह नहीं है।
गाओ, गान देश का गाओ। आओ साथी! कदम बढ़ाओ।
नहीं मौत में ताकत इतनी जो आकर हमसे टकराए;
है यह जन्मभूमि वीरों की-दुश्मन मिट्टी में मिल जाए;
आजादी का गीत सुनाओ। आओ साथी! कदम बढ़ाओ।
अर्जुन भीम यहां जन्मे हैं, जन्मे हैं राणा प्रताप-से;
अब तक कण-कण सुलग रहा है वीर शिवा के अमिट ताप से;
जलती हुई आग ज्यों छाओ। आओ साथी! कदम बढ़ाओ।
राम-कृष्ण की यह धरती है, औ' अनुपम महिमावाली है;
गांधी-तिलक, बुद्ध नानक के पावन आदर्शो वाली है।
सब मिल इसका मान बढ़ाओ। आओ साथी! कदम बढ़ाओ।
इसकी इंच इंच धरती पर, हम हंस-हंस सिल बलि कर देंगे।
जिसकी टेढ़ी नजर उठेगी उसका हम जीवन हर लेंगे।
बढ़ो शत्रु का दिल दहलाओ। आओ साथी! कदम बढ़ाओ।
मुस्लिम हो या सिख ईसाई, राजपूत या तुर्किस्तानी।
अब तो धर्म हो गया सबका, एकमात्र बस हिंदुस्तानी।
राष्ट्र-ध्वजा नभ में लहराओ। आओ साथी! कदम बढ़ाओ।।