डा गोपालप्रसाद 'वंशी'
सुदर्शन नाम का महाजन मैसूर में व्यापार करता था। उसके दो लड़के थे। बड़े का नाम माधो और छोटे का साधो था। सुदर्शन का ध्येय केवल धन बढ़ाना था। वह अपने पुत्रों को रुपये देकर बाहर भेजता और थोड़े ही दिनों में रुपये को दूना कर लाने के लिए कहता।
माधो जुआड़ी निकल गया। हां, साधो सीधा था। सुदर्शन ने दोनों बेटों को एक-एक हजार रुपये देकर व्यापार के लिए बाहर भेजा। माधो जुए में एक-दो दिनों में ही दो हजार रुपये जीतकर पिता को दे गया।
साधो जुआ खेलना पाप समझता था। वह जानता था कि जुए से कमाया हुआ धन अंत में दु:ख देता है। राजा युधिष्ठिर और राजा नल का सर्वस्व-नाश उसकी आंखों के सामने नाच रहा था। उसको रास्ते में एक वृद्धा स्त्री मिली। वह कोई देवी थी। उसके पास एक बड़ा ही सुंदर सांप था। साधो ने एक हजार में वही सांप खरीद लिया।
साधो जब घर लौटा तब उसका पिता सुदर्शन सांप को देखते ही क्रोध से आग-बबूला हो गया। उसने सांप के साथ साधो का घर से निकाल दिया।
साधो की दीन दशा देखकर सांप ने कहा - 'यदि तुम मुझे मेरी मां के पास पहुंचा दो तो मैं तुम्हें 'शेषनाग की अंगूठी' दिलवा दूंगा, जिससे तुम्हें सदा सुख मिलेगा।' साधो राजी हो गया। उसने सांप को उसकी माता के पास पहुंचा दिया। सर्पराज की मां ने बहुत प्रसन्न होकर साधो को 'शेषनाग की अंगूठी' दी और कहा - इस अंगूठी में यह गुण है कि इससे जो कुछ मांगा जाएगा वही मिलेगा। गाय के दूध से सवा बित्ता भूमि लीप कर, एक चौकी पर अंगूठी रख दे और जो मांगना हो, मांगे।
संयोग की बात, उसी समय एक राजा ने प्रतिज्ञा की थी कि जो कोई उसके दिए हुए मानचित्र के अनुसार पंद्रह दिनों में किला बना देगा उससे वह अपनी इकलौती बेटी का ब्याह करके उसे सारा राज्य दे देगा। राजा के कोई पुत्र न था।
यह सुनकर साधो बहुत प्रसन्न हुआ। उसने राजा के पास पहुंच कर किला बनवाने का जिम्मा लिया। बस, उसने 'शेषनाग की अंगूठी' की परीक्षा ली। ईश्वर की लीला ऐसी विचित्र कि परीक्षा सफल हुई और सचमुच किला शीघ्र तैयार हो गया। राजा ने प्रतिज्ञानुसार साधो से अपनी राजकुमारी का ब्याह कर दिया और राज्य भी दे दिया।
उधर सुदर्शन के मर जाने पर माधो ने सारी सम्पत्ति जुए में उड़ा डाली। जिस रास्ते से लक्ष्मी आई थी उसी रास्ते से चली गई। माधो भूखों मर रहा था। जब साधो को यह समाचार मिल गया तब उसने बड़े भाई को परिवार सहित बुलवा लिया और अपने राजमहल के पास ही एक सुंदर मकान में आराम से रखा।
जो पाप से बचता है उसके लिए सांप भी हीरे का अनमोल हार बन जाता है।