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Saturday 16 November 2013 10:48:28 AM
मुंबई। भारत के महान क्रिकेट खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर और महान अंतरिक्ष एवं रसायन वैज्ञानिक प्रोफेसर सीएनआर राव को देश का सर्वोच्च सम्मान 'भारत रत्न सम्मान' दिया गया है। राष्ट्रपति भवन से इसकी घोषणा कर दी गई है। सचिन तेंदुलकर ने आज मुंबई में वानखेड़े स्टेडियम में वेस्टइंडीज़ पर भारत की विजय के साथ अपने शानदार क्रिकेट कैरियर से सन्यास लिया। वह जब अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से विदाई ले रहे थे, उन्हें उनके जीवन के उनके क्रिकेट से भी बड़े भारत के सर्वोच्च सम्मान 'भारत रत्न' मिलने की भी असीम खुशी प्राप्त हुई। वह देश के इस प्रतिष्ठित सम्मान के लिए चुने जाने वाले पहले खिलाड़ी हैं। हालॉकि इस सम्मान के लिए इतनी जल्दी उनकी पात्रता पर लोकापवाद भी उठा है, मगर कहा जा रहा है कि सचिन को इस सम्मान के लिए कारपोरेट मीडिया के श्रेय हांसिल करने के महाअभियान की हवा निकालने और देश के युवाओं की इच्छा का चुनावों में पूरा लाभ बटोरने के लिए सरकार ने अपने शुभ लाभ के फैसले को बिना देर गंवाए अंजाम दिला दिया। कांग्रेस पांच राज्यों के इन चुनावों में भी सचिन तेंदुलकर से प्रचार कराने की असफल कोशिश कर चुकी है।
बहरहाल, राष्ट्रपति भवन के प्रवक्ता वेणु राजामोनी ने एक बयान जारी करके कहा कि राष्ट्रपति ने तेंदुलकर को भारत रत्न देने का फैसला किया है, जिन्होंने आज अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहा। सचिन तेंदुलकर ने 200 टैस्ट में 15921 रन बनाने के अलावा 463 वनडे मैचों में 18426 रन भी बनाए। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 100 शतक जड़ने वाला यह एक मात्र भारतीय बल्लेबाज है, वनडे मैचों में दोहरा शतक जड़ने वाले भी पहले बल्लेबाज हैं। यह उनका चौबीस साल का क्रिकेट करियर रहा। सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न देने की मांग पिछले साल उठी थी। इसको लेकर कुछ टीवी चैनलों ने भारत सरकार पर इतना बड़ा मनोवैज्ञानिक दबाव बनाया कि सरकार को इस पुरस्कार की पात्रता के लिए नियम कानून में संशोधन करते हुए खिलाड़ियों को भी इसकी योग्यता सूची में शामिल करना पड़ा। सरकार ने कई वर्ष बाद ये भारत रत्न सम्मान दिए हैं, इनसे पहले यह सम्मान संगीत जगत के पंडित भीमसेन जोशी को दिया गया था।
मुंबई में सचिन तेंदुलकर ने शुक्रवार को वेस्टइंडीज़ के खिलाफ विदाई टैस्ट मैच खेलते हुए 74 रन की पारी खेली। उन्होंने इस पारी में 118 गेंद खेलीं और 12 चौके लगाए। आखिर नरसिंह देवनारायण की गेंद उनके बल्ले का किनारा लेकर वेस्टइंडीज़ के कप्तान डेरेन सैमी के हाथों में चली गई। उनकी मां रजनी, भाई अजित, पत्नी अंजलि, बेटा अर्जुन, बेटी सारा और उनके कोच रमाकांत अचरेकर एवं करीब चालीस हज़ार दर्शकों ने साक्षात यह मैच देखा। इस मैच में भारत को विजय प्राप्त हुई और भारतीय टीम के अब तक के सर्वाधिक सफल कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने इस विजय का विकेट सचिन के हाथ में दिया। इसके बाद सचिन को शानदार विदाई दी गई जिसमें उन्हें देश का सर्वोच्च सम्मान 'भारत रत्न' राष्ट्रपति ने तोहफे में दिया। सचिन के जीवन में इससे बड़ी उपलब्धि और क्या हो सकती है? हाकी भारत का खेल कहा जाता है और क्रिकेट इंग्लैंड का खेल। अधिकांश लोगों को विश्वास था कि भारत सरकार इस सम्मान की शुरूआत शायद हाकी के जादूगर ध्यान चंद से करे, लेकिन सचिन तेंदुलकर के सन्यास लेने के फैसले का समय ऐसे अवसर पर आया जब विभिन्न कारणों से केंद्र सरकार के प्रति देश के युवाओं में भारी निराशा का वातावरण है और यूपीए सरकार किसी भी तरह इस दबाव से मुक्त होना चाहती है। आज कांग्रेस ने इस अवसर का पूरा लाभ उठाने की कोशिश की है और देखना है कि ऐसे में देश का युवा किसकी लहर के साथ खड़ा दिखता है।
सब जानते हैं कि सचिन तेंदुलकर को संसद में भारत रत्न देने की मांग की गई थी। कांग्रेस की इस मांग का लगभग सभी दलों ने समर्थन तो किया था, लेकिन कुछ ऐसे भी थे, जो सचिन तेंदुलकर को इतनी जल्दी भारत रत्न देने के पक्ष में नहीं थे। उनकी राय हाकी के जादुई खिलाड़ी ध्यान चंद के पक्ष में थी, लेकिन कहा जाता है कि कारपोरेट मीडिया और कारपोरेट राजनेताओं ने लगातार सरकार पर तेंदुलकर के लिए दबाव बनाया और सचिन राज्यसभा के लिए भी इसी दबाव के चलते नामित किए गए। संप्रग सरकार के मुख्य घटक कांग्रेस ने इस पर खूब वाह-वाही लूटी थी। कांग्रेस भूमिका बनाकर चल रही थी कि किस प्रकार दाएं-बाएं से सचिन तेंदुलकर का इस्तेमाल किया जाए और आज कांग्रेस इस योजना को अंजाम देती दिखी। उसे यह विश्वास हो गया है कि तेंदुलकर ने अगर चुनाव में उसका प्रचार नहीं किया तो कम से कम उन पर भाजपा या शिव सेना के साथ न जाने का दबाव तो होगा। रही बात सचिन की तो उनका देश के युवाओं में लंबे समय तक ऐसा ही क्रेज बना रहना संभव नहीं है और देर सवेर उनको कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा घेर सकती है। कांग्रेस ने उन्हें एक बड़े एहसान में दाब कर उन पर अपना हक तो जमा ही दिया है।
सचिन तेंदुलकर 1996 में पहली बार कप्तान बने थे, लेकिन सवा साल तक ही कप्तान रहे। पहली बार कप्तान के रूप में दिल्ली के फिरोजशाह कोटला स्टेडियम में उतरे थे-आस्ट्रेलिया के सामने। भारत ने यह मैच जीता था। वे रिकार्डों के तो बादशाह बने, उन्हें दो बार भारतीय टीम की कमान सौंपी गई, लेकिन वह टीम को कभी अपने जैसी सफलता नहीं दिला पाए। इनकी कप्तानी में भारत ने 25 टैस्ट मैच खेले, भारत इनमें से केवल चार मैच ही जीत पाया, जबकि नौ मैच में उसे हार मिली। अपनी ऐसी विफलताओं से एक समय सचिन तेंदुलकर को प्रशंसकों की भारी आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा है। तेंदुलकर ने एक दिवसीय क्रिकेट में भी 73 मैचों में भारतीय टीम की कप्तानी की, लेकिन वे केवल 23 मैच ही जीत पाए। भारत ने इस प्रकार 43 मैच गंवाए और सचिन कप्तानी में हार मान गए। उन्होंने 73 वनडे मैचों में छह शतकों की मदद से 2454 रन बनाए। उनका औसत 37.75 रहा। उनका ओवरआल औसत 44.83 है। जब उन्हें आइपीएल में मुंबई इंडियंस का कप्तान बनाया गया तो वे उसमें भी अपेक्षित सफलता हासिल नहीं कर पाए। सौरव गांगुली की अगुवाई में भारत ने निरंतर सफलताएं हासिल की हैं।
क्रिकेट के भगवान को आज महालक्ष्मी यंत्र सचिन तेंदुलकर भी कहा जाता है। यह देश का दुर्भाग्य है कि उस पर हमेशा भावनाओं का साया सवार रहा है। इस देश के बड़े-बड़े लोगों ने क्रिकेट भगवान पर सट्टा लगाकर अपने कारपोरेट का विस्तार किया है। इन्हें क्रिकेट का महालक्ष्मी यंत्र बना दिया है। आप माने या ना मानें इनका क्रिकेट कारपोरेट में बदल गया। इनके बल्ले से भारतीय क्रिकेट विश्वकप भी नहीं जीत पाया और इनके ही सामने श्रीलंका का क्रिकेट खिलाड़ी सनत जयसूर्या अपने बल्ले के दम पर विश्वकप जीत ले गया। भारतीय क्रिकेट को अंतत: क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी ने श्राप से मुक्त किया। टीवी चैनल वाले आज क्रिकेट भगवान के मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव बन गए हैं और भारत रत्न दिलाने के लिए पिले हुए थे। काश सचिन को केवल एक प्रतिभाशाली और महान क्रिकेटर ही रहने दिया जाता। रही खेल में भारत रत्न देने की बात तो सही मायनों में उसके लिए ध्यान चंद का दावा इनसे ज्यादा मजबूत था। फेसबुक पर बहुत सारे कमेंट चल रहे हैं जिनमें एक कमेंट हू-ब-हू ये है-Pt Shakt Dhyani sachi deshbhakt ho sakta hai...hona bhi chaiye...par ve bazar ke brand hain...bazar ke liye hi khelte hain..lage hathon desh ke liye. भारत रत्न के लिए सचिन तेंदुलकर को बधाई।