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Monday 18 November 2013 09:04:44 AM
नई दिल्ली। पाकिस्तान के उद्योगपति चाहते हैं कि पाकिस्तान, भारत को सबसे तरजीही राष्ट्र का दर्जा दे, उनका कहना है कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने के लिए एक उदार वीजा व्यवस्था सहित हर तरह के प्रयास शुरू किए जाने चाहिएं। फेडरेशन ऑफ पाकिस्तान चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के प्रेसीडेंट जुबैर अहमद मलिक ने बीते शुक्रवार को दिल्ली में उद्योग संगठन फिक्की के एक कार्यक्रम में कहा कि भारत को तरजीही देश का दर्जा अवश्य दिया जाना चाहिए, हम अपनी सरकार से यह अनुरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे इस व्यापार मेले में आकर बहुत उत्साहित हैं और दोनों देशों से इस बात की आशा करते हैं कि वे एक दूसरे की खुशहाली के विषयों पर बैठ कर बात करें।
जुबैर अहमद मलिक ने कहा कि विकास के लिए दोनों देशों की नकारात्मक सूची को कम करने की भी जरूरत है और हम चाहते हैं कि दोनों देशों के बीच व्यापार फले-फूले, मगर यह तभी हो सकता है, जब लोग बिना किसी रोकटोक के एक दूसरे देश में आ-जा सकें, इसके लिए दोनों देशों की सरकारों को वीजा व्यवस्था को उदार बनाना चाहिए। जुबैर अहमद मलिक पाकिस्तान के व्यापारियों का प्रतिनिधिमंडल लेकर भारतीय अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में हिस्सा लेने दिल्ली आए हैं। प्रतिनिधिमंडल की इस अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में गहरी दिलचस्पी है, मगर उसकी उपयोगिता खराब संबंधों के कारण क्षीण है, यह बात दोनों देशों के उद्योगपति समझते हैं।
उन्होंने कहा कि बड़े अचरज और विचार की बात है कि हम अपने पड़ोसियों को भूलकर दूरदराज के देशों से व्यापार बढ़ाने की सोचते हैं, इस पर हमें लीक से हटकर सोचना होगा और पाबंदियों में ढील देनी होगी। पाकिस्तान व्यापार के लिए नकारात्मक सूची की व्यवस्था समाप्त करने और भारत को एमएफएन का दर्जा देने की 31 दिसंबर 2012 की समय सीमा चूक गया है, जबकि भारत 1996 में ही पाकिस्तान को सबसे तरजीही राष्ट्र का दर्जा दे चुका है। उन्होंने कहा कि यदि क्षेत्र में विकास नहीं होगा तो यह दोनों ही देशों के लिए उचित नहीं है और जहां तक पाकिस्तान की बात है तो उसे इन सारी परिस्थितियों के बावजूद औद्योगिक वातावरण के लिए कुछ फैसले लेने ही होंगे। पाकिस्तान के प्रगतिशील अवाम में इस विषय पर अक्सर ही गहन मंथन होता है।
पाकिस्तान उच्चायोग में व्यापार मंत्री नईम अनवर ने इस मौके पर कहा कि फार्मा जैसे कुछ क्षेत्रों की चिंता जताए जाने की वजह से भारत को एमएफएन का दर्जा देने की समय सीमा में चूक हुई है, हालांकि पाकिस्तान ने इन क्षेत्रों के साथ परामर्श की प्रक्रिया पूरी कर ली है और उम्मीद है कि इस मामले में जल्द ही दोबारा बातचीत शुरू होगी। दरअसल पाकिस्तान के उद्योगपति इस बात के पक्षधर हैं कि दोनों देशों के बीच औद्योगिक और व्यापारिक रिश्ते कायम होने चाहिएं, क्योंकि इन देशों में रहने वाली ग़रीब जनता की समृद्धि इसी सच्चाई पर निर्भर है कि ये देश अपनी ऊर्जा का अधिकांश हिस्सा गरीबी उन्नमूलन के लिए विकास पर खर्च करें।
भारत और पाकिस्तान में दोनों देशों के लिए ऐसी संभावनाएं मौजूद हैं जो आर्थिक विकास को दूसरे देशों से ज्यादा बढ़ावा दे सकती हैं। दुर्भाग्य और दुश्वारी यह है कि दोनों देशों के बीच अविश्वास की खाई गहरी होती जा रही है, जिसे कम करने की बहुत आवश्यकता है, तभी व्यपारिक रिश्तों को मजबूती देने का रास्ता बहाल हो सकता है। इस मामले में आतंकवाद एक प्रमुख समस्या है, जिसकी विकरालता कश्मीर समस्या से भी बड़ी है। भारत और पाकिस्तान में कुछ क्षेत्र ऐसे हैं, जिनकी प्रगति एक दूसरे पर निर्भर है और इन क्षेत्रों में अधिकांश ग़रीब जनता रहती है।