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Monday 18 November 2013 09:27:15 AM
नई दिल्ली। केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन तथा रसायन और ऊवर्रक राज्य मंत्री श्रीकांत जेना ने सांसदों से आग्रह किया है कि वे उड़ीसा के फैलिन तूफान से प्रभावित इलाकों में पुनर्वास कार्यों के लिए अपने एमपीलैड फंड से 50 लाख रूपये तक का योगदान दें। आज नई दिल्ली में मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय की हाल की अधिसूचना में उड़ीसा के तूफान को ''भयंकर प्राकृतिक'' आपदा घोषित करने बाद सांसदों को बढ़-चढ़कर योगदान करना चाहिए।
श्रीकांत जेना ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और वित्त मंत्री से मुलाकात की तथा उन्हें उड़ीसा के अनेक भागों की गंभीर स्थिति से अवगत कराया, जिसके कारण लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है, बड़े पैमाने पर फसलों, घरों में तबाही हुई है और बालेश्वर, गंजम और मयूरभंज जिलों में खासतौर से संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचा है।
उन्होंने प्रधानमंत्री से पर्याप्त केंद्रीय सहायता मंजूर करने का आग्रह किया था। उन्होंने राहत और पुनर्वास कार्यों के लिए 1000 करोड़ रूपये की अंतरिम सहायता तथा प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से मृतकों के परिवारजनों को 2-2 लाख रूपये और गंभीर रूप से घायलों को 50-50 हजार रूपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा करने के लिए प्रधानमंत्री के प्रति आभार व्यक्त किया।
श्रीकांत जेना ने बताया तूफान से हुए नुकसान और उसके बाद आई बाढ़ के बारे में प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और वित्त मंत्री को दी गई जानकारी के आधार पर सार्वजनिक उद्यम विभाग ने एक अधिसूचना जारी की, जिसमें तूफान प्रभावित इलाकों में सीपीएसई की 2013-14 के दौरान चलाई जा रही राहत और पुनर्वास परियोजनाओं को पिछड़े क्षेत्रों की परियोजना माना जाएगा।
इसके अलावा सीएसआर के वार्षिक बजट की 5-10 प्रतिशत की सीमा और राष्ट्रीय आपदा विपत्ति के लिए निर्धारित लगातार चलने वाली गतिविधियों में भी ढील दी गई है तथा सीपीएससी अधिक खर्च के बारे में फैसला कर सकता है। श्रीकांत जेना ने बताया कि उन्होंने विभिन्न मंत्रालयों को पत्र लिखें हैं, ताकि उड़ीसा में पुनर्निमाण की सीएसआर योजना के अंतर्गत स्वेच्छा से दी जाने वाली धनराशि को उनके प्रशासनिक नियंत्रण में रखने के लिए सीपीएससी को संवेदनशील बनाया जा सके।