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Wednesday 20 November 2013 09:51:48 AM
नई दिल्ली। भारत सरकार देश में दूध की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय डेयरी योजना में आने वाले वर्षों में और तेजी लाएगी। राष्ट्रीय डेयरी योजना के पहले चरण के बारे में सांसदों को जानकारी देते हुए कृषि मंत्री शरद पवार ने बताया कि देश को 2017 तक करीब 150 मिलियन टन और 2022 तक 180 मिलियन टन दूध की जरुरत पड़ेगी। राष्ट्रीय डेयरी योजना 14 राज्यों में लागू की गयी है। शरद पवार ने कहा कि हालाकि स्वाधीनता के बाद दूध का उत्पादन 17 मिलियन टन से बढ़कर आज 130 मिलियन टन पर पहुंच चुका है, लेकिन दूध की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए दुधारु मवेशियों की उत्पादकता बढ़ाना जरुरी है।
डेयरी क्षेत्र के महत्व और राष्ट्रीय डेयरी योजना के अंतर्गत अपनाई जाने वाली रणनीतियों के बारे में उन्होंने कहा कि डेयरी क्षेत्र, भारतीय अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण अंग है। दूध के उत्पादन का मूल्य धान और गेहूं के कुल उत्पादन मूल्य से भी ज्यादा है। इस क्षेत्र में करीब सात करोड़ परिवार विशेषकर महिलाएं लगी हुई हैं। पिछले दशक में विश्व में दूध का उत्पादन 2.2 प्रतिशत की दर से बढ़ा है, जबकि हमारी वृद्धि दर दुनिया के औसत की तुलना में दोगुनी यानि 4.2 प्रतिशत है। सच्चाई यह है कि न केवल डेयरी क्षेत्र में बल्कि कृषि और उससे जुड़े अधिकतर क्षेत्रों जैसे खाद्यान्न उत्पादन, सब्जियां और फल उत्पादन और यहां तक की मत्स्य पालन के क्षेत्र में भी हमने भारी सफलता हासिल की है।
आमदनी बढ़ने के साथ देश में दूध की मांग तेजी से बढ़ रही है। ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि 12वीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक दूध की मांग 150 मिलियन टन और 13वी पंचवर्षीय योजना के अंत तक इसके 180 मिलियन टन से भी ज्यादा पर पहुंच जाने की संभावना है। इस मांग को पूरा करने के लिए दूध का वार्षिक उत्पादन अगले 10 वर्ष तक प्रतिवर्ष 6 मिलियन टन की दर से बढ़ाना होगा। दूध के उत्पादन का स्तर बढ़ाकर पोषण के स्रोत के रुप में अच्छी क्वालिटी के दूध तक बच्चों और महिलाओं की पहुंच सुनिश्चित की जा सकती है।
शरद पवार ने बताया कि इस पृष्ठभूमि में करीब 2242 करोड़ रुपये के निवेश से मंत्रालय ने अप्रैल 2012 में राष्ट्रीय डेयरी योजना के पहले चरण की शुरुआत की और पशुओं की दूध उत्पादकता और दूध उत्पादन पर विशेष ध्यान केंद्रित किया। सांसदों की सलाहकार समिति की बैठक राष्ट्रीय डेयरी योजना के कार्यान्वयन पर विचार-विमर्श के लिए बुलाई गयी थी। कृषि राज्य मंत्री और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री तारिक अनवर, लोकसभा के सांसद ए गणेश मूर्ति, केपी धनपालम, कुंवरजी भाई बावलिया, एम कृष्णास्वामी और डॉ पुलीन बिहारी वास्के और राज्य सभा सदस्य डॉ केपी रामलिंगम, मोहसिना किदवई और रेनूबाला प्रधान बैठक में शामिल हुये।