अमित तिवारी
फैशन की दौड़ में जब सारी दुनिया दीवानी हो रही है, तो भला बच्चें कैसे पीछे रह सकते हैं।बच्चों में बढ़ता फैशन का क्रेज आजकल हर जगह देखने को मिलता है, बच्चे भी स्वयं को कैसे फैशन के अनुसार ढालना चाहते हैं, इसे देखकर कभी-कभी फैशनेबल माता-पिता भी हैरत में पड़ जाते हैं। घर, स्कूल या पार्टी हो सभी जगह बच्चे ज़माने की चाल में चलना पसंद करते हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं। मां-बाप भी फैशन के प्रति जागरूक होते जा रहे हैं जो बच्चों को मेचिंग में रखना ही पसंद करते हैं, जैसे ड्रेस वैसे मौजे, जूते, रूमाल वगैरह-वगैरह।
इसके अलावा नए खिलौने, गेम्स जो भी प्रचलन में होते हैं, बच्चों की फरमाइश पर हाजिर हो जाते हैं। जब बच्चे स्कूल जाना शुरू करते हैं, तब भी फैशन के बैग, कम्पास, पेंसिल, रबर लाकर ही दिए जाते हैं। उनके पास नहीं भी होते हैं, तो वे अपने दोस्तों के पास देखकर आकर्षित होते हैं और नई-नई चीजें लाने की मांग करते हैं।
समय के साथ चलती यह जागरुकता ही कहिए जिससे वे स्वयं को अलग सा दिखाना चाहते हैं और अपने को नए रूप में स्थापित करना चाहते हैं। सबके आकर्षण का केंद्र बन सकें, दोस्तों के दिल में समां सकें, शिक्षकों वरिश्तेदारों की प्रशंसा पा सकें, इसलिए वे जमाने के नित नए फैशन को अपनाना चाहते हैं।वे सोचते हैं कि वर्तमान में जो फैशन चल रहा है, अगर उसे नहीं अपनाएंगे तो हम ‘ओल्ड फैशन’ की उपाधि से अलंकृत हो जाएंगे। लेकिन कई बार वे यह नहीं सोच पाते हैं कि जो भी फैशन चल रहा उससे मा-बाप और निकटवर्ती लोगों में हमारी छवि कैसी बनेगी। यह भी है कि फैशन के इस दौर में फैशन के साथ चलने के लिए बच्चे ब्रांडेड कंपनी की वस्तुओं को ही ज्यादा पसंद कर रहे हैं।
जैसे-जूते यदि ब्रांडेड कंपनी के हों चाहे वह कम पसंद आ रहे हैं और वहीं दूसरे (लोकल ब्रांड) जूते उससे कहीं अच्छे भी हों तो भी जागरुक बच्चे ब्रांडेड कंपनी के जूते ही पहनना पसंद करेंगे।इस बात को भी नकारा नहीं जा सकता है कि साफ-सुथरे, सलीके से तैयार बच्चे सभी को अच्छे लगते हैं। वे अनायास ही सबको आकर्षित कर लेते हैं।
एक पहलू यह भी है कि यदि बच्चे फैशन के अनुसार न रहें या जिस माहौल में वे रह रहे हैं, उसके अनुरूप स्वयं को ढाल न पाएं तो उनमें हीन भावना जल्दी ही घर कर जाती है और उनका आत्मविश्वास डगमगाने लगता है।
यदि बच्चे इस स्थित में पहुंच जाएं तो उनके लिए सफलता पाना अत्यंत ही कठिन हो जाता है। अतः फैशन के साथ चलना आज की आवश्यकता बन गया है। फैशन के साथ चलिए मगर सोच-समझकर।