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Wednesday 27 November 2013 12:35:31 AM
नई दिल्ली। कोल इंडिया लिमिटेड ने 12वीं योजना अवधि के दौरान 126 नई परियोजनाओं की पहचान की है, जिनकी अनुमानित क्षमता 438.04 मीट्रिक टन हैं। बारहवीं योजना के अंतिम वर्ष अर्थात 2016-17 के दौरान इनमें से 60 परियोजनाओं के लगभग 88 मीट्रिक टन योगदान करने की संभावना है। इसके अलावा सीआईएल ने कोयला उत्पादन बढ़ाने के लिए कई अनेक पहल की हैं, जिनमें कुछ इस प्रकार हैं-
केंद्रीय बजट 2013 में कोल इंडिया के एक भागीदारी के रूप में सार्वजनिक-निजी हिस्सेदारी (पीपीपी) रूपरेखा के संबंध में की गई घोषणा के अनुपालन में सीआईएल की कोयले की खानों की उत्पादन क्षमताओं को बढ़ाने के लिए एमडीओ परिचालन विधि सीआईएल की अनेक परियोजनाओं में शुरू की गई है। विश्व श्रेणी की प्रौद्योगिकी और आधुनिकीकृत सीआईएल को जोड़ने के क्रम में खानों के आधुनिकीकरण के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर के सलाहकार की नियुक्ति करने का निर्णय लिया गया है। सलाहकार के चयन की बोली प्रक्रिया अधीन है।
नॉर्थ करनपुरा-सीसीएल का औरंगा, मांड रायगढ़ एसईसीएल का कोरबा और एमसीएल के आईबी घाटी नामक तीन प्रमुख कोयला क्षेत्रों में उच्च वृद्धि की संभावना है, लेकिन यहां कोयले की खुदाई धीरे-धीरे होने की समस्या को दूर करने के लिए सीआईएल ने तीन प्रमुख रेलवे अवसंरचना सुविधाओं में 7045 करोड़ रुपए का निवेश करने की योजना बनाई है। इन योजनाओं के नाम तोरी-शिवपुर (कठोतिया), मांड-रायगढ़-कोरबा एवं गोपालपुर-मनोहरपुर हैं, जिनमें कार्यान्वयन कार्य विभिन्न चरणों में हैं। ये रेल लिंक कुल मिलाकर 435 किलोमीटर लंबे हैं और इनमें 12वीं योजना अवधि के अंत तक 150 मीट्रिक टन कोयला संभालने की संभावना हैं। गेवरा, दीपका और लखनपुर आदि जैसी खुली खानों में विश्व स्तर के उच्च क्षमता वाले उपकरण, लगातार खुदाई करने और भूमिगत खानों में विद्युत सहायता युक्त लोंग वॉल फेसिस जैसे वृहत उत्पादन प्रौद्योगिकी उपकरणों की शुरूआत करना शामिल हैं।